गोपाल झा.
यूथ से संवाद करना अच्छा लगता है। अरसे बाद चाणक्य क्लासेज के युवाओं से मुखातिब होने का अवसर मिला। चाणक्य क्लासेज के डायरेक्टर राज तिवाड़ी को अपने सामाजिक दायित्व का बखूबी अहसास है। उन्होंने अंबेडकर जयंती पर एक संकल्प लिया था। जरूरतमंद परिवारों के 50 युवाओं को प्रतियोगी परीक्षा की छमाही कोर्सेज निःशुल्क करवाने का संकल्प। युवाओं की डिमांड को देखते हुए 64 विद्यार्थियों का चयन किया गया।
आम परिवारों के इन मेधावी बच्चों से मिलकर बेहद सुकून मिला। बच्चे आत्मविश्वास से लबरेज नजर आए। चेहरे पर मुस्कुराहट, मन में उमंग और उज्ज्वल भविष्य की तरफ बढ़ने की ललक। बेशक, इन बच्चों को देखकर तसल्ली होती है कि अभी बहुत कुछ अच्छा होने वाला है। हालात पूरी तरह बिगड़े नहीं हैं अभी। बशर्ते कि चिंता करने के बजाय प्रबुद्ध लोग चिंतन करें और इस तरह सकारात्मक पहल करते रहें ताकि बेहतर करने का स्वप्न संजोने वाले युवाओं को उचित अवसर तो मिले। कहने से गुरेज नहीं कि चाणक्य क्लासेज के डायरेक्टर राज तिवाड़ी ने 64 बच्चों को छह माह के लिए निःशुल्क कोचिंग देने का महान कार्य किया है। इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की जानी चाहिए।
युवाओं ने पत्रकारिता, समय प्रबंधन, एकाग्रता और जॉब चयन को लेकर सवाल भी पूछे। अच्छा लगा कि युवा जिज्ञासु हैं। सफलता हासिल करने के लिए जिज्ञासु होना बेहद जरूरी है।
अभिभावकों की उम्मीदें पूरी करना बच्चों का दायित्व है। इसमें किसी तरह की कोताही नहीं बरतनी चाहिए। चाणक्य क्लासेज के डायरेक्टर राज तिवाड़ी ने एक अवसर दिया है, यह इन युवाओं के लिए टर्निंग पॉइंट भी हो सकता है। बशर्ते कि युवा इसके मायने को समझें। डिप्टी डायरेक्टर शिव पारीक पूरे कार्यक्रम में परिचित अंदाज में प्रसन्नचित्त नजर आए। आखिर में इन युवाओं से इस भरोसे के साथ विदा लिया कि पांच महीने में कम से कम पांच बार जरूर मिलेंगे। सचमुच, युवाओं को दिशा देने की जरूरत है, बाकी काम तो ये खुद कर लेंगे। ये युवा खुद में अनंत संभावनाओं को समेटे हुए हैं।