डॉ. संतोष राजपुरोहित.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2025-26 भारत के समग्र और संतुलित विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस बजट का मुख्य उद्देश्य कृषि, एमएसएमई, निवेश, और निर्यात जैसे चार प्रमुख क्षेत्रों को प्रोत्साहित करना है, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा सके।
बजट में ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ की घोषणा की गई है, जिसके तहत 100 कम उत्पादकता वाले जिलों को शामिल किया जाएगा। इससे 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, तूर, उड़द, और मसूर जैसी दालों में आत्मनिर्भरता के लिए छह वर्षीय मिशन शुरू किया गया है, जिसमें नेफेड और एनसीसीएफ जैसी केंद्रीय एजेंसियां अगले चार वर्षों तक किसानों से इन दालों की खरीद करेंगी।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए निवेश और कारोबार की सीमाओं को बढ़ाया गया है, जिससे अधिक उद्यमी इस श्रेणी में शामिल हो सकें। इसके अलावा, गारंटी कवर के साथ ऋण की उपलब्धता को 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये किया गया है, जिससे एमएसएमई को वित्तीय सहायता में वृद्धि होगी।
बजट में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 11.21 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय निर्धारित किया गया है, जो जीडीपी का 3.1 फीसद है। इसके साथ ही, राज्यों को 50 वर्ष तक के ब्याज मुक्त ऋणों के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिससे राज्यों में भी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
निर्यात संवर्धन के लिए एक मिशन की शुरुआत की गई है, जिसमें वाणिज्य मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय, और वित्त मंत्रालय संयुक्त रूप से कार्य करेंगे। इसके तहत, श्भारत ट्रेडनेटश् नामक एक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का प्रस्ताव किया गया है, जो व्यापार दस्तावेज़ीकरण और वित्तपोषण के लिए एक एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रदान करेगा।
मध्यम वर्ग को राहत प्रदान करते हुए, नई कर व्यवस्था में 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं लगाया जाएगा। वेतनभोगी करदाताओं के लिए यह सीमा 12.75 लाख रुपये होगी, जिसमें 75,000 रुपये की मानक कटौती शामिल है। इन सुधारों से मध्यम वर्ग की आय और खपत में वृद्धि की उम्मीद है।
केंद्रीय बजट 2025-26 में प्रस्तुत ये प्रावधान देश के समग्र विकास को गति देने के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में संतुलित प्रगति सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास हैं। इन पहलों के माध्यम से, सरकार ने आर्थिक सुधार, सामाजिक कल्याण, और वित्तीय स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।
-लेखक भारतीय आर्थिक परिषद के सदस्य हैं