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प्रथम चरण में जनजागरूकता और फि संघर्ष का रास्ता तैयार किया जाएगा। मुख्य उद्देश्य यह कि इलाके के किसानों को पानी के लिए बार-बार संघर्ष न करना पड़े।
सौरभ राठौड़ कहते हैं, ‘मूल भाखड़ा नहर क्षेत्र के लिए 2772 क्यूसेक पानी का हिस्सा निर्धारित है लेकिन पानी कभी 850 क्यसूेक तो कभी 1200 क्यूसेक छोड़ा जाता है। भाखड़ा डैम को भराव बिंदु तक भरा नहीं जाता, इससे भी किसानों को नुकसान होता है। आरडी 496 पर स्थित क्रस्ट को 4 फुट नीचा करने की जरूरत है ताकि टेल तक पानी पहुंचाया जा सके। नहरों की मरम्मत और दुरुस्तीकरण सुनिश्चत करना वक्त की मांग है। जब भी नहरों की रिलाइनिंग के लिए नहरबंदी ली जाती है तो नहर को 70 दिन के लिए बंद कर दिया जाता है इससे किसानों और आम जन के सामने पेयजल तक का संकट उत्पन्न हो जाता है जबकि हर बार रिलाइनिंग कार्य बमुश्किल 40-45 दिन होता है। ऐसे में नहरबंदी अवधि को घटाकर 45 दिन करने की जरूरत है।’
भाखड़ा किसान संगठन के संयोजक राय सिंह जाखड़ ने कहा कि पदयात्रा पूरी तरह से गैर राजनीतिक है। हमारा किसी भी सरकार से कोई विरोध नहीं है। हम सिर्फ हमारी मांगे मनवाना चाहते हैं।
किसान आर्मी किसान एकता मिशन के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र कड़वा ने कहा कि किसानों को जब तक उनके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल जाता तब तक लगातार वह संघर्षरत रहेंगे। उन्होंने कहा की इस पदयात्रा के माध्यम से संपूर्ण भाखड़ा प्रणाली क्षेत्र में गांव-गांव जाकर किसानों को जागृत किया जाएगा और यात्रा संपूर्ण होने से पहले जो इलाका वासियों की आवाज होगी, उसके अनुरूप इस संघर्ष की परिणीति को तय किया जाएगा। इस मौके पर पद यात्रियों को रिटायर्ड गिरदावर मनफूल बिश्नोई एवं पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष जयपाल धारणिया ने माला पहनकर रवाना किया। पदयात्रा में पदयात्री के रूप में सतपाल बिश्नोई, युवा नेता मानसिंह मान, छात्र नेता सूरज नारायण शर्मा, समाजसेवी दीपक कुक्कड़, कृष्ण फगोडिया, रजत चौधरी, रामकुमार जाखड़, धर्मपाल विस्सू, राकेश साहरण, रवि कुमार, इंद्र बिश्नोई, पूर्ण राम डेलू, सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।