October 21, 2025

2 thoughts on “ज़िंदा है पत्रकारिता, पर वेंटिलेटर पर है!

  1. प्रिय महोदय मैने आपके और आपकी टीम के साहस को नजदीक से देखा है। आपने जनहित और सच को प्रमुखता से न्यूज में अपनी कलम से स्वर्ण अक्षरों में उकेरा है लेकिन नौकरशाही और अफसरशाही के साथ राजनेताओं के गठजोड़ ने आम आदमी और ईमानदारी से अपनी नौकरी या आजीविका चलाने वाले मासूम लोगों का जीना दूभर कर दिया है।

    अधिकारी अपनी बात मनवाने, सच्चे सेवकों की आजादी छीनने के अलावा अपने आपको मालिक समझने लगे है, हालांकि अधिकारी और राजनेता कहने को जनसेवक है लेकिन वास्तव में देखे तो ईमानदार और जन भावनाओं की पैरवी करने वाले मीडिया और और सामान्य नागरिकों के जान के दुश्मन है।

    हालांकि ईमानदार नेता और अधिकारियों की भी कमी नहीं है लेकिन वो ऐसा लगता है कि वो लोग अपने अस्तित्व को बचाने के चक्कर में मासूम लोगों और अनुभवी पत्रकारिता का गला घोट देते है। यही वजह है कि गद्दारों का लगातार कारवां बढ़ता जा रहा है।

    मैने जिले के बड़े अधिकारी के संबंध में और अधिकारियों के आपसी गठजोड़ को जिसमें एक गिरोह काम कर रहा था, कोनेस्तनाबूत करने वाली खबर को जब किसी बड़े न्यूज पेपर में छपवाना चाहा तो न्यूज रूम से मेरे पास कॉल आता है कि ऊपर से दबाव है कि हम ये न्यूज नहीं छाप सकते तब मुझे पता चला कि सच को झूठ से लड़ने के लिए बहुत बड़ा साहस चाहिए जिसके आगे आप और आपकी टीम जैसा साहस और जब्बा कबीले तारीफ है, क्योंकि उसी खबर को आपने प्रमुखता और निर्भीकता से छापा और उस खबर का ही असर था कि जिले के जिस उच्च अधिकारी ने मेरे खिलाफ मेरे उच्च अधिकारी का गलत साथ दिया उसी कलम से उसके खिलाफ कार्यवाही की जो मेरे लिए बहुत बड़ा सकून था हालांकि मुझे अभी तक कोई राहत नहीं मिली फिर भी मैं ऐसे नापाक इरादों को नाकाम करने के लिए लगातार प्रयासरत हूं। जैसे 100 चोरों को भगाने के लिए एक ताकतवर सिपाही की ललकार काफी है

    पत्रकार महोदय आपकी निर्भीक टीम को तहेदिल से शुक्रिया और आपका कारवां यूं ही बढ़ता रहे ईश्वर से यही कामना है।

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