भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
जिले की पांच सीटों के लिए 82.52 फीसद मतदान के बाद परिणामों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। कमोबेश सभी उम्मीदवार अपने समर्थकों के फीडबैक रूपी सूत्र से वोटों का गणित सुलझाते नजर आए। काबिलेगौर है कि नोहर और भादरा में पिछले साल की तुलना में मतदान करने वालों की तादाद में बढोत्तरी हुई है। नोहर में इस बार 84.27 फीसद मतदान हुआ है जबकि पिछले चुनाव में महज 81.45 फीसद मतदान हुआ था। तीन प्रतिशत वोट बढना सत्तापक्ष के लिए प्रतिकूल माना जाता है। वहीं, भादरा में भी पिछले चुनाव में महज 80.50 फीसद मतदान हुआ था जो इस बार बढ़कर 82.47 फीसद हो गया। यानी दो फीसद वोट ज्यादा। ऐसे में भादरा में निर्वतमान विधायक के लिए खतरा माना जा रहा है।
हनुमानगढ़ में पिछले चुनाव में 83.20 प्रतिशत वोट पड़े थे जो इस बार घटकर 80.07 फीसद रह गए। वहीं, पीलीबंगा और संगरिया में भी मतदान के प्रति अरुचि देखी गई। पीलीबंगा में पिछले चुनाव में 84.60 प्रतिशत वोट पड़े थे जो इस बार घटकर 82.54 फीसद रह गए। यानी दो प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। संगरिया में भी पिछले चुनाव की तुलना करीब 4 फीसद वोट कम पड़े हैं। पिछले चुनाव में जहां 87.09 प्रतिशत मतदान हुआ वहीं इस बार महज 83.53 फीसद। चूंकि पीलीबंगा में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है, इसलिए परिणाम को लेकर असमंजस की स्थिति है। हालांकि यहां पर कांग्रेस मजबूत स्थिति में बताई जा रही है।
हनुमानगढ़ में पिछले चुनाव में 83.20 प्रतिशत वोट पड़े थे जो इस बार घटकर 80.07 फीसद रह गए। वहीं, पीलीबंगा और संगरिया में भी मतदान के प्रति अरुचि देखी गई। पीलीबंगा में पिछले चुनाव में 84.60 प्रतिशत वोट पड़े थे जो इस बार घटकर 82.54 फीसद रह गए। यानी दो प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। संगरिया में भी पिछले चुनाव की तुलना करीब 4 फीसद वोट कम पड़े हैं। पिछले चुनाव में जहां 87.09 प्रतिशत मतदान हुआ वहीं इस बार महज 83.53 फीसद। चूंकि पीलीबंगा में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है, इसलिए परिणाम को लेकर असमंजस की स्थिति है। हालांकि यहां पर कांग्रेस मजबूत स्थिति में बताई जा रही है।
उदासीन होते जा रहे वोटर्स
मतदान में कमी का सबसे बड़ा कारण मतदाताओं में उदासीनता को माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि दलों के कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता के कारण मतदाता बूथ तक जाने से परहेज करते रहे। हनुमानगढ सीट की बात करें तो यहां पर तिकोना मुकाबला होने के कारण मतदान का परसेंटेज बढ़ने के आसार थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शहरी लोगों में भी बदलाव को लेकर जो संभावनाएं देखी जा रही थी, उसमें कमी नजर आई। इससे साफ लगता है कि लोग पार्टियों के प्रति मोह से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। उनमें पार्टियों को लेकर एक आकर्षण बना हुआ है। यह दीगर बात है कि हनुमानगढ़ सीट पर ओबीसी बनाम मूल ओबीसी का मुद्दा भी मुखर रहा। वहीं, कांग्रेस अपने परंपरागत वोट बैंक को लेकर आश्वस्त है। भाजपा नेता भी इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिस तरह बीजेपी ब्राह्मण व वैश्य वोटर्स में मजबूत पैठ मानती है उसी तरह एससी व मुस्लिम वोटर्स को कांग्रेस अपना मानती रही है।
वरिष्ठ पार्षद महादेव भार्गव ‘भटनेर पोस्ट डॉट कॉम’ से कहते हैं, ‘पार्टियों के परपंरागत वोटर्स होते हैं। हनुमानगढ में भी यह स्थिति है। यह सच है कि तिकोना संघर्ष की वजह से दोनों पार्टियों के परंपरागत वोटर्स थोड़े नर्वस जरूर थे लेकिन उन्होंने अपवाद को छोड़कर अपनी जगह नहीं छोड़ी। हर जगह उनकी उपस्थिति साफ नजर आई। दोनों पार्टियों से दूरी बनाकर रखने वाला भी एक तबका है जो निर्दलीय प्रत्याशी की तरफ शिफ्ट हुआ।’
वरिष्ठ पार्षद महादेव भार्गव ‘भटनेर पोस्ट डॉट कॉम’ से कहते हैं, ‘पार्टियों के परपंरागत वोटर्स होते हैं। हनुमानगढ में भी यह स्थिति है। यह सच है कि तिकोना संघर्ष की वजह से दोनों पार्टियों के परंपरागत वोटर्स थोड़े नर्वस जरूर थे लेकिन उन्होंने अपवाद को छोड़कर अपनी जगह नहीं छोड़ी। हर जगह उनकी उपस्थिति साफ नजर आई। दोनों पार्टियों से दूरी बनाकर रखने वाला भी एक तबका है जो निर्दलीय प्रत्याशी की तरफ शिफ्ट हुआ।’
अप्रत्याशित परिणाम की उम्मीद
देखा जाए तो हनुमानगढ़ जिले की पांचों सीटों को लेकर पुख्ता आकलन किसी के पास नहीं है। पीलीबंगा सीट को छोड़ दे ंतो किसी सीट के लिए कोई स्पष्ट तौर पर कुछ कहने के लिए तैयार नहीं। पीलीबंगा में जरूर कांग्रेस प्रत्याशी को बढ़त मिलने की संभावना जताई जा रही है। हनुमानगढ़ सीट तिकोने संघर्ष में फंसी है, इसलिए यहां पर सबके समीकरण फेल होते दिख रहे हैं। यहां पर अप्रत्याशित परिणाम की पूरी उम्मीद है। संगरिया में जिस तरह आखिरी समय कांग्रेस प्रत्याशी ने मजबूती दिखाई, उससे भले सीट तिकोने संघर्ष में फंसी हुई है लेकिन कांग्रेस को कमजोर आंकना भी जल्दबाजी होगी। नोहर और भादरा में भी कड़े मुकाबले के आसार हैं। इसलिए कुछ भी कह पाना संभव नहीं।