मुद्दा गरम है: सियासी गलियारे में फैला ‘तमाचे का दंश’

एमएल शर्मा.
विधानसभा उपचुनाव में मतदान के दौरान देवली उनियारा के समरावता गांव में एक आजाद प्रत्याशी द्वारा एसडीम को मारे गए ‘तमाचे का दंश’ इस कदर फैला कि समूचा क्षेत्र सुलग उठा। थप्पड़ की गूंज सीएमओ तक पहुंची तो ‘एक्शन’ होना लाजिमी था। लिहाजा, आंसू गैस के गोलों की बरसात हुई, साथ ही जमकर लाठियां भांजी गई। दरअसल, मामला 13 नवंबर को मतदान के दौरान तब उठा जब समरावता गांव के वोटरों ने उपखंड मुख्यालय बदलने की मांग के समर्थन में मतदान का बहिष्कार कर धरना लगा दिया था। निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ग्रामीणों के साथ धरना स्थल पर डट गए। तब उन्हें सूचना मिली कि प्रशासनिक अमला जबरन लोगों को धमका कर वोट डलवा रहा है। जिसका विरोध करते हुए जब मीणा मतदान केंद्र में पहुंचे तो आरोप है कि उन्होंने जबरन पोलिंग बूथ में घुसकर एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मारे। हालांकि ‘थप्पड़ कांड’ समरावता गांव में हुआ लेकिन उसकी गूंज सूबे की राजधानी में ज्यादा रही। आरएएस संगठन ने विरोध जताते हुए तत्काल मुख्य निर्वाचन अधिकारी व सीएम के प्रमुख सचिव से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। संगठन ने आरोपी की गिरफ्तारी न होने पर पेन डाउन हड़ताल की चेतावनी दे डाली। इतना ही नहीं तहसीलदार सेवा परिषद सहित अन्य कर्मचारी संगठन भी मीणा के खिलाफ विरोध में मुखर हो आए। वहीं दूसरी तरफ करणी सेना ने मीणा को समर्थन देकर माहौल को बराबरी पर ला दिया।
जब प्रकरण में सामाजिक संगठनों की ‘एंट्री’ हुई तो जाट संगठन भी पीछे नहीं रहे। कुल मिलाकर देखा जाए तो थप्पड़ कांड जातिगत व संगठनात्मक के दो पहलुओं में बंट गया। निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने आरोप लगाया कि उनके चुनाव चिन्ह को जानबूझकर हल्का प्रदर्शित कर दिया गया जिससे उनके मतदाताओं को मतदान करने में दिक्कत होने लगी। इसकी शिकायत करने पर एसडीम तैश में आ गए। थप्पड़ कांड के बाद मीणा धरना स्थल पर आ डटे। घटना की सूचना मिलते ही धरना स्थल पर लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। उधर, जयपुर में अधिकारी वर्ग के संगठन ने मीणा को गिरफ्तार करने की मांग कर डाली। अधिकारियों की पेन डाउन हड़ताल से सकते में आई सरकार ने ‘खाकी तंत्र’ को खुली छूट प्रदान की। नतीजा मनमाफिक मिला।गुरुवार को टोंक में नरेश मीणा पुलिस गिरफ्त में आ गया।
उधर, मीणा के गिरफ्तार होने की सूचना से समर्थक उबल पड़े। आरोप है कि गुस्साए लोगों ने आगजनी पथराव कर पुलिस की गाड़ियां रोक दी। जवाब में सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले दागकर समर्थकों को खदेड़ दिया। मीणा की गिरफ्तारी के बाद फिर बवाल शुरू हो गया है। मीणा के समर्थकों ने चक्काजाम कर दिया है। समरावता गांव की सड़क पर भी टायर जलाए गए हैं।
गुस्साए लोगों ने एसपी विकास सांगवान की गाड़ी भी तोड़ दी। इस सबसे इतर आरएएस की हड़ताल से खफा वकीलों ने भी मोर्चा खोल दिया। ‘थप्पड़ ही तो मारा है’ कहते हुए अधिवक्ताओं ने पेन डाउन की खिलाफत कर डाली। पता चला है कि नरेश मीणा पर पूर्व से ही करीब दो दर्जन आपराधिक मामले दर्ज हैं।
कुल मिलाकर देखा जाए तो विचारणीय है कि मामला इतना संगीन था या ष्तिल का ताड़ष् बना कर सियासी रोटी सेंकने का प्रयास, यह देर सवेर पता चल ही जाएगा। आखिर, बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी।

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