फर्श से अर्श तक यूं न पहुंचे बाबोसा!

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राजकुमार सोनी.
राजस्थान के सीकर जिला के खाचरियावास गांव में जन्मा व्यक्ति विधायक, नेता प्रतिपक्ष, मुख्यमंत्री और फिर देश के उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचा। युवा पीढ़ी के लिए यह घोर आश्चर्य हो सकता है लेकिन श्रद्धेय ‘बाबोसा’ का यह सफर राजनीति और समाज सेवा में कठोर तपस्या और प्रदेश की जनता के लिए रात दिन की गई कड़ी मेहनत का परिणाम है। ‘बाबोसा’ का यह सफर राजनीति के शिखर तक यूं ही नहीं पहुंचा। इसके पीछे भी उनका बाहर से सख्त ओर अंदर से नरम, न्याय प्रिय प्रशासक होने के साथ, मधुर व्यवहार, कार्यकर्ताओं और समर्थकों से अटूट एवं असीम प्रेम भी रहा है। आपने-अपने समर्थकों और चाहने वालों पर सदैव भरपूर आशीर्वाद लुटाया, उस पर देश और राज्य की खुशहाली एवं तरक्की के लिए योजनाएं और कार्यक्रम भी बनाए। राजस्थान में जनसंघ के बाद भारतीय जनता पार्टी को स्थापित और मजबूत करने में आपकी मुख्य भूमिका रही। आपकी उत्कृष्ट सोच का ही परिणाम था कि आप द्वारा गरीबों के कल्याण के लिए शुरू की गई ‘अंत्योदय योजना’ ने पूरी दुनियां में तहलका मचा दिया था और उसका असर यह हुआ कि राजस्थान प्रदेश पूरी दुनिया में चर्चित हुआ। इसी ‘अंत्योदय अन्न योजना’ का अनुसरण बाद में कई प्रदेशों ने किया।


श्रद्धेय भैरोंसिंह शेखावत से पहली बार 80 के दशक में मेरा मिलना हुआ। जगह थी ‘11 बी एमएलए क्वार्टर जयपुर’। तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय राजस्थान। उस समय आपसे आशीर्वाद के रूप में हुई बातचीत से लेकर उनके प्रभु श्री चरणों में विलीन होने तक मेरा उनसे लगातार संपर्क बना रहा।
मुझे याद है..जहां आज भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय ( 51 सी स्कीम सरदार पटेल मार्ग जयपुर) है,वह ‘बाबोसा’ का सरकारी निवास था। जब भी मेरा जयपुर जाना होता तब ‘बाबोसा’ से मिलकर आशीर्वाद लेने जरूर जाता रहा। बाबोसा मुस्कुरा कर कह देते थे ‘कहिए.. कैसे हो प्रिंस।’ आप प्रिंस यूं ही नहीं कहते थे। आपका कहना था की राजकुमार तुम राजस्थान बीजेपी में सबसे खूबसूरत और सुंदर कार्यकर्ता है। फिर गंगानगर में सब ठीक चल रहा है आदि जानकारियां जरूर लेते थे। तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रामदास अग्रवाल और युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष हरिराम यादव जी को कहने से ही मुझे सन 1990 में भारतीय जनता युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य का दायित्व मिला था।
आपने 1993 में श्रीगंगानगर और बाली दो जगह से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन श्रीगंगानगर की जनता का दुर्भाग्य ही कहूंगा कि प्रदेश के इतने बड़े कद्दावर नेता और भावी मुख्यमंत्री को उन्होंने हराकर निराश लौटाया, वरना आज गंगानगर की तस्वीर और तकदीर बदली हुई होती। लेकिन आप उस समय बाली विधानसभा से जीत कर राज्य के मुख्यमंत्री बने थे।
गंगानगर के ही भाग खराब थे। क्योंकि लंबे समय तक मेरी जन्म ओर कर्मभूमि श्रीगंगानगर को ‘चंडीगढ़ का बच्चा’ बनाने के ‘सब्जबाग’ दिखाने वाले भी सत्ता का ‘रसा-स्वादन’ करने के लिए आगे चलकर पंजे को लात मार ‘कमल के फूल’ तक की यात्रा करते हुए भारतीय जनता पार्टी में समाहित हो गए। उन्हें फिर मौका मिलने पर भी शहर प्रसव पीड़ा से गुजरता रहा और पैदा होने वाला ‘चंडीगढ़ का बच्चा’ पेट के अंदर ही मर गया।
‘बाबो सा’ का श्रीगंगानगर जिला पर सबसे अधिक प्रेम और आशीर्वाद रहा है इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी था कि आपका प्रदेश के कद्दावर नेता और आपके पारिवारिक सदस्य पूर्व मंत्री पूज्य सरदार गुरजंटसिंह बराड़ परिवार पर भी खूब आशीर्वाद रहा है और दूसरा सीमा संदेश परिवार पर भी आपका आशीर्वाद और स्नेह रहा है। मुझे आपकी दी हुई सीख कि ‘बेटा पार्टी में निष्ठा से मनसा-वाचा- कर्मणा यानी सत्य-निष्ठा और कर्तव्य निष्ठा से काम करते रहो आपको आगे बढ़ने के अवसर जरूर मिलेंगे।’ उनकी इसी सीख को शिरोधार्य मानकर करीब 40 साल से भी अधिक समय से पार्टी के माध्यम से जनसेवा करते आ रहे हैं। आज जयंती पर उस महान आत्मा को श्रद्धा से कोटि-कोटि नमन करता हूं।
-लेखक भाजपा ओबीसी मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष हैं

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