डॉ. सन्तोष राजपुरोहित.
राइजिंग हनुमानगढ़ इन्वेस्टर मीट में करीब 91 एमओयू से तकरीबन 1447 करोड़ रुपए निवेश तथा इनसे लगभग 7326 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। जीएम रिसोर्ट में हुए इस भव्य आयोजन से एक बार फिर उम्मीद जगी है कि हनुमानगढ़ में औद्योगिक विकास को पंख लगेंगे। दरअसल, हनुमानगढ़ कृषि आधारित क्षेत्र है और यहां का अपना अर्थशास्त्र है। देखा जाए तो राजस्थान के प्रमुख क्षेत्रों में हनुमानगढ का नाम आ सकता है बशर्ते कि जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अमला खुले मन से इसके लिए प्रयास करे। लंबे अरसे से अध्ययन के बाद हम कह सकते हैं कि हनुमानगढ़ में स्टार्टअप शुरू करने के लिए कई अनुकूलताएँ भी हैं, जो इसे एक संभावित आकर्षक क्षेत्र बना सकती हैं। आइए, इसे कुछ बिंदुओं के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं।
कम प्रतिस्पर्धा: बड़े शहरों की तुलना में हनुमानगढ़ में स्टार्टअप्स की संख्या कम है, जिससे नए उद्यमियों को अपने उत्पाद या सेवाओं के लिए अधिक जगह और अवसर मिलते हैं।
कम लागत: हनुमानगढ़ जैसे छोटे शहरों में किराया, वेतन और अन्य परिचालन खर्च बड़े शहरों की तुलना में कम होते हैं, जिससे व्यवसाय शुरू करने और चलाने की लागत कम रहती है।
सरकारी योजनाओं का लाभ: केंद्र और राज्य सरकार द्वारा छोटे शहरों में स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जैसे कि ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ जिनका फायदा हनुमानगढ़ में लिया जा सकता है।
कृषि आधारित उद्योगों का विकास: हनुमानगढ़ एक कृषि प्रधान क्षेत्र है, जिससे कृषि और उससे जुड़े उद्योगों जैसे एग्रीटेक, फूड प्रोसेसिंग, और बायोटेक्नोलॉजी के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध है।
स्थानीय कारीगरी और उत्पादों का उपयोग: हनुमानगढ़ में पारंपरिक कारीगरी, कपड़ा और हस्तशिल्प से जुड़े उद्योग हैं, जिनका उपयोग करके लोकल ब्रांड्स और स्टार्टअप्स अपनी पहचान बना सकते हैं।
सस्ते श्रम की उपलब्धता: छोटे शहरों में कुशल और अकुशल श्रम सस्ते दरों पर उपलब्ध होता है, जिससे स्टार्टअप्स को मानव संसाधन पर कम खर्च करना पड़ता है।
स्थानीय बाजार का विकास: हनुमानगढ़ में नए प्रकार के उत्पाद और सेवाओं के लिए धीरे-धीरे एक मांग बढ़ रही है, जिससे नए स्टार्टअप्स को अपने व्यापार का विस्तार करने का अवसर मिल सकता है।
इंटरनेट और डिजिटल क्रांति: डिजिटलाइजेशन की बढ़ती पहुँच के कारण हनुमानगढ़ जैसे छोटे शहरों में भी इंटरनेट आधारित व्यवसायों (ई-कॉमर्स, डिजिटल मार्केटिंग, ऑनलाइन सेवाएं) के लिए अच्छा अवसर है।
स्थानीय सहयोग और सामुदायिक भावना: छोटे शहरों में समुदाय का सहयोग और समर्थन मिलना आसान होता है, जो स्टार्टअप के शुरुआती दिनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
पर्यावरण के अनुकूल क्षेत्र: हनुमानगढ़ जैसे क्षेत्रों में प्रदूषण और शहरी भीड़भाड़ कम है, जिससे पर्यावरण-संबंधी स्टार्टअप्स जैसे सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी, ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स आदि के लिए भी बेहतर संभावनाएं हैं।
इन सकारात्मक पहलुओं का लाभ उठाकर, हनुमानगढ़ में एक सफल स्टार्टअप की शुरुआत की जा सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जो स्थानीय आवश्यकताओं और संसाधनों के अनुकूल हैं।
इसके अलावा हनुमानगढ़ जिले में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में असीम संभावनाएं नजर आ रहीं। राजस्थान का अधिकांश भाग शुष्क और गर्म जलवायु वाला है, जो सौर ऊर्जा के दोहन के लिए उपयुक्त है। हनुमानगढ़ में सौर ऊर्जा का स्कोप निम्नलिखित कारणों से उज्ज्वल हैं।
धूप की अधिकता: हनुमानगढ़ में वर्ष भर भरपूर धूप होती है, जिससे सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए पर्याप्त संसाधन मिलते हैं।
