14 साल का तूफान: वैभव सूर्यवंशी की ज़िंदगी की वो पिच, जिसने रच दिया इतिहास

गोपाल झा.
जयपुर की गर्म दोपहर, आईपीएल का मैदान और दर्शकों का शोर। तभी राजस्थान रॉयल्स की तरफ़ से क्रीज़ पर आता है एक नाम, वैभव सूर्यवंशी, जिसकी उम्र सुनकर कमेंटेटर भी ठिठक जाते हैं, 14 साल 32 दिन! और फिर कुछ ही ओवरों में क्रिकेट इतिहास की किताबों में एक नई इबारत दर्ज हो जाती है। 35 गेंदों पर तूफानी शतक, आईपीएल में सबसे कम गेंदों में शतक लगाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज़ और सबसे कम उम्र में फिफ्टी और सेंचुरी का डबल रिकॉर्ड। लेकिन वैभव की कहानी केवल चौकों-छक्कों की नहीं है। यह कहानी है संघर्ष, त्याग, सपनों और जुनून की, जो उसके परिवार की नींव पर खड़ी है।
मां की नींद और पिता का त्याग
वैभव का जीवन उस दिन से अलग हो गया था, जब उसकी मां ने अपने सपनों को बेटे की आँखों में पलते देखा। हर दिन सुबह 2 बजे उठकर घर और बेटे के सपनों के बीच पुल बनने वाली मां, जो केवल 3 घंटे सोती थी। वहीं उसके पिता, जो बेटे की क्रिकेट कोचिंग के लिए अपना काम छोड़ देते हैं। उस वक्त घर चलाना किसी चुनौती से कम नहीं था, पर बड़ा भाई कदम बढ़ाता है, और पूरा परिवार एक लक्ष्य पर अडिग हो जाता है, वैभव को सफल बनाना है।


ट्रायल से ट्रस्ट तक: राजस्थान रॉयल्स की कहानी
राजस्थान रॉयल्स के ट्रायल में जब वैभव पहुंचा, तब न कोई पहचान थी, न बड़ा नाम। लेकिन बल्ला बोल रहा था। विक्रम राठौड़ और टीम मैनेजर रोमी सर ने उसी दिन पहचान लिया कि यह बच्चा कुछ अलग है। चयन हुआ, और टीम में एंट्री के साथ ही राहुल द्रविड़ सर से मुलाक़ात, जिसे वैभव एक सपना मानते हैं। वैभव की आंखों में गजब की चमक है। कहते हैं, ‘राहुल सर के अंडर ट्रेनिंग करना, मैच खेलना… ये किसी सामान्य क्रिकेटर के लिए भी सपने जैसा है। ’
पहली ही गेंद पर छक्का, दबाव नहीं, विश्वास था
डेब्यू मैच में पहली गेंद पर छक्का मारना कोई सामान्य बात नहीं। लेकिन वैभव के लिए ये “नॉर्मल” था। क्योंकि वो पहले ही अंडर-19 और डोमेस्टिक मैचों में ऐसा कर चुके थे। वैभव सूर्यवंशी कहते हैं, ‘अगर बॉल रडार में होगा, मैं मारूंगा।’ दअरसल, यह आत्मविश्वास ही उनकी असली पूंजी है।
सपनों के पीछे खड़ा पूरा परिवार
वैभव के जीवन में सबसे बड़ा कोच उसका परिवार है। मां की तपस्या, पिता का समर्पण और भाई का सहारा, यह सब कुछ वैभव की हर पारी में झलकता है। उसकी जुबां पर एक ही बात रहती है, ‘मैं जो कुछ भी हूं, वह मेरे पेरेंट्स के स्ट्रगल की वजह से हूं।’
टीम इंडिया की ओर पहला कदम
राजस्थान रॉयल्स में उनके सीनियर्स, संजू सैमसन, यशस्वी जायसवाल, रियान पराग, हर कोई वैभव को हौसला और भरोसा देता है। वैभव कहते हैं, ‘वो लोग मुझसे कहते हैं कि तू करेगा। तुझ पर विश्वास है।’ और यही विश्वास वैभव को आईपीएल से टीम इंडिया के दरवाज़े तक ले जा रहा है।

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