





भटनेर पोस्ट डेस्क.
हनुमानगढ़ विधायक गणेशराज बंसल और सीनियर सर्जन डॉ. निशांत बतरा के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। अब विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल ने विधायक के खिलाफ आकर माहौल को और गर्मा दिया है। 18 जून को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की संयुक्त बैठक हुई। मुख्य एजेंडा था, निर्दलीय विधायक गणेशराज बंसल द्वारा विहिप जिलाध्यक्ष को कथित रूप से जान से मारने की धमकी देना और उसके बाद प्रशासनिक दबाव में उठाए गए कार्रवाई के कदम।

बताया जा रहा है कि बीते सप्ताह से संगठन के पदाधिकारी जिला प्रशासन से मामले को सुलझाने की दिशा में प्रयासरत थे, लेकिन मंगलवार को स्थिति तब और गंभीर हो गई, जब स्वास्थ्य विभाग, सीएमएचओ और नगर परिषद की टीम डॉ. बत्रा के निजी अस्पताल में जांच के लिए पहुंची। टीम ने अस्पताल की माप-जोख की, और उसे कथित रूप से ‘अवैध’ करार दिया। हिंदूवादी संगठनों ने इस कार्रवाई को विधायक के निर्देश पर होना बताया है। विश्व हिन्दू परिषद के जिला उपाध्यक्ष राजेश जोशी ने बैठक में इस घटनाक्रम की तीव्र निंदा करते हुए इसे ‘संगठन के पदाधिकारियों के सम्मान पर सीधा हमला’ बताया। उन्होंने कहा, ‘भाजपा सरकार में विहिप जैसे राष्ट्रवादी संगठन के कार्यकर्ताओं को डराने की कोशिश निंदनीय है। अगर यही रवैया रहा तो कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटेगा और आस्था पर चोट पहुंचेगी।’ उन्होंने स्पष्ट किया कि संगठन अब इस मामले को हल्के में नहीं लेगा। जोशी ने बताया कि संगठन ने केंद्र व प्रांत स्तर के नेतृत्व को स्थिति से अवगत करवा दिया है, और यदि प्रशासन ने जल्द कोई संतोषजनक कदम नहीं उठाया, तो सड़क से सदन तक आंदोलन की भूमिका तैयार है।

बैठक में तय किया गया कि 25 जून को जिला कलेक्ट्रेट का घेराव किया जाएगा। यह प्रदर्शन विरोध का पहला बड़ा चरण होगा, जिसमें संगठन के कार्यकर्ता, पदाधिकारी और समर्थक जनभागीदारी करेंगे। विहिप ने यह भी स्पष्ट किया कि संगठन का कोई भी कार्यकर्ता डरने वाला नहीं है। हम न न्याय से पीछे हटेंगे, न संघर्ष से। पूरा विहिप परिवार डॉ. निशांत बत्रा के साथ खड़ा है।
इस विवाद ने हनुमानगढ़ की सियासत को भी गर्मा दिया है। निर्दलीय विधायक गणेशराज बंसल पहले भी अपने आक्रामक तेवर के लिए चर्चा में रह चुके हैं, लेकिन इस बार मामला सीधा धार्मिक-सामाजिक संगठन के शीर्ष पदाधिकारी से जुड़ा है, जिससे टकराव के स्वर और तीखे हो गए हैं।
हनुमानगढ़ में विहिप बनाम विधायक का यह टकराव अब स्थानीय दायरे से बाहर निकलकर राज्यस्तरीय राजनीति और प्रशासनिक प्रणाली की कसौटी पर आ गया है। आने वाले दिन तय करेंगे कि यह मामला केवल एक अस्पताल की वैधता तक सीमित रहेगा या एक बड़ा सामाजिक आंदोलन बनकर उभरेगा।




