आचरण में उतरेंगे श्रीराम तो सार्थक होगी रामनवमी

गोपाल झा.
श्रीराम। सुनने मात्र से मन शांत हो जाता है। हृदय के भीतर प्रकाश का अहसास होने लगता है। यही श्रीराम नाम का चमत्कार है। श्रीराम असाधारण हैं लेकिन साधारण मानव की भांति जीवन व्यतीत करते हैं। बेहद शक्तिशाली हैं लेकिन शरणगात की रक्षा करते हैं। श्रीराम दुश्मन के लिए भी आदर का भाव रखते हैं। श्रीराम त्यागी हैं, आज्ञाकारी हैं, लोकाचार के समर्थक हैं। नीति पर चलने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। सादगी के प्रतीक हैं। शत्रुओं के प्रति भी कटु वचन नहीं कहते। उनके चेहरे पर हर क्षण मोहक मुस्कान रहती है। क्रूरता के भाव उनके आस-पास भी नहीं फटकते। इसलिए तो पावन और निर्मल हैं श्रीराम।
श्रीराम। आडम्बरों से दूर हैं। कुरीतियों पर चोट करने वाले हैं। शबरी के जूठे बेर खाने वाले हैं। उनके मन में किसी के प्रति कोई भेद नहीं। समस्त जीव-जंतुओं को अपने साथ रखने वाले। उन्हीं के दम पर लंका विजय करने वाले।
श्रीराम कलियुग में भी प्रासंगिक हैं। सत्ता हासिल करने वाले उन्हें सीढ़ियों की तरह इस्तेमाल करते हैं। हर कोई ‘रामराज’ का स्वप्न दिखाता है। कैसा रामराज ? बढ़ती महंगाई। चहुंओर भ्रष्टाचार। सत्ता के खिलाफ ‘चूं’ करने वालों पर सख्ती। चेहरों पर क्रूरता के भाव। कहने को सेवक लेकिन मन, कर्म और वचन से कठोर शासक। कहने को लोकतंत्र लेकिन मन, कर्म और वचन से तानाशाही। यकीन मानिए, ऐसे लोग श्रीराम के समर्थक नहीं हो सकते। अगर हम श्रीराम के भक्त हैं, अनुयायी हैं तो हमारे संस्कार और चरित्र में भी श्रीराम का पावन भाव परिलक्षित होना चाहिए।
आज श्रीराम का अवतरण दिवस है। श्रीराम को पढ़ने, समझने और महसूस करने की जरूरत है। श्रीराम के आदर्श को जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है। श्रीराम के ‘नकली’ अनुयायियों को बेनकाब करने की जरूरत है ताकि श्रीराम पर किसी को अंगुली उठाने का अवसर न मिले।
सच तो यह है कि इस दौर में हम सिर्फ धार्मिक दिखने की कोशिश कर रहे हैं, धार्मिक होने की नहीं। सनातन धर्म में कट्टरता का कोई स्थान नहीं है। पूरी तरह लचीलापन है इसमें। अफसोस, सत्ता के भूखे ‘भेड़ियों’ ने सनानत धर्म के मूल सिद्धांत पर ही प्रहार कर दिया है। आज देश में चहुं ओर घृणा का माहौल है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसफ हेट स्पीच के मामले की सुनवाई करते हुए कहते हैं, ‘यह 21वीं सदी है। हम धर्म के नाम पर कहां आ पहुंचे हैं? हमें एक धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु समाज होना चाहिए, लेकिन आज घृणा का माहौल है। सामाजिक तानाबाना बिखरा जा रहा है। हमने ईश्वर को कितना छोटा कर दिया है। उसके नाम पर विवाद हो रहे हैं।’
सचमुच, यही हालात हैं, इन दिनों। खैर। आज रामनवमी है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का अवतरण दिवस। आइए, प्रण करें कि हम श्रीराम के जीवन से प्रेरणा लें। उनके विराट व्यक्तित्व के आदर्शो के कुछ अंश को अपने जीवन में आत्मसात करें। इससे खुद का कल्याण होगा। जीवन सरल और सहज हो जाएगा। सुयश का संचार होगा। परिवार, समाज और देश में ‘रामराज’ की अनुभूति होगी। बेशक, हमारे आचरण में उतरेंगे श्रीराम तभी सार्थक होगी रामनवमी। श्रीराम, हम सबका कल्याण करें। आप सबको श्रीराम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं। श्रीराम, जय राम, जय-जय राम। 

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