लेखिका डॉ. चंचला पाठक ने समझाया वेद पढ़ने और समझने का तरीका, जानिए… कैसे ?

भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
अजित फाउण्डेशन की मासिक संवाद श्रृंखला के तहत ंसंस्था सभागार में ‘वेद की सामान्य अवधारणा और प्रचलित भ्रांतियां’’ विषय पर सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ. चंचला पाठक का संवाद आयोजित हुआ। डॉ. पाठक ने कहा कि वेदों की प्रारम्भिक भाषा बहुत ही सरल है। वैदिक संस्कृत के बोल हमारी बोलियों से काफी मिलते-जुलते है। वेद हमारे लिए इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि जब हम बौद्धिक बात करते है तो उसके उत्तर एवं महत्त्व हमें तर्कपूर्ण वेद में मिलते है। वेद छंदमय है। चाहे वह काव्य में लिखा गया हो या गद्य में दोनो जगहों पर छंदों का उपयोग पाया गया है। वेद को जब आप पढते हैं तो उसमें भौतिकवाद एवं आध्यात्मिकवाद दोनो देखने को मिलेंगे। भौतिकवाद की दृष्टि से भौतिकवाद मिलेगा वहीं दूसरी आध्यात्मिक दृष्टि से आपको आध्यात्म मिलता है।
डॉ. चंचला पाठक ने कहा कि वेद को पढना या जानना है तो हमें ऋषि दृष्टि को समझना होगा। हमारे पूर्वाग्रहों को समाप्त करना होगा तभी हम वेद को जान सकते है।


कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कथाकार एवं वरिष्ठ साहित्यकार मालचंद तिवाड़ी ने की। उन्होंने कहा कि वेद में ज्ञान और विज्ञान दोनों का समावेश है। ज्ञान का एप्लाई रूप ही विज्ञान है। विज्ञान की सीमाएं हो सकती है लेकिन ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती। तिवाड़ी ने कहा कि वेद में ज्ञान को अमूर्त रूप से संचित करते है। इसलिए वेदों में बहु अर्थिता की संभावनाएं ज्यादा है। वेदों के इतर उन्होंने रामायण एवं महाभारत जैसे महाकाव्यों की बात करते हुए कहा कि इन महाकाव्यों ने भी वेदों को समझने के लिए काफी अच्छा कार्य किया है।


व्यंग्यकार डॉ. अजय जोशी ने कहा कि इस प्रकार की चर्चाओं में हम अलग-अलग विषयों पर बात कर करते हैं तथा बहुत कुछ नया सीखते एवं जानते है। और यही नया जानना एवं सीखना कार्यक्रम की सार्थकता को सिद्ध करता है। डॉ. जोशी ने संस्था की तरफ से सभी आगुन्तकों का आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के दौरान जुगल किशोर पुरोहित, दीपचंद सांखला, डॉ. अजय जोशी एवं कमल रंगा ने प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाएं शांत कीं। समन्वयक संजय श्रीमाली ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों से युवाओं एवं समाज में मानसिक सोच का विकास होता है। कार्यक्रम में कमल रंगा, राजेन्द्र श्रीमाली, डॉ. अजय जोशी, महेश उपाध्याय, अमन पुरोहित, गिरिराज पारीक, योगेन्द्र पुरोहित, मो. फारूक चौहान, जुगल किशोर पुरोहित, मनीष कुमार जोशी, चन्द्रशेखर सेवग, विनीता शर्मा, डॉ. कृष्णा आचार्य, हरि गोपाल हर्ष, गणेश रंगा, सपना ओझा, पूजा गोदारा, दिनेश पुरोहित, योगेष हर्ष, शोभा जोशी, हनुमान कुशवाह व दिनेश पुरोहित आदि ने शिरकत की।

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