खाली भूमि उपलब्धता: इस क्षेत्र में खाली और बंजर भूमि की उपलब्धता है, जहाँ बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जा सकते हैं।
सरकारी योजनाएं और सब्सिडी: भारत सरकार और राजस्थान सरकार द्वारा सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और सब्सिडी प्रदान की जा रही हैं, जिनसे इस क्षेत्र में निवेश और विकास को बल मिल सकता है।
कृषि में सौर ऊर्जा का उपयोग: किसान सौर ऊर्जा का उपयोग सिंचाई पंप चलाने और बिजली बचाने के लिए कर सकते हैं, जिससे खेती की लागत कम होगी और पर्यावरण को भी फायदा होगा।
विकास परियोजनाएं: राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार सौर ऊर्जा परियोजनाओं में भारी निवेश कर रही हैं, जिससे इस क्षेत्र में नए रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं।
इन सभी कारणों से हनुमानगढ़ में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं।
वैसे देखा जाए तो कृषि आधारित जिला होने के नाते हनुमानगढ़ में बायो फर्टिलाइजर (जैव उर्वरक) का स्कोप काफी अच्छा है। जैव उर्वरक पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में सहायक होते हैं। हनुमानगढ़ में बायो फर्टिलाइजर का स्कोप निम्नलिखित कारणों से उज्ज्वल है।
कृषि प्रधान क्षेत्र: हनुमानगढ़ एक कृषि प्रधान क्षेत्र है जहाँ किसान बड़ी मात्रा में खेती करते हैं। रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर बायो फर्टिलाइजर का उपयोग मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद कर सकता है, जिससे उत्पादन क्षमता भी बढ़ सकती है।
सतत खेती की आवश्यकता: रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बायो फर्टिलाइजर एक सतत और दीर्घकालिक समाधान है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना फसलों की वृद्धि को बढ़ावा देता है।
मिट्टी की सेहत में सुधार: जैव उर्वरक मिट्टी में आवश्यक सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा देते हैं, जो मिट्टी की सेहत को बेहतर बनाते हैं। यह लंबे समय तक खेती के लिए बेहतर है, खासकर जब क्षेत्र में फसलें निरंतर उगाई जाती हैं।
सरकारी प्रोत्साहन: भारत सरकार और राज्य सरकारें जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और प्रोत्साहन दे रही हैं। इससे किसानों को बायो फर्टिलाइजर का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
बाजार की मांग: जैसे-जैसे उपभोक्ताओं में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ रही है, वैसे-वैसे किसानों के लिए बायो फर्टिलाइजर का उपयोग करके जैविक खेती करने का अवसर भी बढ़ रहा है। इससे किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त हो सकते हैं।
कृषि विविधता: हनुमानगढ़ में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं, जिनके लिए अलग-अलग पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। बायो फर्टिलाइजर इन आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं, जिससे फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होता है।
इन सब कारणों से, हनुमानगढ़ में बायो फर्टिलाइजर का उपयोग बढ़ने की संभावना है और यह किसानों के लिए एक लाभदायक और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प हो सकते हैं।
अन्य क्षेत्र की बात करें तो हनुमानगढ़ में इंजीनियरिंग वस्तुओं का स्कोप धीरे-धीरे बढ़ रहा है, विशेषकर औद्योगिकीकरण, कृषि उपकरणों की मांग और सौर ऊर्जा जैसी परियोजनाओं के विकास के कारण। इस क्षेत्र में इंजीनियरिंग वस्तुओं का संभावित स्कोप निम्नलिखित कारकों से प्रभावित होता है।
कृषि उपकरणों की मांग: हनुमानगढ़ एक कृषि प्रधान क्षेत्र है, जहाँ ट्रैक्टर, सिंचाई उपकरण, और अन्य कृषि मशीनरी की मांग लगातार बनी रहती है। इंजीनियरिंग वस्तुओं की स्थानीय स्तर पर आपूर्ति होने से किसानों को आधुनिक और कुशल उपकरण उपलब्ध हो सकते हैं, जिससे खेती की उत्पादकता में सुधार होगा।
