जिओ हो बिहार के लाला

एमएल शर्मा.
जयपुर का सवाई मानसिंह स्टेडियम। अप्रैल महीने की 19 तारीख। आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स व लखनऊ सुपर जायटंस के मैच की दूसरी पारी में नजारा। जैसे ही आरआर की तरफ से इंपैक्ट प्लेयर के तौर पर वैभव सूर्यवंशी ने मैदान में कदम रखा दर्शक दीर्घा इस किशोरवय बल्लेबाज के सम्मान में तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी। महज 14 वर्षीय खिलाड़ी ने क्रिकेट की दुनिया में नामुमकिन को मुमकिन कर दिया। डेब्यू मैच में पहली ही गेंद पर शानदार छक्का। दर्शक झूम उठे। मात्र 20 गेंदों में दनादन 34 रन। लखनऊ टीम तो छोड़िए राजस्थान के कोच राहुल द्रविड़ भी भौंचक्के रह गए। स्टांप आऊट होने पर वैभव का बयान कि पहले मैच में शतक अथवा अर्धशतक नहीं बना पाने का मलाल रह गया इसलिए आंखे नम हो गई।
अब जरा इस खिलाड़ी का फ्लैश बैक
बिहार का समस्तीपुर जिला। ब्लॉक का नाम है ताजपुर। मोतीपुर गांव में सुबह 3 बजे से एक मां अपने 8 साल के बेटे के लिए नाश्ता बना रही है। वक्त कम है क्योंकि बेटे को बस पकड़नी है। दरवाजे पर पिता इंतज़ार कर रहे हैं। उन्हें लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तय करनी है। पटना पहुंचना है। ग्लोबल वार्मिंग अभी गांव तक नहीं पहुंची थी, इसलिए महीनों का मान रखते हुए अक्टूबर में भी पर्याप्त ठंड है।
पटना के स्टेडियम में लड़का 3 घंटे तक बल्ला भांज रहा है, अपनी बल्लेबाजी से कोहराम मचा रहा है। बिना रुके, बिना थके। भूख क्या है, पता नहीं। थकान क्या है, अंदाजा ही नहीं है। जरा देर सुस्ताने के बाद खेल पुनः शुरू होता है। सूरज ढल रहा है। घर लौटने का वक्त है। सौ किलोमीटर वापस मोतीपुर भी आना है। इंतजार करती मां और हफ्ते के 4 दिन 200 किलोमीटर का शारीरिक श्रम करते किसान पिता को उम्मीद है कि बेटे की मेहनत एक दिन रंग लाएगी। यह सिलसिला पिछले कुछ सालों से लगातार चला आ रहा है।
दरअसल संघर्ष एक ऐसे राज्य में जारी था, जहां खिलाड़ियों के लिए अवसरों के साथ-साथ ‘बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर’ की भी भारी कमी है। एक ऐसे राज्य में जहां लड़के-लड़कियों को खेलने के लिए पलायन करना पड़ता है वहां एक परिवार का इतना साझा संघर्ष क्या वाकई फलीभूत हो सकता था? लेकिन बिना मायूस हुए सतत मेहनत का सुखद परिणाम हमारे सामने है। भले ही राजस्थान रॉयल्स यह मैच हार गई परन्तु वैभव की यह पारी क्रिकेट प्रेमियों को हमेशा याद रहेगी। एक माता-पिता के संघर्ष को नियति देख रही थी और रच रही थी। अब वही लड़का सिर्फ 14 साल की उम्र में दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग में खेलता हुआ नजर आ रहा है। यह कहानी ब्रायन लारा के संभवतः सबसे बड़े फैन और सिर्फ 14 साल की उम्र में राजस्थान रॉयल्स के लिए पहला मैच खेल रहे वैभव सूर्यवंशी की है। इस लड़के का आईपीएल टीम में जगह बनाना न सिर्फ एक परिवार के संघर्ष का सफल होना है बल्कि पूरी तरह नकारा हो चुके ‘सिस्टम’ के खिलाफ एक स्पोर्ट्समैन का आंदोलन है। बेशक, पहले ही मैच में अपने बल्ले से कोहराम मचाने वाला यह नाबालिग सितारा भारत की क्रिकेट का उदयीमान सितारा है।
आल द बेस्ट वैभव सूर्यवंशी। सदैव सूर्य की भांति प्रदीप्तमान रहो।

image description

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *