आईपीएस सुधीर चौधरी: बेआबरू होकर विदाई!

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.

 हनुमानगढ़ जिला बनने के 29 साल के दौरान पहला अवसर है जब किसी एसपी यानी पुलिस अधीक्षक को चुनाव आयोग के कहने पर हटाया गया हो। आईपीएस सुधीर चौधरी पहले एसपी हैं जिन्हें आचार संहिता लागू होने के बाद कार्यमुक्त किया गया है। देखा जाए तो किसी भी अधिकारी के लिए यह बड़ा झटका है। सीकर के रहने वाले सुधीर चौधरी हनुमानगढ़ से पहले सवाईमाधोपुर और राजसमंद में बतौर एसपी सेवाएं दे चुके हैं। भारतीय पुलिस सेवा के 2015 बैच के अधिकारी सुधीर चौधरी ने इसी साल फरवरी में हनुमानगढ़ एसपी का कार्यभार ग्रहण किया था। जिले के क्राइम रिपोटर्स के नजरिए से बात करें तो सुधीर चौधरी की कार्यशैली औसत दर्जे की रही। वे रिजर्व नेचर के रहे और अपने कुछ अधीनस्थ के कहने से ही फैसले लेते रहे। उन्होंने बतौर एसपी जिले में मुखबिर तैयार करने में रुचि नहीं दिखाई। पत्रकारों के साथ भी उनका रिश्ता औपचारिक ही रहा। न काहू से दोस्ती….वाला रिश्ता। इसका परिणाम यह हुआ कि वे बाहरी सूचनाओं से वंचित रहे। जनप्रतिनिधियों के साथ उनका रिश्ता संतोषजनक रहा। वैसे भी कहा जाता है कि हनुमानगढ़ जिले के अधिकांश जनप्रतिनिधियों में अधिकारियों को तवज्जो देने के लिए प्रतिस्पर्धा रहती है। आम जनता को उसी का नुकसान भी होता है। जनता भी यह समझने लगती है कि जब जनप्रतिनिधि ही ‘घुटनाटेक’ हों तो फिर उनकी कौन सुनेगा ? लिहाजा, जनता किसी अधिकारी के पदस्थापन पर उनके स्वागत के लिए पुष्पगुच्छ लेकर दफ्तर पहुंच जाती हैं। छोटी-मोटी उपलब्धियों पर लोग उन्हें ‘सम्मानित’ करने पहुंचने लगते हैं। फिर दूसरे लोगों में भी इसकी होड़ लग जाती है। इसलिए अधिकारी यहां की जनता को खास तवज्जो देने में रुचि नहीं दिखाते।
जहां तक आईपीएस सुधीर चौधरी के कार्यमुक्त संबंधी आदेश का सवाल है तो सीमावर्ती राज्यों में हो रही नशीले पदार्थों की तस्करी की वजह से उन्हें हटाया गया है। चुनाव आयोग ने माना कि गुजरात में जिस तरह शराब की सप्लाई हो रही है, वह हनुमानगढ़-जोधपुर-आबू रोड रूट से ही पहुंचती है। अगर हरियाणा-पंजाब सीमा पर हनुमानगढ़ में उसे रोक दिया जाए तो तस्करों पर अंकुश लग सकता था। यह दीगर बात है कि सुधीर चौधरी के कार्यकाल में ही हनुमानगढ़ पुलिस ने नशीली पदार्थों की तस्करी के कई मामलों का पर्दाफाश किया। माना जा रहा है कि कुछ और भी सियासी कारण हैं जिनकी वजह से सुधीर चौधरी को ‘बेआबरू’ होकर जाना पड़ रहा है। काबिलेगौर है, आईपीएस सुधीर चौधरी गहलोत सरकार के एक प्रभावशाली मंत्री के दामाद भी हैं।

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