पूनम कुमावत.
परीक्षा के दौरान माता-पिता और बच्चों के बीच का संबंध एक विशेष भूमिका निभाता है जो बच्चों के प्रदर्शन, कॅरियर और समग्र कल्याण पर बहुत गहरा प्रभाव छोड़ सकता है। माता-पिता का सकारात्मक संवाद बच्चे के अध्ययन के माहौल और आत्मविश्वास को सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण कर देता है, जबकि अत्यधिक दबाव या नकारात्मक टिप्पणियां बच्चों में तनाव और चिंता को बढ़ा सकती हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास और आत्मसम्मान कम होने लगता है तथा परीक्षा के दौरान वे खुद पर संदेह करने लगते हैं। ऐसी परिस्थितियों में वे अपनी पढ़ाई में रुचि खो सकते हैं तथा उनकी परीक्षा तैयारी पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है अतः इस महत्वपूर्ण समय में
अभिभावक इन छोटी- छोटी किंतु महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देकर अपनी भूमिका तय कर सकते हैं:
अभिभावक इन छोटी- छोटी किंतु महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देकर अपनी भूमिका तय कर सकते हैं:
मेंटल सपोर्ट(मानसिक संबलन):
माता-पिता द्वारा बच्चों के प्रयासों हेतु उनकी सराहना में कहे गए चंद शब्द उनकी लक्ष्य प्राप्ति में एक बूस्टर का कार्य करते हैं। माता-पिता का समर्थन और विश्वास बच्चों को परीक्षा के दौरान अधिक शांत व केंद्रित करने में सहायक होता है।
माता पिता अपने बच्चों को अपना सौ फीसद एफर्ट लगाने को कहे और उन्हें विश्वस्त करे कि परिणाम की बिल्कुल भी चिंता न करे। हमारे लिए आपकी मेहनत मायने रखती है, परिणाम जो भी आएगा स्वीकार्य होगा। बस इसी से उन पर नंबर वन आने का प्रेसर हट जाएगा और वे बिना किसी दबाव के अच्छी तैयारी कर पाएँगे।
माता पिता अपने बच्चों को अपना सौ फीसद एफर्ट लगाने को कहे और उन्हें विश्वस्त करे कि परिणाम की बिल्कुल भी चिंता न करे। हमारे लिए आपकी मेहनत मायने रखती है, परिणाम जो भी आएगा स्वीकार्य होगा। बस इसी से उन पर नंबर वन आने का प्रेसर हट जाएगा और वे बिना किसी दबाव के अच्छी तैयारी कर पाएँगे।
रिसोर्स सपोर्ट (संसाधन संबलन):
माता-पिता उनके लिए उत्तम अध्ययन सामग्री, ट्यूशन सहायता या अन्य टेक्निकल संसाधन उपलब्ध करा सकते हैं, जिनकी बच्चों को उनकी तैयारी में आवश्यकता होती है। पैरेंट्स उन्हें अध्ययन का सकारात्मक शांत और सुव्यवस्थित माहौल दे सकते हैं, जो बच्चों को ध्यान केंद्रित करने और प्रभावी ढंग से अध्ययन करने में मदद करता है।
फिजिकल सपोर्ट(शारीरिक संबलन):
परीक्षा के दौरान बच्चों के खाने पीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए, जितना संभव हो, उन्हें यथा समय संतुलित व पौष्टिक आहार दें ताकि उनमें एनर्जी बनी रहे।
स्पिरिचुअल सपोर्ट(आध्यात्मिक संबलन):
आज के इस कंपीटीशन दौर में हर माता-पिता अपने बच्चों को सफल बनाना चाहते हैं परंतु घर में प्रायः एक नकारात्मक ऊर्जा रिलीज करते देखे जाते हैं; जैसे, बच्चे पढ़ते ही नहीं है। इनका दिमाग ही ऐसा है। ये कंसंट्रेशन ही नहीं बना पाते। इन्हें याद ही नहीं रहता। पढ़ाई में मन ही नहीं लगता। परीक्षा इनके वश की बात ही नहीं ।
ऐसे में कोई बच्चा, कैसे पॉजिटिव एनर्जी के साथ पढ़ पाएगा! अतः पैरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चों के लिए हमेशा पॉजिटिव एनर्जी का संचार करें और सफलता के जिस मुकाम पर उसे देखना चाहते हैं उसी का आशीर्वाद दें। उपर्युक्त सारी नेगेटिविटी को पॉजिटिव एनर्जी में बदल दें, सर्वविदित है कि जैसा बीज बोया जाता है, फसल भी वैसी ही होती है।
माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि हर बच्चा अलग है ,उनकी अध्ययन की आदतें और परीक्षा के लिए तैयारी करने का तरीका अलग-अलग होता है। माता-पिता को अपने बच्चे की व्यक्तिगत जरूरतों और सीखने की शैली को समझकर उसके अनुसार व्यवहार और उनका समर्थन करना ही समुचित परिणाम देय हो सकता है।
( लेखिका शिक्षाविद् व कॅरियर काउंसलर हैं)