




कैलाश मेघवाल.
छह अप्रैल भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक विचारधारा का प्रतीक है। यह दिन उस आंदोलन की याद दिलाता है, जो राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक चेतना और सुशासन के सपनों को लेकर शुरू हुआ था। आज जब हम भाजपा के स्थापना दिवस पर खड़े हैं, तो यह उपयुक्त अवसर है कि हम अतीत की संघर्ष-गाथा, वर्तमान की उपलब्धियों और भविष्य की चुनौतियों एवं संकल्पों का ईमानदारी से विश्लेषण करें।
भाजपा की नींव भारतीय जनसंघ से निकली, जिसकी स्थापना 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी। जनसंघ ने भारतीय राजनीति में एक वैकल्पिक राष्ट्रवादी स्वर दिया, जो वामपंथी और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों की तुष्टिकरणवादी राजनीति से भिन्न था। 1977 में आपातकाल के बाद जनसंघ जनता पार्टी में विलीन हुआ, लेकिन वैचारिक मतभेदों के चलते 6 अप्रैल 1980 को ‘भारतीय जनता पार्टी’ के रूप में पुनर्जन्म हुआ।
अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं ने भाजपा को एक विचारधारा-आधारित, कैडर-बेस्ड और राष्ट्रहित सर्वाेपरि मानने वाला दल बनाया। राम जन्मभूमि आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन, कश्मीर में धारा 370 का विरोधकृइन सबने भाजपा को जनभावनाओं से जोड़ा और उसे एक राष्ट्रीय विकल्प के रूप में उभारा।

2014 और 2019 के आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने अभूतपूर्व जनसमर्थन प्राप्त किया। यह केवल सत्ता की जीत नहीं थी, यह एक विचार की विजय थी, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास।’ आज भाजपा विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। केंद्र से लेकर कई राज्यों तक भाजपा की सरकारें हैं। ये सरकारें केवल चुनावी जीत की मशीन नहीं, बल्कि सेवा, सुशासन और जनकल्याण के प्रतीक हैं। जन-धन योजना, उज्ज्वला, स्वच्छ भारत, आयुष्मान भारत, डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत जैसे कार्यक्रमों ने भाजपा को जन-जन तक पहुंचाया है। मोदी सरकार ने दशकों पुराने विषयों पर निर्णायक कदम उठाए। अनुच्छेद 370 की समाप्ति, तीन तलाक पर प्रतिबंध, राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया का निष्कर्ष, सीएए जैसे नागरिकता से जुड़े ऐतिहासिक फैसले, ये सब भाजपा की वैचारिक प्रतिबद्धता और कार्यक्षमता का प्रमाण हैं।

विस्तार, संतुलन और संवेदना का युग
भाजपा का भविष्य केवल चुनावी जीत में नहीं, सामाजिक समरसता, युवा भागीदारी और राष्ट्र-निर्माण में निहित है। भविष्य की भाजपा को चाहिए कि वह युवा नेतृत्व को आगे लाए, विचारधारा से जुड़ी नई पीढ़ी को तैयार करे। दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं की भागीदारी और प्रतिनिधित्व को और सशक्त बनाए। आर्थिक और तकनीकी दृष्टि से भारत को वैश्विक नेतृत्व में स्थापित करने की दिशा में ठोस कार्य करे। आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करते हुए पार्टी को विचारमंथन और संवाद का मंच बनाए रखे। भारतीय जनता पार्टी केवल एक राजनीतिक संगठन नहीं, वह एक आंदोलन है, राष्ट्र के सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना का, आत्मनिर्भरता के संकल्प का और जनसेवा को सर्वाेच्च मानने वाले दृष्टिकोण का।
आज जब हम स्थापना दिवस मना रहे हैं, तो यह दिन केवल उत्सव का नहीं, आत्मचिंतन और संकल्प का दिन है। हमें याद रखना होगा कि हमारा लक्ष्य सत्ता नहीं, सेवा, और हमारी दिशा केवल चुनाव नहीं, राष्ट्र का भविष्य है।
जय भारत! जय भाजपा!
-लेखक भाजपा एससी मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष हैं


