


डॉ अर्चना गोदारा.
चाहतों के समंदर में गोते खाते जिंदगी, चाह है कि किनारा मिल जाए। पर बहुत मुश्किल है, वहां तक पहुंचाना। लेकिन जिद है के पीछा छोड़ती नहीं।
दुनिया में तीन तरह के इंसान बसते है। एक वह जो अपनी मेहनत के बल पर दुनिया को जीतना चाहते हैं। दूसरे वे जो बैठे-बैठे ही सब कुछ प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन इनके बीच में एक तीसरा इंसान और भी है जो कुछ करना ही नहीं चाहता। इनके ना कोई सपने है और ना कोई उम्मीदें। ये केवल अपने जीवन को पूर्ण करते हैं। परंतु इन सब में महत्वपूर्ण है वे लोग, जो अपनी मेहनत से आगे बढ़ना चाहते हैं और अपने आप को ऊंचाई तक ले जाना चाहते हैं।
जीवन केवल जीने का ही नहीं बल्कि कुछ कर दिखाने का भी मंच है। एक ऐसा मंच जिसमें हर व्यक्ति अपनी किसी न किसी भूमिका का निर्वाह करता है और समाज में उसका प्रभाव छोड़ता है। यह भूमिका व्यक्ति के पद से भी प्रभावित हो सकती है परंतु कभी-कभी उसकी इच्छा शक्ति और महत्वाकांक्षाओं से भी प्रभावित होती है। लेकिन सफल वही होता है जो मेहनत करता है। इतिहास भी उसी का लिखा गया है जो लड़ा और सफलता के मुकाम को प्राप्त हुआ। बाकी सभी के लिए यह समझा जाता है कि कीड़े मकोड़े के समान आते हैं और चले जाते हैं। क्योंकि यह एक वास्तविकता है कि सभी उगते सूरज को सलाम करते हैं और सफल व्यक्ति एक चमकते हुए सूरज के समान होता है। इसीलिए लोग सफल व्यक्ति से संबंध बनाना चाहते हैं और उनके संपर्क में रहना चाहते हैं। इतिहास ऐसे बहुत से सफल व्यक्तियों के उदाहरणों से भरा हुआ है जिन्होंने अपनी मेहनत से सफलता के झंडे गाङे। यह सफलता केवल उनकी नहीं है बल्कि देश और समाज की भी होती है। ऐसी सफलतायें आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत भी है जो सीखाती है कि जीवन में करने के लिए बहुत कुछ होता है। बस मन में इच्छा शक्ति का होना आवश्यक है।

अपनी जिद से सफलता प्राप्त करने वालों की एक लंबी सूची है जिसमें एक धीरूभाई अंबानी (रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के संस्थापक) है जिनका जन्म एक साधारण शिक्षक के घर में हुआ था। उन्होंने अपना कार्य एक पेट्रोल पंप अटेंडेंट के रूप में शुरू किया था। लेकिन उनके बड़े-बड़े सपने थे। अपने दम पर कुछ बड़ा करने की जिद थी। उन्होंने अपनी लंबे समय की कड़ी मेहनत और दूरदर्शिता से रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की नींव रखी, जो आज भारत देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। इसी तरह एक अन्य नाम ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (भारत के पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक) का है जिनका जन्म तमिलनाडु के एक छोटे से गाँव में हुआ। डॉ. अब्दुल कलाम ने जीवन में बहुत संघर्ष किया। अपनी आजीविका चलाने के लिए उन्होंने अखबार बेचे और अपनी पढ़ाई को जारी रखा। उनके सपने बहुत बड़े थे परन्तु वे कभी रुके नहीं। उनकी मेहनत और जिद ने उन्हें भारत का ‘मिसाइल मैन’ बना दिया। बाद में वे भारत के राष्ट्रपति भी बने। एक साधारण एवं गरीब परिवार में जन्मे एक बालक के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी। परंतु आज की युवा पीढ़ी के लिए यह संदेश भी है कि यदि चाहत और जिद हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। इसी क्रम में एक नाम है जेम्स डाइसन (डाइसन कंपनी के संस्थापक) जिन्होंने न 5,126 बार असफलताओं के बावजूद भी हार नहीं मानी और अपने वैक्यूम क्लीनर का परफेक्ट डिज़ाइन तैयार किया। उनकी जिद और मेहनत का नतीजा है कि आज उन्हें एक अरबों डॉलर की कंपनी के मालिक के रूप में जाना जाता है।

यदि हम इसी तरह मेहनती और सफल लोगों की सूची देखें तो एक नाम जे.के. रोलिंग (हैरी पॉटर की लेखिका) का भी आता है। जे.के. रोलिंग को अपने पहले उपन्यास के लिए 12 प्रकाशकों ने ठुकरा दिया था। उस समय वे आर्थिक तंगी से गुजर रही थीं। उनके पास धन केवल इतना ही होता था कि या तो वे अपने दोनों समय का भोजन खा ले या अपनी लेखन सामग्री को खरीद सकें, इसलिए वे केवल एक समय का भोजन ही करती थी। लेकिन उन्होंने ना हार मानी और ना ही अपनी जिद छोड़ी। अंततः ‘हैरी पॉटर’ दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाली बुक सीरीज बन गई और रोलिंग दुनिया की सबसे अमीर लेखकों में से एक हो गईं।

ये सभी हस्तियां इस बात का उदाहरण हैं कि मेहनत, दृढ़ निश्चय और जिद से कोई भी इंसान अपनी तकदीर को बदल सकता है। किसी ने सही कहा है ‘जहां चाह वहाँ राह’। आवश्यकता है तो बस मन में ठानने की की कुछ कर गुजरना है। ना कि ये सोचना कि ‘दुनिया में आए हैं तो जीना ही पड़ेगा। है अगर जीवन जहर, तो पीना ही पड़ेगा।*
कोशिश कीजिए सफलताएँ आपके साथ चलेंगी। क्योंकि जितनी लंबी मेहनत उतनी ही लंबी सफलता होती है।
-लेखिका राजकीय एनएमपीजी कॉलेज में समाजशास्त्र की सहायक आचार्य हैं

