राहुल गांधी विदेश यात्रा से लौट रहे हैं। पिछले कुछ समय से राहुल चर्चा में बने हुए हैं। राजनीतिक विश्लेषक व गैर बीजेपी नेताओं में राहुल को लेकर उम्मीदें बढ़ी हैं। अजमेर मूल के वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र चतुर्वेदी बेबाक लेखन के लिए विख्यात हैं। ब्लॉग लेखन से लेकर टीवी पत्रकारिता में सक्रिय सुरेंद्र चतुर्वेदी इस आलेख में राजस्थान कांग्रेस की मौजूदा स्थिति के भविष्य का भी मूल्यांकन कर रहे हैं। प्रस्तुत है आलेख…
सुरेन्द्र चतुर्वेदी.
सचिन से इस मुद्दे को लेकर बात हुई। वह अब समझदार हो गए हैं। जल्दबाज़ी और बदहवासी उनके व्यवहार से पीछा छुड़ा चुकी है। बेबाक़ बयानी और बड़बोलापन भी कम हुआ है। सीरियस पॉलिटिशियन जैसा अंदाज़ उनके सोच में शामिल हो गया है। इसी बात का इंतज़ार मुझे मुद्दत से था। मेरे ब्लॉग्स में उनकी इन्ही कमियों को लेकर छटपटाहट थी।
बातचीत में उन्होंने यह तो स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी तीनों मांगों पर क़ायम रहेंगे। हर स्तर पर वह मांग उठाएंगे मगर इन मांगों से पार्टी को नुक़सान होने से बचाएंगे। उनकी पार्टी के महामंत्री वेणुगोपाल से सार्थक और दो टूक चर्चा हो चुकी है। चुनावों में वह गहलोत को साथ में लेकर तालमेल बैठाएंगे। उनको यक़ीन है कि उनके साथ गहलोत का व्यवहार सकारात्मक होगा। वह अपना मन साफ़ कर चुके हैं और ऐसी ही उम्मीद गहलोत साहब से भी करते हैं।
वेणुगोपाल ने उनको आश्वासन दिया है कि राहुल गांधी आने के बाद सुनिश्चित फार्मूला सामने रख कर चुनावों में जीतने का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा।
सचिन पायलट अब नादान नहीं रहे यह तो तय हो गया है मगर गहलोत के मन को कोई कथावाचक नहीं पढ़ सकता। उनका सोच आसमानी है। वह स्वीमिंग पुल के नहीं समन्दर के तैराक हैं। पानी के अंदर साँसें रोक कर तैरना उन्होंने पता नहीं किस तैराक से सीखा है। ये तो ग़नीमत है कि सचिन जैसे नाइट वाचमैन अब तक क्रीज़ पर बैटिंग कर रहे हैं वरना इतनी हिम्मत के साथ उनकी बम्पर बोलिंग का सामना अच्छा भला खिलाड़ी नहीं कर सकता। उन्होंने अच्छी तरह से हाईकमान की सारी चालों का पूर्वानुमान लगा लिया है। उनको पता है कि राहुल कितनी दूर ले जाकर उनको गहराई में खड़ा करेंगे। इसलिए उन्होंने अपनी कुर्सी और अपने लोगों के वज़ूद को सुरक्षित करने के सारे इंतज़ाम कर लिए हैं।
आज मैं राहुल, खड़गे और वेणुगोपाल के तैयार किये गए सुलहनामे पर बात करना चाहूँगा। खुल कर आपसे राय भी जानना चाहूँगा।
सचिन पायलट क्या इतने पीछे आकर बैटिंग करेंगे ? क्या वह सब कुछ गहलोत के इशारों पर खेलने को मजबूर हो जाएंगे?
ऐसे लोगों की भी फ़ेहरिस्त बना ली गयी है जो टिकिट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं।ऐसे लोगों को रोकने और समझाने की कोशिश की जाएगी मगर ज़िद्दी नेताओं को मझधार में छोड़ने की रणनीति भी बना ली गई है। सचिन पायलट ने कल दिल्ली में महामंत्री वेणुगोपाल से अपने दिल की सारी बात और आने वाली आशंकाओं पर चर्चा कर ली है। आज वेणुगोपाल राजस्थान में एक विवाह समारोह के बहाने आ रहे हैं। सिर्फ़ विवाह में आना ही उनका मक़सद हो यह राजनीति में होता नहीं । आएंगे तो आस पास की मिट्टी साफ़ करवा कर भी जाएंगे। राहुल गांधी विदेश से लौटते ही सबसे पहले राष्ट्रीय पार्टियों से तारतम्य बैठा कर अगले चुनाव की रणनीति को अंतिम रूप देंगे फिर सचिन-गहलोत विवाद सुलझाएंगे।
सचिन को यक़ीन है कि उनके साथ हाईकमान इस बार तहे दिल से साथ होगा। किसी भी समझौते में वह अपने समर्थकों के हित सुरक्षित रखेंगे। ख़ास तौर से टिकिट दिए जाने के मामले में।
देखना यह होगा कि अशोक गहलोत किस तरह अपने लोगों के हित सुरक्षित रख पाते हैं। लगभग 40 सीट्स ऐसी होंगी जहां सचिन और गहलोत के बीच की रोटी को दिल्ली के बंदर बांटेंगे।