भटनेर पोस्ट न्यूज. जयपुर.
बीजेपी की कमान सांसद सीपी जोशी को मिलते ही राज्य की सियासत में चर्चाएं परवान पर हैं। राजनीतिक के जानकार इस नियुक्ति के मायने तलाशने में जुटे हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर ‘भटनेर पोस्ट’ को बताया कि जोशी का नाम असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया और निवर्तमान अध्यक्ष सतीश पूनिया ने ही सुझाया है। हां, जोशी के नाम पर मुहर लगाने का कार्य गृह मंत्री अमित शाह ने किया है। दरअसल, जोशी आरएसएस पृष्ठभूमि से आते हैं और छात्र संघ अध्यक्ष से राजनीतिक कॅरिअर की शुरुआत कर चुके हैं। संगठन चलाने का उनके पास अच्छा खासा तर्जुबा है। भाजपा को इस वक्त ऐसे ही चेहरे की तलाश थी जो न सिर्फ वैचारिक रूप से मजबूत हो बल्कि कुशल संगठक की पहचान भी रखता हो। इसके अलावा वह शख्स राज्य में राजे, पूनिया और शेखावत को एक साथ साधने या यूं कहें अलग-अलग बन चुके पावर सेंटर के बीच संतुलन साधने में माहिर हो। भाजपा के वरिष्ठ नेता के मुताबिक, इन कसौटियों पर सीपी जोशी पूरी तरह फिट नजर आए। जोशी भले चर्चाओं में न रहे हों लेकिन उनकी लोकप्रियता बेमिसाल है। उन्होंने कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष गिरिजा व्यास को हराकर खुद को साबित किया था। सहकारिता से जुड़ी एक समिति में वे अमित शाह के साथ काम कर रहे हैं। अमित शाह उनकी काबिलियत से परिचित हैं और इसका फायदा उन्हें मिला है। चंद्रप्रकाश जोशी की राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र जीवन से हुई थी। वे 1994 में चित्तौड़गढ़ कॉलेज छात्रसंघ में उपाध्यक्ष बने। अगले ही साल 1995 में वे चित्तौड़गढ़ कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष बने। वर्ष 2000 से लेकर 2005 तक वे जिला परिषद सदस्य रहे। 2005 से 2010 तक चित्तौड़गढ़ की भदेसर पंचायत समिति के उप प्रधान रहे। वे चित्तौड़गढ़ भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। प्रदेश भाजपा संगठन में वे सितंबर 2014 से 2017 तक प्रदेश युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे। अभी पूनिया की टीम में वे प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर काम कर रहे थे। जानकारों का कहना है कि भाजपा को ऐसा मुखिया मिला है जो न सिर्फ युवा है बल्कि जमीनी पकड़ रखने वाला भी है। इससे पार्टी को भरपूर फायदा मिलने के आसार हैं।