बढ़ते औद्योगिकीकरण के अवसर: हनुमानगढ़ में धीरे-धीरे औद्योगिकीकरण हो रहा है। सौर ऊर्जा संयंत्रों और अन्य निर्माण परियोजनाओं के चलते इंजीनियरिंग वस्तुओं जैसे स्टील स्ट्रक्चर, मशीनरी पार्ट्स, और कंस्ट्रक्शन सामग्री की आवश्यकता बढ़ रही है।
सौर ऊर्जा परियोजनाएं: राजस्थान में सौर ऊर्जा परियोजनाओं की वृद्धि से इंजीनियरिंग वस्तुओं की मांग भी बढ़ रही है, जैसे सोलर पैनल्स की माउंटिंग संरचनाएं, केबल, और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण। हनुमानगढ़ जैसे क्षेत्र इन परियोजनाओं के लिए इंजीनियरिंग सामग्री का केंद्र बन सकते हैं।
छोटे और मध्यम उद्योग: हनुमानगढ़ में छोटे और मध्यम उद्योगों का विकास हो रहा है, जो इंजीनियरिंग वस्तुओं की मांग को बढ़ावा दे सकते हैं। इनमें खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा उद्योग, और अन्य निर्माण आधारित उद्योग शामिल हो सकते हैं, जिन्हें मशीनरी और उपकरणों की आवश्यकता होती है।
सरकारी योजनाएं और निवेश: राज्य और केंद्र सरकार द्वारा छोटे उद्योगों और औद्योगिक क्लस्टर के विकास के लिए प्रोत्साहन योजनाएं लाई जा रही हैं। इसके तहत हनुमानगढ़ जैसे क्षेत्र में इंजीनियरिंग वस्तुओं का उत्पादन और आपूर्ति बढ़ाई जा सकती है।
परिवहन और बुनियादी ढांचा: हनुमानगढ़ का राजस्थान के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छा सड़क और रेलवे संपर्क है, जिससे इंजीनियरिंग वस्तुओं का उत्पादन और व्यापार करना सुविधाजनक हो जाता है। इसका फायदा स्थानीय उद्योगों को भी मिल सकता है।
हनुमानगढ़ में इंजीनियरिंग वस्तुओं का स्कोप विशेष रूप से कृषि, सौर ऊर्जा, और छोटे उद्योगों के विकास के साथ जुड़ा हुआ है। यहां निवेश और उत्पादन के बेहतर अवसर हैं, और यह क्षेत्र धीरे-धीरे एक उभरता हुआ औद्योगिक केंद्र बन सकता है।
हनुमानगढ़ जिले में संभावनाएं हैं तो यहां पर चुनौतियां भी कम नहीं। जैसे छोटे और विकासशील क्षेत्रों में स्टार्टअप शुरू करने के दौरान विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
वित्तीय सहायता की कमी: छोटे शहरों में बैंक और निवेशक स्टार्टअप्स में निवेश करने से हिचकते हैं, जिससे फंडिंग की समस्या हो सकती है।
तकनीकी विशेषज्ञता की कमी: कुशल तकनीकी विशेषज्ञ और अनुभवी प्रोफेशनल्स की कमी हो सकती है, जिससे स्टार्टअप को आवश्यक प्रतिभा नहीं मिल पाती।
मार्केटिंग और ब्रांडिंग चुनौतियाँ: स्थानीय स्तर पर मार्केटिंग में कठिनाई हो सकती है, साथ ही ब्रांड की पहचान बनाना एक चुनौती हो सकता है।
नेटवर्क और कनेक्शन की कमी: बड़े शहरों की तुलना में हनुमानगढ़ जैसे छोटे शहरों में व्यापारिक नेटवर्क और उद्योग से जुड़े लोगों से जुड़ना कठिन हो सकता है।
बुनियादी ढाँचे की कमी: इंटरनेट की धीमी गति, सड़कों की हालत और अन्य आधारभूत संरचनाओं की कमी व्यवसाय को प्रभावित कर सकती है।
कस्टमर बेस सीमित होना: छोटे शहरों में ग्राहकों की संख्या और उनके खर्च करने की क्षमता बड़े शहरों की तुलना में कम होती है, जिससे बिजनेस स्केलिंग में दिक्कत हो सकती है।
सरकारी नीतियों की जानकारी की कमी: कई उद्यमियों को सरकारी स्कीम्स और सब्सिडी का सही ज्ञान नहीं होता, जिससे वे उपलब्ध सहायता का लाभ नहीं उठा पाते।
टैलेंट पूल की कमी: छोटे शहरों में उच्च गुणवत्ता वाले कर्मचारियों की कमी हो सकती है, जिससे स्टार्टअप के विस्तार में दिक्कत होती है।
लॉजिस्टिक्स समस्याएं: बड़े शहरों से दूर होने के कारण सामान की आपूर्ति और डिलीवरी में देरी हो सकती है, जिससे ग्राहकों को समय पर सेवा देना कठिन हो जाता है।
बाजार का सीमित आकार: हनुमानगढ़ जैसे क्षेत्रों में बाजार का आकार छोटा होता है, जिससे स्टार्टअप्स को विस्तार करने और बड़े पैमाने पर सफल होने में कठिनाई होती है।
इन चुनौतियों के बावजूद, सही योजना, संसाधनों और दृढ़ निश्चय के साथ इन्हें पार किया जा सकता है।
-लेखक राजस्थान आर्थिक परिषद के पूर्व अध्यक्ष हैं