स्मार्ट मीटर का तीखा विरोध, इसलिए सड़क पर उतरे लोग

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
स्मार्ट मीटरों की अनिवार्यता और इसके पीछे के ‘निजीकरण एजेंडे’ के खिलाफ जनभावनाओं का विस्फोट हनुमानगढ़ के सतीपुरा विद्युत कार्यालय के समक्ष देखने को मिला, जब भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की जिला इकाई के नेतृत्व में भारी संख्या में आमजन और पार्टी कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे। गगनभेदी नारों, झंडों और हाथों में तख्तियों के साथ इस प्रदर्शन में जनता की पीड़ा और आक्रोश दोनों का गूंजता हुआ स्वर सुनाई दिया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार और बिजली विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि स्मार्ट मीटर आम उपभोक्ता के लिए सुविधा नहीं, सजा बन चुके हैं। इस मौके पर माकपा नेता रामेश्वर वर्मा ने मौके पर उपस्थित विद्युत विभाग के एससी अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई कि जब तक स्मार्ट मीटरों की विश्वसनीयता, पारदर्शिता और जनहित में उपयोगिता की गारंटी नहीं दी जाती, तब तक हनुमानगढ़ जिले में इन्हें लगाने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए।
रामेश्वर वर्मा ने आरोप लगाया कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं को 10 से 15 प्रतिशत तक अधिक बिल भरना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि हनुमानगढ़ के वार्ड नंबर 50 में जब इन मीटरों की इंस्टॉलेशन शुरू हुई तो स्थानीय लोगों ने इसका डटकर विरोध किया, जिसके चलते मीटर लगाए नहीं जा सके। वर्मा ने आगे बताया कि जयपुर जैसे शहरों में स्मार्ट मीटरों के कारण उपभोक्ताओं को 440 वोल्ट तक के जानलेवा झटके लगे हैं। उन्होंने इसे तकनीकी असुरक्षा और लापरवाही का खतरनाक उदाहरण बताया।
पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवीर वर्मा ने कहा कि सरकार बिजली उपभोक्ताओं को मोबाइल उपभोक्ता बना देना चाहती है। स्मार्ट मीटरों में रिचार्ज सिस्टम लागू किया जा रहा है, जिसमें उपभोक्ता को एडवांस में भुगतान करना होगा। अगर समय पर रिचार्ज नहीं किया गया तो बिजली सप्लाई स्वतः बंद हो जाएगी। उन्होंने सवाल किया कि जिन परिवारों को दो वक्त की रोटी जुटाने में संघर्ष करना पड़ता है, क्या वे हर महीने बिजली के लिए रिचार्ज करा सकेंगे?
रघुवीर वर्मा ने इस पूरी व्यवस्था को ‘कॉरपोरेट लूट’ करार देते हुए कहा कि डिस्कॉम इंजीनियर बिना किसी पूर्व सूचना के उपभोक्ताओं के कनेक्शन काट रहे हैं और पुनः कनेक्शन जोड़ने के लिए 2500 रुपये तक की अवैध वसूली की जा रही है। उन्होंने चेताया कि यह उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा डाका है, जिसे जनता अब बर्दाश्त नहीं करेगी।
‘सिस्टम निजी हाथों में, उपभोक्ता असहाय’
पार्टी नेताओं ने कहा कि स्मार्ट मीटरों में जो चिप और नियंत्रण प्रणाली लगी होती है, वह पूरी तरह उन कंपनियों के पास होती है जो ये मीटर बना रही हैं। यानी उपभोक्ता पूरी तरह उस निजी कंपनी के रहमो-करम पर निर्भर हो जाता है। कोई पारदर्शी सिस्टम नहीं, कोई लोकल शिकायत समाधान प्रणाली नहीं दृ सब कुछ ‘कंपनी नियंत्रण’ में। इस प्रदर्शन में न केवल माकपा के नेता बल्कि बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, पूर्व छात्रसंघ प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और महिला प्रतिनिधि भी शामिल रहे। उपस्थित प्रमुख जनों में पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष महेंद्र कुमार शर्मा, बहादुर चौहान, जगजीत सिंह ’जग्गी’, बीएस पेंटर, सरबजीत कौर, आत्मा सिंह, अवतार बराड़, देवीलाल, सुरेश, तरसेम सिंह, प्रहलाद सिंह, मोहित, इंशा, आनंद कुमार, वेद मक्कासर, गुरुप्रेम, सुल्तान, सरिता रानी, कमला और बिमला आदि उपस्थित रहे।
पार्टी ने दी आंदोलन की चेतावनी
माकपा नेताओं ने स्पष्ट कहा कि अगर सरकार ने स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया नहीं रोकी और आमजन की बात नहीं सुनी, तो पार्टी जिलेभर में जन आंदोलन छेड़ेगी। इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी। पार्टी की मांग है कि सरकार पारंपरिक मीटरिंग व्यवस्था को बनाए रखे, और किसी भी नई प्रणाली को लागू करने से पहले सार्वजनिक विमर्श और उपभोक्ता सहमति को अनिवार्य बनाए।

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