भटनेर पोस्ट ब्यूरो. जयपुर.
गहलोत सरकार की योजनाओं के भरोसे सरकार रिपीट होने की उम्मीद कर रही कांग्रेस अब संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने की तैयारी में है। इसके लिए पार्टी रणनीतिक तौर पर काम कर रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ‘भटनेर पोस्ट’ से कहते हैं, ‘हम मुख्य तौर पर दो मसलों पर काम कर रहे हैं। पहला, परंपरागत वोट बैंक की सुरक्षा और दूसरा कमजोर सीटों पर फोकस। इसके अलावा हम उन मतदाताओं को आश्वस्त करना चाहेंगे जो कुछ वर्षों के दौरान गलतफहमी का शिकार हो गए और दूसरे दलों में कन्वर्ट हो गए।’ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद महंगाई राहत कैम्प के जरिए अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं। राज्य में पार्टी की नजर उन 59 सीटों पर है जो एससी व एसटी के लिए रिजर्व हैं। माना जा रहा है कि एससी व एसटी वर्ग कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक रहा है। बीजेपी इसमें सेंध लगाने की कोशिश में है। ऐसे में कांग्रेस ने लीडरशिप डवलपमेंट मिशन शुरू किया है। इसके तहत आरक्षित वर्ग से ऐसे नेताओं का चुनाव करना भी है, जो संगठनात्मक रूप से और लीडरशिप के रूप में पार्टी के लिए अहम साबित हो सकें। पार्टी को लगता है कि मुस्लिमों की तरह एससी और एसटी वर्ग ही ऐसे वर्ग हैं, जिन्हें वह भाजपा व अन्य दलों से दूर रख अपने मिशन का हिस्सा बना सकती है। यह रणनीति लोकसभा चुनाव को लेकर बनाई है, लेकिन विधानसभा चुनाव भी टारगेट में रहेंगे। पार्टी लोकसभा, विधानसभा, जिला, ब्लॉक, मंडल व ग्राम को-ऑर्डिनेटर बनाएगी। ये को-ऑर्डिनेटर अपने स्तर पर एससी-एसटी वर्ग के युवाओं व अनुभवियों की तलाश करेगी। अलग-अलग स्तर पर बनाई जा रही टीमों को टास्क दिया जा रहा है कि 10-10 गांवों के समूहों में ये एससी, एसटी, ओबीसी और मुस्लिम वोटरों की पहचान करेंगी। टीमें शहर-गांव के हर घर में जाएंगी। सभी 59 विधानसभा क्षेत्रों में जीतने वाले जनप्रतिनिधि से लेकर तीसरे स्थान तक रहने वाले प्रत्याशी तक का डेटा कलेक्ट कर उनकी आइडियोलॉजी पर नजर रखी जाएगी। ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें या तो पार्टी में शामिल किया जा सके। हर ब्लॉक में हर समुदाय के 10-10 सदस्यों को जोड़कर कुल 40 युवाओं को जोड़ा जाएगा। लीडरशिप डवलपमेंट मिशन के माध्यम से कॉर्डिनेटर सामाजिक, राजनीतिक और चुनावी मूल्यांकन करेंगे। कांग्रेस को उम्मीद है कि यह रणनीति कारगर होगी और आने वाले चुनाव में इसके सकारात्मक परिणाम आएंगे।