राजनीति: ‘ये दाग’ अच्छे क्यों हैं ?

भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क. 

राजनीति में दो शब्द बेहद प्रचलित हैं। दागी और बागी। जब मौसम चुनाव का हो तो फिर दोनों किस्म के नेताओं की पौ बारह हो जाती है। दागियों की और बागियों की भी। विधानसभा चुनाव 2023 में दागियों पर नियंत्रण के लिए कोई ठोस प्रक्रिया नहीं अपनाई जा रही है। ऐसे में यह तय है कि चुनाव में दागियों पर कोई अंकुश नहीं लगने वाला।
मौजूदा विधानसभा की बात करें तो इसमें 200 में से 46 विधायकों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इसमें से कांग्रेस के 99 में से 25, बीजेपी के 73 में से 12 और बसपा के महज छह में से दो विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। कुल 25 ऐसे विधायक हैं जिन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं इस लिहाज से करीब 23 फीसद विधायक दागी हैं।
राजनीति के दूसरे प्रचलित शब्द ‘बागी’ की बात करें तो अब बदलते समय में यह ‘ताकतवर’ होने का प्रमाण है। बगावत करने के लिए साहस चाहिए। टीम चाहिए। रुतबा चाहिए। पैसा चाहिए। अगर यह सब है तो ही नेता बगावत का झंडा उठा पाता है। माना जा रहा है कि इस चुनाव में बागियों की संख्या में इजाफा होना तय है। बीजेपी और कांग्रेस में ‘बगावत’ का खौफ स्पष्ट दिख रहा है। दिलचस्प बात है कि आम जनता भी कई दफा बागियों को गले लगाने में नहीं हिचकिचातीं। अब देखना यह है कि इस चुनाव में दागियों और बागियों का प्रदर्शन कैसा रहेगा ? साल 2018 से ज्यादा या कम ?

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