गौड़ ब्राह्मण महासभा की कमान मिलने पर दुर्गाप्रसाद शर्मा ने बताईं प्राथमिकता

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
सादा जीवन, उच्च विचार और सामाजिक समर्पण के पर्याय बने दुर्गाप्रसाद शर्मा अब गौड़ ब्राह्मण महासभा हनुमानगढ़ के नए जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं। यह नियुक्ति महासभा के प्रदेशाध्यक्ष विजय कुमार हरितवाल ने की है। यह खबर हनुमानगढ़ जिले के ब्राह्मण समाज के लिए गर्व और प्रसन्नता की लहर लेकर आई है। नव-नियुक्त जिलाध्यक्ष दुर्गाप्रसाद शर्मा ने अपनी नियुक्ति पर कहा, ‘मैं समाज की एकता, संगठनात्मक मजबूती और सेवा कार्यों के लिए पूरी निष्ठा से कार्य करूंगा। युवाओं और विद्यार्थियों को संगठन से जोड़ना मेरी प्राथमिकता होगी, ताकि उन्हें सामाजिक उत्तरदायित्वों के प्रति सजग किया जा सके।; उन्होंने अपने प्रति विश्वास जताने के लिए प्रदेशाध्यक्ष हरितवाल का आभार जताते हुए इसे समाज सेवा के एक ‘नए अध्याय की शुरुआत’ बताया।
काबिलेगौर है, दुर्गाप्रसाद शर्मा जैसे समर्पित व्यक्ति को नेतृत्व की कमान मिलने से पूरे विप्र समाज में हर्ष की लहर है। वरिष्ठजनों, युवाओं और समाज के विभिन्न वर्गों ने उन्हें शुभकामनाएं दी हैं और आशा जताई है कि उनके नेतृत्व में संगठन एक नई ऊंचाई प्राप्त करेगा।
लेखाधिकारी पद से सेवानिवृत्त होने के बाद जहां अधिकतर लोग विश्राम की ओर मुड़ते हैं, वहीं दुर्गाप्रसाद शर्मा ने समाज सेवा को ही अपना नया कार्यक्षेत्र बना लिया। विनम्रता, मृदुभाषिता और सहजता उनके व्यक्तित्व की वह विशेषताएं हैं, जो उन्हें समाज में आदर का पात्र बनाती हैं। विप्र समाज की सेवा में वर्षों से जुटे हुए दुर्गाप्रसाद शर्मा सर्व ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष के रूप में भी उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। समाज की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने की भावना हो या बुजुर्गों का सम्मान करने की परंपरा। दुर्गा प्रसाद शर्मा ने अपने कार्यकाल में इन कार्यों को विशेष प्राथमिकता दी। हाल ही में उन्होंने समाज के उन बुजुर्गों को सम्मानित किया, जिनकी उम्र 75 वर्ष से अधिक है। यह पहल न केवल समाज में एक नई जागरूकता लाई, बल्कि बुजुर्गों के प्रति संवेदनशीलता और आदर भाव का भी सुंदर उदाहरण बन गई।
नई जिम्मेदारी, नई ऊर्जा
गौड़ ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष पद की कमान संभालते ही उन्हें जिले की पूरी कार्यकारिणी और तहसील स्तरीय इकाइयों के गठन का दायित्व सौंपा गया है। यह जिम्मेदारी न केवल संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि युवाओं और विद्यार्थियों को सामाजिक चेतना से जोड़ने की एक प्रभावी रणनीति भी है।

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