खाईके पान बनारसवाला…खुल जाए बंद अकल का ताला…! भला ऐसा कौन होगा जिसने इस गीत का आनंद न लिया हो। बनारस का पान देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। क्या आपको पता है, माता सीता ने भी महावीर हनुमान को लंका पहली भेंट में पान के पत्तों की माला दी थी ? बनारस के पान का गुणगान रहे हैं राजकुमार सोनी…
राजकुमार सोनी.
काशी विश्वनाथ (वाराणसी) की यात्रा के दौरान मेरे एक मित्र ने मुझे फोन करके बनारसी पान खाकर सोशल मीडिया में अपलोड करने के लिए कहा था। वैसे भी मैं बचपन से पान खाने का शौकीन हूं, फिर बनारस जाऊं और वहां का मशहूर पान ना खाऊं, यह कैसे संभव हो सकता था। मैंने आज से 33 साल पहले भी बनारस का पान खाया था और फिर इस यात्रा के दौरान भी कई बार बनारसी पान खाया और फिर से फिर उसे सोशल मीडिया में अपलोड भी किया।
चलो …..आज बनारसी पान की बात करते हैं। बनारस का पान पूरी दुनिया में अपने अलग स्वाद के लिए मशहूर है। यहां पर पान की खेती तो नहीं होती। फिर भी बनारसी पान की अपनी अलग पहचान है। जिसके चलते ‘खाईके पान बनारस वाला….खुल जाए बंद अकल का ताला’ वाला गाना आज भी पान की दुकानों पर सुनने को मिल जाता है। वैसे पान का जिक्र पुराणों में भी मिलता है। मान्यता है कि बनारस का पान भोलेनाथ को अति प्रिय है।
कहते हैं कि पान का पहला बीज भगवान शिव और माता पार्वती ने हिमालय के एक पहाड़ में बोया था इसी वजह से पान के पत्ते को पवित्र पत्ते के रूप में पहचान मिली। आज भी सभी धार्मिक रस्मों में पान के पत्ते का इस्तेमाल होता है। बनारसी पान की विशेषता है कि बेहतरीन स्वाद और मुंह में मलाई की तरह घुल जाना बनारसी पान की खूबी है। बनारस में आपको कई तरह के पान मिल जाएंगे जैसे सादा पान, मीठा पान, गुलाब पान, पंचमेवा पान, जर्दा पान, नवरत्न पान, राजरत्न पान, बनारसी केसर पान, बनारसी गिलोरी पान, बनारसी अमावस पान आदि और इन सब को लगाने और तैयार करने का तरीका भी अलग अलग है।
वही पान का जिक्र रामायण और महाभारत में भी मिलता है। पहली बार महावीर हनुमान जब माता सीता से लंका में मिले और भगवान राम का संदेश पहुंचाया। ऐसा जिक्र आया है कि उस भेंट में माता सीता ने हनुमान को पान की एक माला दी थी। महाभारत में अर्जुन द्वारा किए जाने वाले यज्ञ में पान का वर्णन मिलता है। महाभारत का युद्ध जीतने के बाद अर्जुन द्वारा एक यज्ञ किया जाना था इसके लिए पान के पत्ते की आवश्यकता थी। लेकिन वह कहीं नहीं मिला तो नाग लोक से पान के पत्तों को मंगाना पड़ा। जिसके बाद यज्ञ संपन्न हुआ। पान प्राचीन ही नहीं बल्कि औषधि गुणों से भी भरा हुआ है। आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरी ने भी पान की खूबियों का वर्णन किया है। उन्होंने लिखा है कि पान खाने से पाचन क्रिया दुरुस्त होती है। वही प्राचीन चिकित्सा शास्त्री सुश्रुत का मानना है। पान गले को साफ रखता है जिसके चलते मुंह से दुर्गंध नहीं आती।
बनारस के पान की मशहूर दुकान ‘दिलीप पान भंडार’ बाबा विश्वनाथ की गली में दिलीप चौरसिया खुद पिछले 25 साल से लोगों को बनारसी पान खिला रहे हैं। उनकेे दादा और उनके पिता भी यही काम करते थे। क्या पान बेचने से परिवार का खर्च चल जाता है, दिलीप ने तपाक से कहा, ‘महादेव की ऐसी कृपा है कि गुजारा भी चल जाता है और बच्चों को अच्छी शिक्षा भी दिलवा रहा हूं।’ सच तो यह है कि बनारस में अपवाद को छोडकर हर किसी में ऐसा ही संतोषी भाव नजर आया।
–लेखक भाजपा ओबीसी मोर्चा के श्रीगंगानगर जिलाध्यक्ष रहे हैं