ये हैं ‘गुड टच’
उन्होंने बताया कि माता-पिता का प्यार और मां द्वारा बच्चों को नहलाते समय, दादा-दादी द्वारा आशीर्वाद के लिए या दोस्तों एवं परिवार के सदस्यों की ओर से खुशी के पलों में ‘टच’ अच्छे और सुरक्षित स्पर्श के रूप में होते हैं। इसी प्रकार शिक्षकों द्वारा सराहना या शाबासी, समाज के अन्य व्यक्तियों द्वारा आशीर्वाद या फिर माता-पिता की उपस्थिति में डॉक्टर द्वारा इलाज के लिए बच्चे का स्पर्श ‘गुड टच’ की श्रेणी में आते हैं।
ये हैं बैड टच’
बच्चों को होंठ, छाती, टांगों के बीच आगे-पीछे और कमर के नीचे की ओर छूना ‘बैड टच’ हैं। साथ ही बिना छुए फोन या लैपटॉप पर बुरी तस्वीरे या वीडियो दिखना ‘डिजिटल बैड टच’ होता है। शासन सचिव नवीन जैन के मुताबिक, बच्चों में 5 सेंस के बारे में बताना आवश्यक है। इसके जरिये बच्चों को असुरक्षित स्पर्श की पहचान करायें ताकि वे हर स्थिति में सतर्क रहें। उन्होंने सेशन में कहा कि बच्चों को ना ही डरना है ना ही किसी लालच में आना है।
क्या करें बच्चे ?
शासन सचिव ने 5 सिग्नल्स के माध्यम से बच्चों में असुरक्षित स्पर्श के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि बच्चों के लिप्स, छाती, पैरों के बीच में, कमर के नीचे या पीछे यदि कोई स्पर्श करे तो ये बैड टच का सिग्नल है। बैड टच की स्थिति में बच्चों को चिल्लाते हुए ‘नो’ बोलकर उस स्थान या व्यक्ति से सवाधानी के साथ दूर भागने (गो) और इसके बारे में बिना किसी डर या घबराहट के किसी बड़े या जिस पर उनको सबसे ज्यादा भरोसा हो, को बताने (टैल) के लिए सजग बनाने की थ्योरी भी बताई गई।