कांग्रेस टिकटार्थी: कौन कितने पानी में!

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम. 

हनुमानगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस टिकट के 10 दावेदार सामने आए हैं। इनमें अधिकांश युवा हैं। प्रभारी के सामने जिन दस नेताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया है, ये सब कांग्रेस से जुड़े हुए हैं मतलब ये दल बदल कर नहीं आए बल्कि मूल रूप से कांग्रेसी माने जाते हैं। हां, कुछ ऐसे हैं जो बार-बार नेता बदलने के लिए जाने जाते हैं लेकिन यह राजनीति का दूसरा स्वरूप है। सत्ता हासिल करने और महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए नेता बदलना जरूरी हो जाता है। बावजूद, टिकट के लिए दस नेताओं की दावेदारी से कांग्रेसी खेमे में हलचल जरूर तेज हो गई है। बहरहाल, प्रत्येक आवेदकों की संक्षिप्त प्रोफाइल चेक कीजिए और खुद तय कीजिए कि कौन से नेता कितने पानी में हैं ?

 चौधरी विनोद कुमार: पहली बार साल 1990 में विधायक बने। अब तक चार दफा विधानसभा में हनुमानगढ़ का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। राज्यमंत्री भी रहे। इस वक्त विधानसभा की कई कमेटियों में शामिल हैं। माना जा रहा था कि इस बार वे अपने पुत्र भूपेंद्र चौधरी को टिकट दिलाने का प्रयास करेंगे लेकिन वे ‘रिस्क’ लेने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए खुद भी टिकट के लिए आवेदन किया है।

 सुरेंद्र दादरी: कांग्रेस के भीतर और बाहर भी कुशल संगठक के रूप में जाने जाते हैं। दूसरी बार जिला कांग्रेस कमेटी की कमान मिली है। एनएसयूआई से राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले सुरेंद्र दादरी पीसीसी सचिव के तौर पर महत्वपूर्ण पारी खेल चुके हैं। दादरी ने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है। टिकट की दावेदारी कर उन्होंने सबको जरूर चौंकाया है।

भूपेंद्र चौधरी: सरल स्वभाव के भूपेंद्र चौधरी को लोग भूपेंद्र कड़वा के तौर पर भी जानते हैं। विधायक चौधरी विनोद कुमार के इकलौते बेटे हैं और पूर्व विधायक चौधरी आत्माराम के पौत्र। सियासत से इनके परिवार का पुराना नाता रहा है। भूपेंद्र चौधरी पीसीसी सदस्य हैं। लीलांवाली से सरपंच रह चुके हैं। जिला परिषद सदस्य का चुनाव में असफल होने के बाद उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा।

 गणेशराज बंसल: हनुमानगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सियासी तौर पर इस वक्त सर्वाधिक चर्चित हैं। बीजेपी टिकट के लिए प्रयास करने की अटकलों के बीच गणेशराज बंसल ने कांग्रेस टिकट के लिए आवेदन कर सबको हैरानी कर दिया। हनुमानगढ़ नगरपरिषद में बतौर सभापति विकास कार्यों के लिए फेमस हुए हैं। वे निरंतर ‘विकास के लिए बदलाव’ का नारा देकर जनता की नब्ज टटोलने में जुटे हुए हैं।

 पवन गोदारा: राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त आयोग के अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। यूथ कांग्रेस के दो बार प्रदेशाध्यक्ष रहे। पिछली सरकार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इन्हें राजस्थान यूथ बोर्ड का चेयरमैन बनाया था। पहले सचिन पायलट खेमे में रहे लेकिन बाद में वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुट में शामिल हो गए। पिछली बार चुनाव से पहले हनुमानगढ़ टाउन धान मंडी में तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की सभा भी करवाई थी। 

 हरदीप चहल: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ओबीसी विभाग के नेशनल कॉर्डिनेटर, राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सहित अन्य संगठनों व आयोगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हरदीप चहल ने एनएसयूआई से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज जयपुर छात्र संघ अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद यूथ कांग्रेस में वर्षों तक काम किया। गहलोत खेमे के सशक्त सिपाही के तौर इनकी शिनाख्त होती है। कहा जाता है कि चहल ने निजी स्वार्थ व महत्वाकांक्षा के कारण कभी पाला नहीं बदला यानी गहलोत को नहीं छोड़ा।

 सौरभ राठौड़: कांग्रेस ही नहीं बल्कि गैर कांग्रेसी दलों में भी सौरभ राठौड़ संघर्षशील नेता के तौर पर जाने जाते हैं। कांग्रेस कच्ची बस्ती उन्मूलन प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक के तौर पर जिम्मेदारी मिली तो राठौड़ ने पूरे राज्य में इस संगठन को पहचान दिलाई। किसान आंदोलन हो या फिर हनुमानगढ़ स्पिनिंग मिल बचाने को लेकर संघर्ष। राठौड़ ने अग्रणी भूमिका निभाई। अब राठौड़ की गिनती किसान नेता के तौर पर होती है। टिकट के लिए आवेदन कर राठौड़ एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। 

 रघुवीर तरड़: कांग्रेस के समर्पित सिपाही के तौर पर जाने जाते हैं। शिक्षा जगत से जुड़े हुए हैं। राजस्थान प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। रघुवीर तरड़ मूलतः रावतसर से हैं। बहरहाल, रावतसर नगरपालिका के पार्षद हैं और जिला आयोजना समिति सदस्य भी। जाट समाज में गहरी पैठ है। आदर्श जाट समाज के राष्टीय महासचिव के तौर पर सेवारत हैं।

नवनीत पूनिया: एनएसयूआई से सियासी क्षेत्र में कदम रखने वाले नवनीत पूनिया छात्र राजनीति में चर्चित शख्सियत हैं। शेरेकां से सरपंच हैं और यूथ कांग्रेस लोकसभा क्षेत्र के महासचिव भी। नवनीत पूनिया पिछले चुनाव से ही टिकट के लिए दावेदारी जता रहे हैं। यूथ कांग्रेस से निकले खेल मंत्री अशोक चांदना समेत कई अन्य युवा नेताओं के साथ पूनिया के गहरे संबंध हैं।

 हरप्रीत सिंह ढिल्लों: युवा नेता के तौर पर उभर रहे हैं। एनएसयूआई से राजनीति में कदम रखा और यूथ कांग्रेस में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए जाने गए। स्पिनिंग मिल बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े, सक्रिय रहे। फिर किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। अब किसान नेता के तौर पर पैठ बनाने में सफल रहे। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खास सिपहसालार माने जाते हैं। 

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