चूना फाटक पर अंडरपास निर्माण के लिए ‘प्रशासनिक कसरत’, क्या है परेशानियां ?

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भटनेर पोस्ट डेस्क.
हनुमानगढ़ जंक्शन के प्रमुख और लंबे समय से जामग्रस्त चूना फाटक पर अंडरपास निर्माण के लिए प्रक्रिया अब औपचारिक रूप से प्रारंभ हो गई है। पीडब्ल्यूडी ने इस दिशा में पहला कदम उठाते हुए कंसल्टेंसी कंपनियों से प्रस्ताव (टेंडर) आमंत्रित किए हैं। इच्छुक कंसल्टेंसी एजेंसियों के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 26 मई निर्धारित की गई है। सबसे कम दर पर आवेदन करने वाली कंपनी को सर्वे और प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा सौंपा जाएगा। चुनी गई कंसल्टेंसी कंपनी चूना फाटक क्षेत्र में ज़मीनी सर्वे के साथ-साथ जीएडी (जनरल अरेंजमेंट ड्रॉइंग), यूटिलिटी शिफ्टिंग और भूमि अधिग्रहण की संभावनाओं पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर रेलवे व पीडब्ल्यूडी के अधिकारी संयुक्त रूप से फिजिबिलिटी सर्वे करेंगे, जिसमें तकनीकी, भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक पहलुओं की समग्र जांच की जाएगी। राज्य सरकार द्वारा बजट सत्र के दौरान एल-70 रेलवे क्रॉसिंग पर अंडरपास निर्माण की औपचारिक घोषणा की गई थी। इसके तहत 35 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। फिलहाल परियोजना को प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है, जबकि वित्तीय स्वीकृति की प्रक्रिया प्रगति पर है। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के अनुसार, इसमें कुछ समय लग सकता है।
अब नए विकल्प पर सहमति
गौरतलब है कि चूना फाटक पर पहले ओवरब्रिज निर्माण का प्रस्ताव 2017 में रखा गया था, जिसके लिए 60 करोड़ रुपए की घोषणा की गई थी। लेकिन निर्माण एजेंसी आरएसआरडीसी ने परियोजना को व्यावहारिक रूप से असंभव करार दिया। कारण था, ओवरब्रिज की राह में आने वाली 29 व्यावसायिक दुकानें, मकान और प्लॉट, जिनका अधिग्रहण कानूनी और सामाजिक रूप से बेहद जटिल था। इसके बाद प्रस्ताव पर विराम लग गया था। वहीं, आरएसआरडीसी ने यह भी तर्क दिया था कि चूना फाटक से कुछ दूरी पर ही एल-66 (सतीपुरा) रेलवे फाटक पर आरओबी निर्माण कार्य प्रगति पर है और भविष्य में ट्रैफिक को उसी मार्ग पर डायवर्ट किया जा सकता है। अब जब अंडरपास के रूप में वैकल्पिक समाधान सामने आया है, तो लोगों में उम्मीदें जगी हैं कि वर्षों पुरानी इस समस्या का स्थायी समाधान संभव हो सकेगा। यह अंडरपास संगरिया मार्ग और भगत सिंह चौक को जोड़ेगा। कंसल्टेंसी कंपनी अपनी रिपोर्ट में भारी वाहनों की आवाजाही, ट्रैफिक मूवमेंट और उससे जुड़े तकनीकी पहलुओं पर भी प्रकाश डालेगी।
ये हैं चुनौतियां
चूना फाटक क्षेत्र की प्रमुख समस्या है, घनी आबादी और व्यवसायिक गतिविधियां। संभावित निर्माण कार्य के लिए कुछ दुकानों और मकानों को हटाना पड़ेगा, जो भविष्य में एक बार फिर परियोजना के लिए चुनौती बन सकते हैं। अतीत में किए गए सर्वे में जब 29 मकानों और दुकानों को हटाने की बात आई थी, तो स्थानीय निवासियों ने पट्टे और दस्तावेज दिखाकर विरोध जताया था, जिससे मामला उलझ गया था।
अधिकारी बोले
कंसल्टेंसी कंपनी की ओर से रिपोर्ट मिलने के बाद ही आगामी कार्यवाही की रूपरेखा तैयार की जाएगी। सर्वे की प्रक्रिया, तकनीकी स्वीकृति और रेलवे की सहमति के बाद वित्तीय स्वीकृति को अंतिम रूप दिया जाएगा।
अनिल अग्रवाल, एक्सईएन पीडब्ल्यूडी हनुमानगढ़

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