शहर के ऐतिहासिक धर्मस्थल भद्रकाली मंदिर मार्ग पर एक बार फिर संकट मंडरा रहा है। इस मार्ग को जिला प्रशासन की सक्रियता से करीब छह माह पहले अतिक्रमण से मुक्त कराया गया था। इसके बाद प्रशासन की पहल पर ही सामाजिक संगठनों ने टाउन से भद्रकाली मंदिर तक पूरे मार्ग पर पौधरोपण कर नीम कारिडोर बनाने का अहम काम हाथ में लिया था। इससे मंदिर तक जाने वाले पूरे मार्ग के हरा-भरा होने और आवागमन सुगम होने को लेकर संगठनों ने राहत महसूस की। नीम कारिडोर जैसा बड़ा काम शुरू होने के बाद इस मार्ग को अतिक्रमण मुक्त बनाए रखने का दायित्व जिला प्रशासन ने सार्वजनिक निर्माण विभाग को दिया गया मगर अब सार्वजनिक निर्माण विभाग इस मामले में सुस्ती के रास्ते पर है। इस कारण सारे प्रयास नाकाम होने की आशंका है और इसे लेकर सामाजिक संगठन व जागरूक नागरिक रोष में हैं। इस काम में तत्कालीन जिला कलेक्टर नथमल डिडेल की पहल पर प्रमुख नागरिक पूर्व मंत्री डॉ. रामप्रताप, डॉ. पारस जैन, जिला प्रमुख कविता मेघवाल सहित 20 सामाजिक व व्यापारी संगठनों के अध्यक्ष तथा अन्य नागरिक शामिल हुए थे।
ताजा घटनाक्रम के अनुसार लगभग 15 दिन पहले भद्रकाली मुख्य मंदिर से पहले इंट भट्ठे के पास रास्ते की अतिक्रमण मुक्त करवाई गई भूमि पर दो-तीन किसानों की ओर से जुताई कर दी गई है। इस कारण वहां सार्वजनिक मार्ग की चौड़ाई कम हो गई औीर वहां से आवागमन व कारिडोर योजना के तहत लगाए गए पौधों की देखभाल में बाधा होने लगी है। इस प्रकार अतिक्रमण मुक्त करवाई गई राजकीय भूमि पर फिर से अतिक्रमण की शुरूआत हो गई। इससे भविष्य में अतिक्रमण की संख्या बढ़ने की आशंका है तथा शहर से मंदिर तक पूरे मार्ग को नीम कारिडोर बनाने के प्रयास को धक्का लगा है। भद्रकाली मंदिर मार्ग पर नए अतिक्रमण होने के बाद इसे लेकर संगठनों द्वारा जिम्मेवार एजेंसी सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों को सूचित किया गया मगर दस दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी अतिक्रमण हटाने को लेकर सानिवि अधिकारियों की सुस्ती नहीं टूटी है।
कुछ माह पहले मंदिर मार्ग की राजकीय भूमि को अतिक्रमण मुक्त होने के बाद इसकी सुरक्षा की जिम्मेवारी सार्वजनिक निर्माण विभाग को मिली। जिला प्रशासन की ओर से मार्ग की भूमि पर भविष्य में अतिक्रमण रोकने की जिम्मेवारी भी विभाग की तय की गई। मगर अब विभाग व इसके अधिकारी इस तरफ से लापरवाह हो गए। इस कारण ही मार्ग की भूमि पर फिर अतिक्रमण हो रहे हैं। हालत यह है कि विभाग व इसके अधिकारी मौखिक व लिखित सूचित करने के बाद भी हाल में हुुए अतिक्रमण हटाने को लेकर लापरवाह बने हैं। इस लापरवाही ने संगठनों व जागरूक नागरिकों की चिंता बढ़ा दी है। इस मामले में त्वरित कार्रवाई में ढील पर नाराजगी भी बढ़ रही है।
चार मुरबा लंबाई में समस्या
कुछ माह पहले प्रशासन के स्तर पर शहर से लेकर मंदिर तक मार्ग के कुल 50 मुरबा लंबे क्षेत्र में राजकीय भूमि से अतिक्रमण हटाए गए थे। तत्कालीन समय में इस मार्ग की 82 फीट चौड़ाई में सारी भूमि पर लंबे समय से किसानों के अतिक्रमण थे। इस कारण मार्ग की चौड़ाई मात्र 12 फीट तक सिमटी हुई थी। इस कारण इस मार्ग पर आवागमन में विकट परेशानी थी। ये अतिक्रमण हटाने तथा मार्ग को सुगम बनाने की मांग पर तत्कालीन समय में भी सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं व नागरिकों को लंबे समय तक प्रयास करना पड़ा था। अब 4 मुरबा भूमि में फिर अतिक्रमण के कारण बाधा होने लगी है पर सार्वजनिक निर्माण विभाग की लापरवाही एक बार फिर इस समस्या को बढ़ावा देने का काम कर रही है।
संगठनों ने कलक्टर को ज्ञापन दिया
भद्रकाली मुख्य मार्ग पर ताजा अतिक्रमण नहीं हटाए जाने से नाराज शहर के सामाजिक संगठनों की ओर से जिला कलेक्टर रूकमणि रियार को ज्ञापन दिया गया। इसमें मंदिर के निकट रास्ते की भूमि पर हाल में हुए अतिक्रमण हटाए जाने की मांग की गई है। भद्रकाली क्षेत्र विकास सेवा समिति व हनुमानगढ़ सेवा समिति (भारत क्लब) के पदाधिकारी भगवानसिंह खूडी, सुशील जैन, सुरेन्द्रसिंह शेखावत, केवल कृष्ण काठपाल व असलम अली ने कलेक्टर को दिए ज्ञापन में शीघ्र अतिक्रमण हटाने की मांग की है ताकि भद्रकाली मंदिर जैसे ऐतिहासिक धर्मस्थल के संरक्षण हो सके तथा इसका सौंदर्यीकरण किया जा सके और इसके मार्ग को नीम कारिडोर के माध्यम से हरा भरा किया जा सके