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इसी तरह सीबीआईसी के निर्देश के अनुसार अगर व्यवहारी को एएसएमटी-10 जारी किया जाता है व व्यवहारी द्वारा एएसएमटी-2 में जवाब प्रस्तुत कर दिया जाता है तो अधिकारी को अगर व्यवहारी द्वारा दिया गया जवाब स्वीकार है तो सक्षम अधिकारी को एएसएमटी-12 में जारी कर कार्यवाही का निस्तारण कर दिया जाना चाहिए। अगर व्यवहारी द्वारा दिया गया जवाब अधिकारी को स्वीकार्य नहीं है तो 30 दिन के भीतर आगामी कार्यवाही की जानी चाहिए।
जबकि बार एसोसिएशन हनुमानगढ़ का कहना है कि कार्यालय द्वारा ऐसे कारण बताओ नोटिस जारी किए जाते हैं जिसमें एएसएमटी-10 को जारी हुए 180 दिन से ऊपर हो गए थे फिर भी कार्यालय द्वारा निर्देश की पालना नहीं हुई। कार्यालय द्वारा व्यवहारी को बार-बार सम्पर्क करके या एक साधारण पत्र द्वारा टैक्स व ब्याज जमा करवाने के लिए कहा जाता है जो कि अधिनियम व नियम के अनुसार उचित नहीं है और नियमानुसार गलत है। अध्यक्ष एडवोकेट रोहित अग्रवाल, सचिव सीए जिनेंद्र कोचर और कोषाध्यक्ष सीए अंकुश सिंगला ने अधीक्षक से संबंधित कारण बताओ नोटिस को स्वतः निरस्त कर व्यवहारी को न्याय दिलवाने एवं आगे से ऐसा नहीं करने के लिए पाबंद करने की मांग की है। इस मौके पर अमित कटारिया, साहिल गोयल, ओम प्रकाश अग्रवाल, महेश चाचन, राजेंद्र सिल्लू, अमित, शशांक, संदीप बाघला आदि थे।