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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सियासत ही नहीं, शब्दों के भी जादूगर माने जाते हैं। उनके भाषण का मतलब होता है, वो भी सियासी। मसलन, आज यानी मंगलवार को उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि राजनीति पर बात नहीं करना चाहता। फिर बातों ही बातों में केंद्र सरकार पर बडे हमले कर दिए। ‘राजस्थान मिशन, 2030, प्रगति की गति 10 गुना‘ के समारोह में बोलते हुए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) की चर्चा की। उन्होंने कहा कि उन लोगों ने जिद पकड रखी है कि इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं करेंगे तो मेरी भी जिद है कि इस काम को पूरा करेंगे और अपने दम पर करेंगे। वो जिद्दी हैं तो मैं भी काम करने के मामले में जिद्दी हूं। इस पर जितना खर्चा होगा, वह राजस्थान सरकार उठाएगी। इससे 13 जिलों को फायदा होगा लेकिन कुछ लोगों को यह बात समझ में नहीं आ रही। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि मैं किसी का नाम नहीं ले रहा हूं लेकिन आप लोग समझ गए ना, इस पर बिडला सभागार ठहाकों से गूंज उठा।
गहलोत ने अपने बचपन के दिन याद करते हुए कहा कि उस जमाने में राजस्थान को लेकर अकाल और सूखे के अलावा कोई बात नहीं होती थी, आज प्रदेश की योजनाओं को लेकर चर्चा होती है। सरकार जिस तरह की योजनाएं प्रदेश में संचालित कर रही है, पूरे देश के किसी भी राज्य में नहीं है। उन्होंने कहा कि बचपन में हम देखते थे कि मोहल्ले में एक नल होता था और उस पर बहुत भीड होती थी। आज देखिए प्रदेश सरकार ने पेयजल पहुंचाने में कोई कमी नहीं रखी। जल जीवन मिशन केवल केंद्र सरकार की ही योजना नहीं है इसमें राज्य सरकार और गांव के लोगों की भी हिस्सेदारी है। राजस्थान सरकार ने फैसला किया है कि मिशन में गांव के लोगों से लिया जाने पैसा नहीं लिया जाएगा, सरकार इसे वहन करेगी।
गहलोत कहा कि प्रदेश के हर व्यक्ति को यह हक है कि वह सपना देखे कि 2030 में राजस्थान कैसा हो। इस बारे वह जो सोचता है उसे सरकार तक पहंुचाए, जो सुझाव अच्छे होंगे उन्हें मिशन, 2030 में शामिल किया जाएगा। ऐसा नहीं है ये केवल सुझाव ही होंगे, इन पर विचार कर, योजना बनाकर, एक निश्चित समय सीमा में इन्हें अमल में भी लाया जाएगा।