




भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ जिला प्रशासन ने टिब्बी के राठीखेड़ा में निर्माणाधीन एथेनॉल प्लांट विवाद को लेकर 10 दिसंबर को रात करीब 921 बजे प्रेस नोट जारी कर अपना पक्ष रखा। प्रेस नोट के मुताबिक, विरोध को लेकर बुधवार को उपखंड मुख्यालय में बड़ी महापंचायत हुई। लगभग 5,000 लोगों की उपस्थिति वाली इस सभा में सांसद कुलदीप इंदौरा, संगरिया विधायक अभिमन्यु पुनिया, पूर्व विधायक बलवान पूनिया, मंगेज चौधरी, शबनम गोदारा, रेशम सिंह, यारा सिंह व रमणदीप सरपंच सहित कई जनप्रतिनिधियों ने संबोधित किया। संबोधन के दौरान ही भीड़ ने फैक्ट्री का कार्य तत्काल बंद करवाने की लिखित गारंटी तथा जिला कलेक्टर डॉ. खुशाल यादव और पुलिस अधीक्षक हरी शंकर को मौके पर बुलाकर वार्ता करने की मांग की।

टिब्बी उपखंड अधिकारी सत्यनारायण सुथार द्वारा सार्वजनिक मंच से यह सूचना दी गई कि प्रशासन स्थानीय भावनाओं को देखते हुए कंपनी के कार्य को रोकने के लिए सहमत है तथा इसका लिखित आश्वासन भी देने को तैयार थे। जनभावना के अनुसार कंपनी प्रतिनिधियों ने भी तात्कालिक निर्माण कार्य को बंद करने का भी आश्वासन दिया। यह बात जनप्रतिनिधियों मंगेज चौधरी, बलवान पूनिया एवं सांसद-विधायक को व्यक्तिगत रूप से भी बताई गई। बावजूद इसके भीड़ उग्र हो गई और बिना किसी अनुमति फैक्ट्री की ओर कूच कर गई।

प्रेस नोट के मुताबिक, फैक्ट्री परिसर पहुंचते ही पथराव शुरू कर दिया तथा तोड़फोड़ और आगजनी की। भीड़ ने ट्रैक्टर चढ़ाकर अंदर प्रवेश का प्रयास किया। घटना में कई पुलिस अधिकारी, कर्मचारी और प्रशासनिक अधिकारी घायल हो गए। उग्र भीड़ ने 10 निजी वाहन, एक पुलिस वाहन और 4 मोटरसाइकिलें जला दीं, जबकि फैक्ट्री कर्मियों के कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। उनके आवासीय परिसर में भी आग लगा दी गई। इसके अलावा एक जेसीबी को जला दिया गया तथा दो जेसीबी मशीनों को तोड़फोड़ कर क्षतिग्रस्त कर दिया गया।

स्थिति नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने अथक प्रयास किया, किंतु भीड़ अत्यधिक होने के कारण त्वरित कार्रवाई संभव नहीं हो पाई। शाम करीब 7.20 बजे प्रदर्शनकारियों ने आगे धरना जारी रखने की घोषणा करते हुए टिब्बी गुरुघर की ओर कूच किया और बाद में लौट गए। घटनास्थल पर धारा बीएनएस 163 प्रभावी थी।

जिला प्रशासन ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को इससे पहले भी कई बार वार्ता के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन हर बार उन्होंने बातचीत से इंकार किया। 3 दिसंबर को जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में फैक्ट्री प्रतिनिधियों और जनप्रतिनिधियों के साथ कलेक्ट्रेट में वार्ता के लिए बुलाया गया था, परंतु प्रदर्शनकारी उपस्थित नहीं हुए। प्रशासन और फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा लगातार शंकाओं के समाधान के प्रयास, बैठकें और समाचार-पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों के बावजूद प्रदर्शनकारी वार्ता और शांतिपूर्ण समझाइश के लिए तैयार नहीं हुए। कंपनी प्रतिनिधियों ने प्रदर्शनकारियों की शंकाओं के समाधान के लिए पहले से संचालित फैक्ट्रियों के अवलोकन के लिए प्रयास किए, परंतु प्रदर्शनकारियों ने मना कर दिया। जिला प्रशासन ने कहा कि सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाली ऐसी हिंसक घटनाओं पर कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी तथा स्थिति को सामान्य करने के लिए सभी सख्त कदम उठाए जाएंगे।


