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राजस्थान में चुनाव संपन्न होने के साथ ही वोट परसेंटेज और उसके परिणामों पर मंथन शुरू हो चुका है। हालांकि मतदान का अंतिम परिणाम सामने नहीं आया है। माना जा रहा है कि रविवार दोपहर तक वास्तविक रिपोर्ट सामने आएगी। लेकिन अब तक उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, करीब 69 फीसद मतदान हुआ है। पिछले चुनाव में 74.06 प्रतिशत मतदान हुआ था। हालांकि मतदान के प्रतिशत में करीब चार फीसद बढोत्तरी संभव है। इस लिहाज से राज्य में फिर करीब 73 फीसद मतदान की उम्मीद है। अब इससे किसको फायदा और किसको नुकसान होगा, यह बड़ा सवाल है।
राजस्थान की लोकतांत्रिक परंपरा कहती है कि जब मतदान के परेसेंटेज में बढोत्तरी होती है तो बीजेपी को फायदा होता है और जब इसमें कमी आती है तो कांग्रेस उभरती है। उदाहरण के लिए साल 1998 के चुनाव को देखिए। उस वक्त 63.39 प्रतिशत मतदान हुआ और कांग्रेस 153 सीट हासिल करने में कामयाब हो गई। साल 2003 के चुनाव में पोलिंग बढ़कर 67.18 फीसद हुई तो बीजेपी 120 सीट हासिल करने में सफल हो गई। वहीं, साल 2008 में जब पोलिंग 66.25 फीसद हुई तो कांग्रेस 96 सीटें हासिल कर सरकार बनाने में कामयाब हो गई। इसी तरह 2013 के चुनाव में मतदान 75.04 प्रतिशत हुआ तो बीजेपी ने 163 सीटों पर रिकार्ड जीत हासिल की और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। इसी तरह साल 2018 के चुनाव में जब पोलिंग 74.06 प्रतिशत हुई तो कांग्रेस 100 सीटें जीतने में कामयाब हुईं।
राजस्थान की लोकतांत्रिक परंपरा कहती है कि जब मतदान के परेसेंटेज में बढोत्तरी होती है तो बीजेपी को फायदा होता है और जब इसमें कमी आती है तो कांग्रेस उभरती है। उदाहरण के लिए साल 1998 के चुनाव को देखिए। उस वक्त 63.39 प्रतिशत मतदान हुआ और कांग्रेस 153 सीट हासिल करने में कामयाब हो गई। साल 2003 के चुनाव में पोलिंग बढ़कर 67.18 फीसद हुई तो बीजेपी 120 सीट हासिल करने में सफल हो गई। वहीं, साल 2008 में जब पोलिंग 66.25 फीसद हुई तो कांग्रेस 96 सीटें हासिल कर सरकार बनाने में कामयाब हो गई। इसी तरह 2013 के चुनाव में मतदान 75.04 प्रतिशत हुआ तो बीजेपी ने 163 सीटों पर रिकार्ड जीत हासिल की और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। इसी तरह साल 2018 के चुनाव में जब पोलिंग 74.06 प्रतिशत हुई तो कांग्रेस 100 सीटें जीतने में कामयाब हुईं।