राजस्थान में महिला सुरक्षा पर सवाल, पुलिस रिस्पॉन्स टाइम बना सबसे बड़ी चुनौती

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
राजस्थान के नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार शर्मा ने पदभार संभालते ही राजस्थान को पुलिसिंग के क्षेत्र में देश का ‘मॉडल स्टेट’ बनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि न्याय दिलाना पुलिस की प्राथमिक जिम्मेदारी होगी और महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। लेकिन जमीनी हालात उनके इस संकल्प की राह में बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रहे हैं। पुलिस के तमाम दावों और आधुनिक संसाधनों के बावजूद प्रदेश में महिला सुरक्षा की स्थिति बेहद चिंताजनक है। जयपुर पुलिस के रिस्पॉन्स टाइम को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं। राजस्थान सरकार द्वारा शुरू की गई ‘राजकॉप’ मोबाइल ऐप और डायल 112 जैसी इमरजेंसी सेवाओं पर पिछले सात महीनों में 21,000 से अधिक महिलाओं ने मदद की गुहार लगाई है। सबसे अधिक चिंताजनक स्थिति जयपुर साउथ की है, जहां 9,121 कॉल्स दर्ज की गईं यानी हर दिन औसतन 43 महिलाएं पुलिस से मदद मांगने को मजबूर हुईं। जयपुर वेस्ट से 2,211 और ईस्ट से 1,534 कॉल्स प्राप्त हुई हैं। अकेले महिला थाना नगर में 2,190 केस दर्ज हुए हैं, जो स्पष्ट संकेत हैं कि महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि पुलिस समय पर नहीं पहुंच पा रही। आंकड़ों के अनुसार, 33 फीसद महिलाओं को 15 से 20 मिनट तक मदद का इंतजार करना पड़ा, जबकि 10 फीसद मामलों में यह समय 20 से 40 मिनट तक पहुंच गया। ऐसे में यह कैसे माना जाए कि इमरजेंसी सेवा 112 पर पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया हो रही है? जबकि इसे 10 मिनट के भीतर रिस्पॉन्स देने वाली सेवा के रूप में प्रचारित किया गया है।
प्रदेश के अन्य जिलों की बात करें तो पाली, कोटा, सिरोही, भीलवाड़ा और जोधपुर सिटी जैसे जिलों से बेहद कम कॉल्स आई हैं। उदाहरणस्वरूप, पाली से सिर्फ 505 और कोटा सिटी से मात्र 418 कॉल्स रजिस्टर्ड हुईं। यह कम संख्या एक और समस्या की ओर इशारा करती है या तो लोग पुलिस पर भरोसा नहीं कर पा रहे या फिर उन्हें सही जानकारी और सुविधा नहीं मिल रही।
डीजीपी राजीव शर्मा ने अपने शुरुआती वक्तव्य में कहा है कि हर व्यक्ति को थाने में न्याय और सहायता मिले, यह सुनिश्चित करना पुलिस का धर्म है।’ उन्होंने जवाबदेही तय करने, अपराध नियंत्रण और पुलिस सेवा में सुधार की बात कही थी। लेकिन आंकड़े साफ इशारा कर रहे हैं कि सुधार की आवश्यकता सिर्फ नीतिगत नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन में है।
राज्य में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गहराती चिंताओं के बीच यह देखना अहम होगा कि डीजीपी राजीव शर्मा अपने वादे को किस हद तक निभा पाते हैं। क्या वे पुलिस व्यवस्था को उस मुकाम तक पहुंचा पाएंगे, जहां महिलाएं स्वयं को सुरक्षित महसूस करें और पुलिस पर निस्संकोच भरोसा कर सकें? या फिर यह एक और वादा बनकर रह जाएगा जो आंकड़ों की तलवार के नीचे दम तोड़ देगा?

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