डॉ. संतोष राजपुरोहित.
हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कई नई शब्दावली का उपयोग बढ़ा है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण और नवीनतम शब्दावली का उल्लेख करना चाहूंगा ताकि सामान्य जनमानस भी इससे रूबरू हो सके
ग्रीन इनवेस्टमेंट: पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं में निवेश को ग्रीन इनवेस्टमेंट कहा जाता है। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा, सोलर पावर, पवन ऊर्जा आदि परियोजनाएँ शामिल होती हैं।
क्रीपिंग इनफ्लेशन: यह उस प्रकार की मुद्रास्फीति को दर्शाता है जो धीमी गति से बढ़ती है और अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक नहीं होती, लेकिन दीर्घकाल में इसकी वृद्धि महत्वपूर्ण हो सकती है।
डिजिटल करेंसी: डिजिटल मुद्रा को केंद्रीय बैंक जारी करता है। यह क्रिप्टोकरेंसी से अलग होती है और सरकारी नियंत्रण में होती है, जैसे भारत की म₹ (ई-रुपी)।
स्टैगफ्लेशन: यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ अर्थव्यवस्था में उच्च मुद्रास्फीति और उच्च बेरोजगारी दर होती है, जबकि आर्थिक विकास धीमा होता है। यह स्थिति नीति निर्माताओं के लिए चुनौतीपूर्ण होती है।
गिग इकोनॉमी: यह एक अर्थव्यवस्था है जहाँ लोग छोटे कार्य (गिग) जैसे कि फ्रीलांस, कैब ड्राइविंग, डिलीवरी, आदि में काम करते हैं। इसमें श्रमिकों का रोजगार पारंपरिक स्थायी नौकरी से भिन्न होता है।
इंफ्लेशन हेज: यह एक निवेश रणनीति है जिसमें मुद्रास्फीति से बचाव के लिए ऐसी संपत्ति में निवेश किया जाता है जो मुद्रास्फीति के दौरान मूल्य में बढ़ोतरी दिखा सके, जैसे सोना या रियल एस्टेट।
डिजिटल टैक्स: यह एक नया कर है जो डिजिटल कंपनियों पर लगाया जाता है, जो किसी देश में डिजिटल सेवाओं के माध्यम से आय अर्जित करती हैं, भले ही उनकी भौतिक उपस्थिति न हो।
फिनटेक: यह वित्त और तकनीकी का सम्मिलित रूप है। फिनटेक कंपनियाँ आधुनिक तकनीक का उपयोग कर वित्तीय सेवाएँ प्रदान करती हैं, जैसे ऑनलाइन बैंकिंग, डिजिटल पेमेंट, क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, आदि।
रेपो रेट: यह वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। इसे बढ़ाने या घटाने से अर्थव्यवस्था की लिक्विडिटी और मुद्रास्फीति प्रभावित होती है।
मेटावर्स इकोनॉमी: मेटावर्स एक आभासी दुनिया है जहाँ लोग डिजिटल अवतारों के रूप में बातचीत करते हैं। इस आभासी दुनिया में व्यापार और सेवाओं की बढ़ती माँग के कारण एक नई प्रकार की अर्थव्यवस्था उभर रही है।
सर्कुलर इकोनॉमी: यह एक आर्थिक मॉडल है जिसमें उत्पादों और सामग्रियों का पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग किया जाता है, जिससे अपशिष्ट कम होता है और संसाधनों का दीर्घकालिक उपयोग सुनिश्चित होता है।
डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस: यह वित्तीय सेवाओं की एक प्रणाली है जो ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करती है और बिना बैंकों के उपयोगकर्ताओं को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करती है, जैसे उधारी, निवेश, आदि।
क्रिप्टो एसेट: यह एक डिजिटल या वर्चुअल एसेट होती है जो क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित होती है। इसमें बिटकॉइन, एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी शामिल हैं, जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं।
ओपन बैंकिंग: यह एक नई बैंकिंग प्रणाली है जहाँ बैंक और वित्तीय संस्थाएँ एपीआई का उपयोग करके सुरक्षित रूप से ग्राहकों के डेटा को साझा करती हैं। यह नए वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के विकास को बढ़ावा देता है।
क्वाड्रुपल-डीइकिंग: यह एक असामान्य आर्थिक स्थिति है जहाँ अर्थव्यवस्था चार बार मंदी का सामना करती है, प्रत्येक बार उबरने के बाद फिर से गिरावट होती है।
ये शब्दावली दिखाती हैं कि कैसे आधुनिक अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी का प्रभाव मिलकर नई आर्थिक धाराएँ और शब्दावली विकसित कर रहा है।
-लेखक राजस्थान आर्थिक परिषद के पूर्व अध्यक्ष हैं