





भटनेर पोस्ट डेस्क.
जब सुरों की सरगम भावनाओं से मिलती है, जब नृत्य की मुद्राएँ परंपरा की गाथा कहती हैं, और जब मंच पर उतरते हैं बचपन के सपने, तब वह दृश्य केवल एक कार्यक्रम नहीं रहता, वह बन जाता है आत्मा को स्पर्श करने वाला अनुभव। ऐसा ही एक अनुभव हनुमानगढ़ के महाराजा अग्रसेन भवन सभागार में तब रचा गया, जब हंसवाहिनी संगीत कला मंदिर के 25वें संगीत-नृत्य-प्रशिक्षण एवं व्यक्तित्व विकास शिविर का रजत जयंती समापन समारोह सांस्कृतिक भव्यता के साथ संपन्न हुआ। यह केवल एक आयोजन नहीं था, यह था कला, संस्कृति और संस्कारों की त्रिवेणी का उत्सव, जहाँ मंच पर उभरे रंग, ताल और भावों ने दर्शकों को भारतीय परंपरा के गर्व से भर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुआ।

मुख्य अतिथि के रूप में जिला कलक्टर कानाराम की धर्मपत्नी ममता ने दीप प्रज्वलित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हनुमानगढ़ विधायक गणेशराज बंसल ने की। विशिष्ट अतिथियों में पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश महावीर स्वामी, बीसीएमएचओ डॉ. ज्योति धींगड़ा, सीनियर सर्जन डॉ. बीके चावला, बेबी हैप्पी एजुकेशन ग्रुप के डायरेक्टर तरुण विजय, एसकेडी यूनिवर्सिटी के संस्थापक बाबूलाल जुनेजा, वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एसएस गेट, नीलकंठ महादेव सेवा समिति अध्यक्ष अश्विनी नारंग, वरिष्ठ अधिवक्ता बनवारीलाल पारीक व डॉ. नम्रता बंसल प्रमुख थे।

संस्था के अध्यक्ष गुलशन अरोड़ा ने बताया कि इस शिविर में 150 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया और प्रशिक्षण प्राप्त किया। बच्चों की प्रस्तुतियाँ न केवल तकनीकी रूप से परिपक्व थीं, बल्कि उनमें भाव, प्रस्तुति और ऊर्जा की भी झलक थी। दिव्यांशी एंड ग्रुप ने मधुर स्वागत गीत से आगाज किया। आराध्या एंड ग्रुप ने ‘चक दुम-दुम’ पर तालियों की गड़गड़ाहट बटोरी। काव्या एंड ग्रुप ने ‘मेरे घर राम आए हैं’ से आध्यात्मिक रंग घोला। तनुष एंड ग्रुप ने ‘लकड़ी की काठी’ पर बच्चों की चंचलता को जीवंत कर दिया। निशा एंड ग्रुप ने राजस्थानी लोकनृत्य ‘चिरमी’ से प्रदेश की परंपरा को मंच पर उतारा। लक्ष्य एंड ग्रुप की ‘जय जयकारा’ प्रस्तुति में भक्ति और जोश का संगम था। जूनियर ऑर्केस्ट्रा -रूद्र एंड ग्रुप ने ‘मैं तेरा लाडला’ से भावनात्मक रंग बिखेरा। नित्या एंड ग्रुप की ‘मैं नाचूं आज छम-छम’ ने दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर दिया। इंद्रपाल एंड ग्रुप के ‘भंगड़ा’ ने माहौल को पंजाबी रंग में रंग दिया। फैशन शो ने बच्चों के आत्मविश्वास और मंच संचालन क्षमता को उजागर किया।
मुख्य अतिथि ममता ने कहा, ‘बच्चों की प्रस्तुतियाँ न केवल मनोरंजक थीं, बल्कि उनमें भारतीय संस्कृति की जड़ें भी साफ दिखाई दीं। हंसवाणी संगीत कला मंदिर ने 25 वर्षों तक इस परंपरा को बनाए रखा, यह अपने आप में अनुकरणीय है।’
कार्यक्रम अध्यक्ष विधायक गणेशराज बंसल ने कहा,‘ बच्चों को मंच देना, उन्हें आत्मविश्वास से भर देना और संस्कारों से जोड़ना ही सच्ची शिक्षा है। मैं संस्था को इसके लिए हृदय से बधाई देता हूं और हर संभव सहयोग का आश्वासन देता हूं।’ विशिष्ट अतिथि कृष्णशांत जुनेजा ने अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा,‘ ‘मैं इस संस्था से आरंभिक समय से जुड़ा हूं। यहाँ से निकले बच्चों ने न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। यह सब संस्था की मेहनत और समर्पण का परिणाम है।”

डॉ. ज्योति धींगड़ा ने कहा,‘ संगीत और नृत्य केवल कला नहीं, व्यक्तित्व को निखारने के माध्यम हैं। इस संस्था ने बच्चों में वह चमक पैदा की है जो उन्हें जीवनभर रोशन करती रहेगी।” कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। मंच संचालन डॉ. सुमन चावला और पवन बजाज ने कुशलता से निभाया। संस्था के सभी सदस्यों ने इस आयोजन को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई। विशेष सहयोग के लिए गुलशन अरोड़ा ने मंच से सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।



