भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क.
केंद्र सरकार ने पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा से पहले संसद का विशेष सत्र बुलाकर महिला आरक्षण बिल पारित करवाने में कामयाबी हासिल कर ली। अब उसे चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाकर पेश किया जाएगा। भले इस बिल को अमली जामा पहनाना अभी मुमकिन नहीं। राजनीतिक फिजां में सवाल तैरने लगे है कि अगर सचमुच भाजपा महिलाओं को राजनीति में उचित प्रतिनिधित्व दिलाने का माद्दा रखती तो हनुमानगढ़ जिले की पांच सीटों में से कम से कम एक सीट पर महिला कार्यकर्ता को टिकट जरूर थमाती। इससे बीजेपी की ‘कथनी-करनी’ में अंतर नहीं दिखता। लेकिन पार्टी ने चार सीटों पर टिकट का एलान कर दिया। इसमें एक भी महिला को मौका नहीं मिला। पीलीबंगा पूर्व विधायक द्रोपदी मेघवाल और संगरिया सीट से टिकट की दावेदारी जता रही महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष रहीं गुलाब सींवर ने बगावत का एलान कर दिया। द्रोपदी मेघवाल ने तो बीजेपी को महिलाओं की ‘हत्यारिन’ तक करार दिया। इस बाबत एक नेता ने कहाकि अभी इस संबंध में अंतिम फैसला लेना जल्दबाजी होगी। हनुमानगढ़ सीट पर निर्णय होना शेष है। दो दिन पहले सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सुमन चावला को जॉइन करवाने के लिए एक रणनीति हो सकती है।
उधर, कांग्रेस ने भी दो टिकट फाइनल किए लेकिन उनमें महिला कार्यकर्ताओं के नाम नहीं हैं। संगरिया से महिला टिकटार्थियों की आस टिकी हुई है। देखना यह है कि भाजपा और कांग्रेस महिला आरक्षण हितैषी होने का प्रमाण देने के लिए कम से कम एक सीट पर महिला को मौका देती है या नहीं।
उधर, कांग्रेस ने भी दो टिकट फाइनल किए लेकिन उनमें महिला कार्यकर्ताओं के नाम नहीं हैं। संगरिया से महिला टिकटार्थियों की आस टिकी हुई है। देखना यह है कि भाजपा और कांग्रेस महिला आरक्षण हितैषी होने का प्रमाण देने के लिए कम से कम एक सीट पर महिला को मौका देती है या नहीं।