डॉ. अजीत दफ्तरी बनेंगे अफसर, चाचा हरीश दफ्तरी ने बांटी मिठाइयां

भटनेर पोस्ट डेस्क.
जिनके घरों में चूल्हे जलते हैं ज्ञान की अग्नि से, वहाँ प्रतिभाएं सिर्फ जन्म नहीं लेतीं, वे इतिहास भी रचती हैं। ऐसी ही एक प्रेरक कहानी रची है डॉ. अजीत दफ्तरी ने, जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की प्रतिष्ठित परीक्षा में ऑल इंडिया 371वीं रैंक हासिल कर हनुमानगढ़ का नाम रोशन किया है। डॉ. अजीत कोई साधारण युवक नहीं हैं। वे उद्योग और शिक्षा की साझा विरासत से उपजे एक ऐसे युवा हैं, जिनका सपना सिर्फ खुद के लिए नहीं, देश के लिए भी बड़ा था। प्रतिष्ठित उद्योगपति जयचंद दफ्तरी के पौत्र और बीई इंजीनियर पंकज दफ्तरी व एम.कॉम गोल्ड मेडलिस्ट राजलक्ष्मी दफ्तरी के सुपुत्र अजीत बचपन से ही मेधावी और अनुशासित रहे हैं। उनकी शिक्षा और परवरिश, दोनों में सादगी और मूल्य झलकते हैं। अजीत ने पहले चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी सेवाएं देकर समाज के प्रति कर्तव्य निभाया, और अब उन्होंने प्रशासनिक सेवा का रास्ता चुना है, जिससे वे बड़े स्तर पर जनसेवा कर सकें।
जैसे ही यूपीएससी रिजल्ट घोषित हुआ, हनुमानगढ़ के दफ्तरी परिवार में जश्न का माहौल छा गया। अजीत के चाचा हरीश दफ्तरी ने काली इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया। चाची मधु दफ्तरी, भाई प्रेम दफ्तरी और बहन उन्नति दफ्तरी ने गर्व के साथ अपने इस परिवार के सितारे को बधाइयाँ दीं।
सबसे खास बात यह रही कि अजीत के दादाजी जयचंद दफ्तरी ने इसे परिवार की वर्षों की मेहनत, संस्कार और मूल्यों का प्रतिफल बताया। हरीश द्फ्तरी ने बताया, ‘पापाजी का आशीर्वाद और स्नेह आज भी परिवार की सबसे बड़ी संपत्ति है।’
हनुमानगढ़ से बीकानेर तक गर्व की लहर
अजीत की यह सफलता केवल उनके परिवार की नहीं, बल्कि हनुमानगढ़ और समूचे बीकानेर संभाग के लिए गौरव का विषय है। जहाँ एक ओर आज का युवा दिशा और धैर्य के अभाव में दिग्भ्रमित है, वहीं डॉ. अजीत जैसे उदाहरण उस पीढ़ी को न केवल रास्ता दिखाते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि सेवा के रास्ते पर डॉक्टर बनकर भी चला जा सकता है और अफसर बनकर भी।

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