कलक्टर डॉ. खुशाल यादव की पहल, गौरवशाली इतिहास से रूबरू हुए स्टूडेंट्स, जिला स्थापना दिवस पर जाना विरासत का मूल्य

भटनेर पोस्ट डेस्क.
हनुमानगढ़ जिला स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में जिला कलक्टर डॉ. खुशाल यादव ने अनठी पहल की। इसके तहत चुनिंदा स्टूडेंट्स को शैक्षणिक भ्रमण पर ले जाया गया। दरअसल, विद्यार्थियों के लिए यह केवल एक सफर नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व की जीवंत कक्षा बन गया। इसका उद्देश्य नयी पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ना और उन्हें विरासत के प्रति संवेदनशील बनाना था। कालीबंगा के प्राचीन उत्खनन स्थल से लेकर भटनेर दुर्ग की वीरगाथा और गुरुद्वारा साहिब की शहादतगाथा तक यह अनुभव छात्रों के लिए एक अविस्मरणीय ज्ञान यात्रा बन गया।
इसके तहत जिला मुख्यालय के विभिन्न विद्यालयों के 80 विद्यार्थियों को भटनेर दुर्ग, गुरुद्वारा बाबा सुखासिंह-महताबसिंह, कालीबंगा पुरातत्व संग्रहालय एवं हड़प्पा कालीन उत्खनन स्थल का अवलोकन करवाया गया। विद्यार्थियों को सबसे पहले कालीबंगा स्थित पुरातत्व संग्रहालय और उत्खनन स्थल पर ले जाया गया, जहां सहायक पुरातत्वविद् डॉ. चन्द्रप्रकाश उपाध्याय ने संग्रहालय की तीन प्रमुख गैलरियों में प्रदर्शित हड़प्पा सभ्यता के चर्ट ब्लेड, ताम्र वस्तुए, हाथी दांत से बने उपकरण, अग्निवेदिकाए, मृदभांड, नाप-तोल के उपकरण आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा 1961 से 1969 के बीच हुए उत्खनन से पता चला कि यह स्थल पहले प्राचीन सरस्वती नदी (घग्घर नदी) के किनारे स्थित था, जो अब सूख चुकी है। कालीबंगा का उत्खनन भारत के प्राचीनतम हल से जोते खेतों के प्रमाणों के लिए विश्व प्रसिद्ध है।


डॉ. उपाध्याय ने विद्यार्थियों को बताया कि कालीबंगा में दो स्तरों की सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। प्रारंभिक हड़प्पा (3000-2700 ईसा पूर्व) और विकसित हड़प्पा (2600-1900 ईसा पूर्व)। प्रारंभिक बस्ती कच्ची ईंटों के परकोटे से घिरी थी, जबकि विकसित हड़प्पा बस्ती में नगर योजना विकसित थी, जिसमें पश्चिमी दुर्ग क्षेत्र और पूर्वी आवासीय क्षेत्र में स्पष्ट विभाजन था। यहाँ पक्की ईंटों से निर्मित कुएं, अग्निवेदिकाए, चबूतरे एवं नालियों की व्यवस्था यह सिद्ध करती है कि उस काल की समाज व्यवस्था कितनी उन्नत थी। भूकंप जैसे प्राकृतिक कारणों से यह नगर कालांतर में समाप्त हुआ।


भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों ने भटनेर दुर्ग और गुरुद्वारा बाबा सुखासिंह महताबसिंह का भी भ्रमण किया, जहाँ उन्हें स्थानीय ऐतिहासिक विरासत से परिचय कराया गया। भटनेर दुर्ग, जो लगभग 1700 वर्षों पुराना है, बहादुरी और किलेबंदी की मिसाल है। वहीं गुरुद्वारा साहिब में बच्चों को सिख इतिहास, शहादत और सेवा-समर्पण की परंपरा से अवगत कराया गया। इन स्थलों पर विद्यार्थियों के साथ आए शिक्षकों ने उन्हें सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से इन स्थलों के महत्व की जानकारी दी।


इस अवसर पर राजस्थानी लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत लोकनृत्य व सांस्कृतिक कार्यक्रम ने आयोजन में जीवंतता भर दी। विद्यार्थियों और उपस्थित अतिथियों के लिए राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कालीबंगा द्वारा जलपान की व्यवस्था की गई। कार्यक्रम में जिला शिक्षा अधिकारी (मा.) जितेन्द्र कुमार, सरपंच भगवानसिंह, प्रधानाचार्य संदीप कुमार, थाना प्रभारी मांगीलाल शर्मा, पंचायत समिति सदस्य घेसाराम, शिक्षकगण, संग्रहालय के कार्मिक ईश्वर खोथ एवं ग्रामीण उपस्थित रहे।

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