मदान इंटरनेशनल स्कूल की तृप्ति अग्रवाल का कमाल, ये बोले पिता पवन अग्रवाल

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भटनेर पोस्ट एजुकेशन डेस्क.
सीबीएसई की ओर से घोषित 10वीं बोर्ड परीक्षा परिणामों में हनुमानगढ़ की तृप्ति अग्रवाल ने 98.60 प्रतिशत अंक अर्जित कर न केवल अपने माता-पिता और स्कूल का नाम रोशन किया, बल्कि जिले भर में मिसाल भी कायम की है। मदान इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा तृप्ति अग्रवाल ने इस अद्भुत उपलब्धि के साथ यह सिद्ध कर दिया कि संकल्प, अनुशासन और समर्पण के साथ अगर पढ़ाई की जाए, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। तृप्ति की इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार को गौरवान्वित किया, बल्कि पूरे हनुमानगढ़ जिले के लिए यह गर्व का क्षण बन गया। एक तरफ जहां अधिकांश छात्र बोर्ड परीक्षाओं को तनाव का विषय मानते हैं, वहीं तृप्ति ने इस चुनौती को अवसर में बदला और परिणाम सामने है, 98.60 फीसद की शानदार सफलता।
तृप्ति के पिता पवन अग्रवाल स्वयं एक प्रतिष्ठित व्यवसायी हैं और जिला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनकी मां मिताली अग्रवाल कुशल गृहिणी होने के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाती हैं। तृप्ति के व्यक्तित्व में मां की संवेदनशीलता और पिता की नेतृत्व क्षमता दोनों स्पष्ट रूप से झलकती हैं।
पिता पवन अग्रवाल बताते हैं, ‘तृप्ति शुरू से ही मेहनती और लक्ष्य के प्रति समर्पित रही है। हमें कभी उसे पढ़ाई के लिए टोकना नहीं पड़ा। वह स्वअनुशासित तरीके से पढ़ाई करती है और अपनी योजनाएं खुद तय करती है।’
सेल्फ स्टडी बनी सफलता की कुंजी
मिताली अग्रवाल बताती हैं, ‘तृप्ति की सफलता का सबसे रोचक पक्ष यह है कि उसने अधिकतर विषयों की तैयारी सेल्फ स्टडी के माध्यम से की। हालांकि, नीट परीक्षा की तैयारी के लिए उसने कॉन्सेप्ट क्लासेज में फाउंडेशन कोर्स जरूर किया, लेकिन उसकी पढ़ाई का मूल आधार रहा, स्वाध्याय और निरंतर अभ्यास।’
काबिलेगौर है, सीएलसी इंस्टीट्यूट में भी तृप्ति ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। यहां उसकी योग्यता को मान्यता देते हुए संस्थान ने उसे 90 प्रतिशत फीस की छात्रवृत्ति दी। यह उपलब्धि तृप्ति की शैक्षणिक प्रतिभा का जीवंत प्रमाण है।
डॉक्टर बनने का सपना, प्रशासनिक सेवा का लक्ष्य
तृप्ति की आंखों में एक स्पष्ट सपना है, डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करना। लेकिन यह मंज़िल उसके लिए आखिरी नहीं है। वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने की भी इच्छा रखती हैं। जब उससे भविष्य की योजना पूछी गई तो उसका सीधा और सधा हुआ उत्तर था, ‘पहले डॉक्टर बनना है, इसके बाद आगे की रणनीति तय करेंगे।’ यह उत्तर ही उसकी परिपक्व सोच और दूरदर्शिता का परिचायक है।
शिक्षक और परिवार को दिया श्रेय
सफलता के इस मुकाम पर पहुंचने के बाद भी तृप्ति बेहद विनम्र और संवेदनशील बनी हुई है। उसने अपने इस गौरवपूर्ण परिणाम का श्रेय अपने मम्मी-पापा और सभी शिक्षकों को दिया है। बकौल तृप्ति अग्रवाल, ‘मम्मी-पापा ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया और टीचर्स ने हर मोड़ पर मार्गदर्शन किया। यह सब उन्हीं की देन है।’
मदान इंटरनेशनल स्कूल के डायरेक्टर सुनील मदान कहते हैं, ‘तृप्ति की इस उपलब्धि ने हनुमानगढ़ को गर्व से भर दिया है। स्कूल के शिक्षक भी उसकी इस सफलता से गदगद हैं।’ कई सामाजिक संगठनों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भी तृप्ति को शुभकामनाएं दी हैं।

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