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आखिरकार राजस्थान समेत पांच राज्यों में चुनावी बिगुल बज गया। आदर्श आचार संहिता लगने के चंद घंटे बाद भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। लिस्ट में 41 प्रत्याशियों को चुनावी समर में उतारने का एलान किया गया है इनमें सात सांसद और दो पूर्व सांसद हैं। काबिलेगौर है कि बीजेपी ने लोकसभा सदस्यों पर दांव खेलकर चुनावी संघर्ष को बेहद दिलचस्प बना दिया है। माना जा रहा है कि पार्टी इस बहाने तीन रणनीति पर काम कर रही है। एक तो पार्टी के कमजोर प्रत्याशियों की छंटनी करना। दूसरा, कांग्रेस के दिग्गजों को उनकी सीट पर घेरना और तीसरा लोकसभा सदस्यों को आम चुनाव से पहले लोकप्रियता की कसौटी पर कसना। इस तरह पार्टी ने तमाम चर्चाओं पर विराम लगाते हुए यह सूची जारी कर सबको हैरान कर दिया है। चर्चा यह भी थी कि बीजेपी सनातन धर्म को बढ़ावा देने का दम भरती है इसलिए श्राद्ध पक्ष में वह सूची जारी नहीं करेगी लेकिन पार्टी ने इस तरह के कयासों को खारिज कर दिया।
पहली लिस्ट जारी करने के लिए पार्टी ने कूटनीतिक दक्षता का परिचय दिया है। लक्ष्मणगढ़ पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का गृहक्षेत्र है, यहां से बीजेपी ने कांग्रेस से आए सुभाष महरिया को मैदान में उतारा है। महरिया कई चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में उनके लिए भी यह चुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं। माना जा रहा है कि बीजेपी इसी बहाने डोटासरा को लक्ष्मणगढ़ में घेरकर रखना चाहती है। गौरतलब है कि डोटासरा विपरीत परिस्थितियों में चुनाव जीने के लिए जाने जाते हैं। लक्ष्मणगढ़ से उनका टिकट फाइनल माना जा रहा है।
पार्टी ने पूर्व सीएम वसुंधराराजे के खास सिपहसालार व पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत और पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के दामाद व पूर्व मंत्री नरपत सिंह राजवी का टिकट काटकर यह मैसेज देने का प्रयास किया है कि वह सत्ता हासिल करने के लिए किसी तरह की चुनौती लेने की स्थिति में नहीं है। उसे किसी तरह जीतने लायक उम्मीदवार चाहिए। बताया जा रहा है कि जयपुर के विद्याधरनगर से नरपत सिंह राजवी और उनके बेटे अभिमन्यु सिंह राजवी तैयारी कर रहे थे। अभिमन्यु हर वर्ग में बेहद लोकप्रिय हैं लेकिन पार्टी ने उनकी जगह सांसद दीया कुमार पर भरोसा जताया है। वहीं झोटवाड़ा से राजपाल सिंह शेखावत की जगह सांसद राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ को मैदान में उतारा है। तिजारा से सांसद बालकनाथ योगी और कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला के बेटे विजय सिंह बैसला को टिकट देकर गुर्जर वोट बैंक को आकर्षित करने का प्रयास किया हैं।
पार्टी ने पहली सूची में वसुंधराराजे के करीबियों के नाम पर कैंची चलाई है जिसमें एक पूर्व मंत्री खेमाराम मेघवाल भी हैं।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने ‘भटनेर पोस्ट’ को बताया कि राजस्थान चुनाव जीतना अब नाक का सवाल है। ऐसे में बीजेपी आलाकमान राजे के बिना खुद की मजबूती प्रदर्शित करना चाहता है। वे इस बात से इनकार नहीं करते कि पूरी लिस्ट में आरएसएस का प्रभाव रहा है। बड़ी बात यह कि बीजेपी ने इस सूची के माध्यम से यह भी मैसेज देने का प्रयास किया है कि उम्र के लिहाज से 70 प्लस वाले जीतने योग्य नेताओं को घबराने की जरूरत नहीं। उनका परफॉर्मेंस ही उन्हें चुनाव मैदान में उतारेगा। मतलब साफ है, आने वाली सूचियों में उम्र को लेकर पूर्व निर्धारित योग्यता में पार्टी ने संशोधन करने का फैसला कर लिया है।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने ‘भटनेर पोस्ट’ को बताया कि राजस्थान चुनाव जीतना अब नाक का सवाल है। ऐसे में बीजेपी आलाकमान राजे के बिना खुद की मजबूती प्रदर्शित करना चाहता है। वे इस बात से इनकार नहीं करते कि पूरी लिस्ट में आरएसएस का प्रभाव रहा है। बड़ी बात यह कि बीजेपी ने इस सूची के माध्यम से यह भी मैसेज देने का प्रयास किया है कि उम्र के लिहाज से 70 प्लस वाले जीतने योग्य नेताओं को घबराने की जरूरत नहीं। उनका परफॉर्मेंस ही उन्हें चुनाव मैदान में उतारेगा। मतलब साफ है, आने वाली सूचियों में उम्र को लेकर पूर्व निर्धारित योग्यता में पार्टी ने संशोधन करने का फैसला कर लिया है।
उधर, राजस्थान की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक अरुण कुमार झा बताते हैं, ‘पहली लिस्ट के तीन मायने हैं। पहला, इस बहाने आलाकमान ने वसुंधराराजे को झटका दिया है। उनके खास सिपलसालारों को चुनावी समर में नहीं उतारना इस बात का पुख्ता संकेत है। दूसरा, टिकट वितरण में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और राज्यसभा सदस्य डॉ. किरोड़ीलाल मीणा की चली है। तीसरी बात, पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह तमाम सर्वे और व्यक्तिगत दौरों से यह समझ चुके हैं कि राजस्थान में बीजेपी कमजोर है।’ जाहिर है, अब सबकी नजर बीजेपी की दूसरी लिस्ट पर टिकी है।