लागत कम कीजिए, घाटे का सौदा नहीं रहेगी खेती

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डॉ. संतोष राजपुरोहित.
हनुमानगढ़ कृषि प्रधान जिला हैं लेकिन गत कई वर्षों से खेती घाटे का सौदा होता जा रहा हैं। कीटनाशक, फर्टीलाइजर इत्यादि के रूप में कृषि लागत बढ़ रही हैं उस अनुपात में फसल के मूल्य नही मिल पा रहे हैं। किसानी को अब लाभकारी न मानकर बहुत से लोग इससे किनारा करने लगे हैं। ऐसी स्थिति में आवश्यक हो जाता हैं कि कृषि लागत को कम करें और बाजार की जरूरतों को समझते हुए फसलों के विविधीकरण को अपनाया जाए।
हनुमानगढ जिले में कृषि को उन्नत करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए निम्नलिखित सुझाव उपयोगी हो सकते हैं …..
सिंचाई सुविधाओं में सुधार
ड्रिप और स्प्रिंकलर तकनीक:
जल बचाने और अधिकतम फसल उत्पादन के लिए ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा दें।
नहरों का विस्तार: इंदिरा गांधी नहर परियोजना को और अधिक गांवों तक पहुंचाना।
वॉटर हार्वेस्टिंग: वर्षा जल संग्रहण और भूमिगत जल स्तर बढ़ाने के उपाय अपनाना।
फसल विविधीकरण
पारंपरिक फसलों (गेहूं, जौ) के साथ अधिक लाभकारी फसलें जैसे सब्जियां, औषधीय पौधे और फल उगाने पर जोर।
कम पानी वाली फसलों जैसे बाजरा और ग्वार के साथ जैविक खेती को बढ़ावा देना।
आधुनिक कृषि तकनीक
ड्रोन तकनीक का उपयोग फसल निरीक्षण और कीटनाशक छिड़काव के लिए।
मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करना और किसानों को उर्वरक का सही उपयोग सिखाना।
कृषि आधारित उद्योग
फूड प्रोसेसिंग यूनिट, कोल्ड स्टोरेज और मंडियों का विकास।
कृषि उत्पादों का ब्रांडिंग और विपणन।
ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्योगों (जैसे पापड़, मसाले) को बढ़ावा।
किसान शिक्षा और प्रशिक्षण
किसानों को उन्नत तकनीकों, जैविक खेती, और मार्केटिंग के लिए प्रशिक्षण देना।
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए किसानों को बाजार के दाम और मौसम की जानकारी उपलब्ध कराना।
सरकारी योजनाओं का लाभ
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, और सोलर पंप योजना का प्रचार।
राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन।
सामुदायिक प्रयास
किसान उत्पादक संगठन बनाना ताकि किसानों को सामूहिक रूप से बाजार में बेचने का लाभ मिले।
सहकारी समितियां और ग्रामीण बैंकों की पहुंच बढ़ाना।
पशुपालन और कृषि का एकीकरण
पशुपालन और डेयरी उत्पादन से आय बढ़ाना।
गोबर और जैविक कचरे से खाद बनाकर कृषि में उपयोग करना।
पर्यावरण संरक्षण
वृक्षारोपण और बायोफेंसिंग से भूमि कटाव रोकना।
रसायनों का कम से कम उपयोग कर जैविक खेती को अपनाना।
हनुमानगढ़ जैसे क्षेत्र में कृषि को उन्नत करने के लिए इन उपायों को स्थानीय जरूरतों के अनुसार अपनाया जा सकता है जिससे कृषि सम्बन्धी अनिश्चितता में कमी लाकर कृषि की लागत कम करके मुनाफे की खेती की जा सके।
-लेखक राजस्थान आर्थिक परिषद के पूर्व अध्यक्ष हैं

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