बहादुरचंद जैन : हनुमानगढ़ के विकास का प्रत्यक्षदर्शी

गोपाल झा.

अगर आप संयमित जीवन जीने की कोशिश करते हैं तो आपके चेहरे पर बढ़ती उम्र की परछाई नजर नहीं आती। शहर की सरकार के पूर्व मुखिया बहादुरचंद जैन भले 86 साल के हों लेकिन उनकी फुर्ती आज भी युवाओं में जोश भरने के लिए काफी है। हनुमानगढ़ नगरपालिकाध्यक्ष रहे बहादुरचंद जैन राजनीति और सामाजिक कार्यों में अब भी सक्रिय हैं। जैन सरीखे लोग आज भी अपनी उपयोगिता बनाए हुए हैं। हनुमानगढ़ के विकास को निकट से देखने और अपना योगदान देने वाले बहादुरचंद जैन ने ‘भटनेर पोस्ट’ के साथ बातचीत में शहर के इतिहास पर चर्चा की और भविष्य को सुखद बनाने को लेकर भी अपने सुझाव दिए। उन्होंने दो टूक कहाकि अगर शासन से जुड़े लोग समस्याओं के समाधान को लेकर नियोजित तरीके से प्रयास करें तो उसके बेहतर परिणाम आएंगे।
हनुमानगढ़ शहर के बारे में कहा जाता है कि बहुत कम लोग ऐसे हैं जिनकी सात या अधिक पीढ़ियों के पुरखे यहां के वाशिंदे रहे हों। बहादुरचंद जैन ऐसे लोगों में शामिल हैं। उनके परिवार का इतिहास इसी शहर से जुड़ा हुआ है। जैन बताते हैं ‘करीब डेढ़ सौ या दो सौ साल पहले यहां के लोग भटनेर किले के अंदर ही रहते थे। किले से बाहर निकलकर मकान बनाने वाले प्रथम व्यक्ति थे उनके परिवार के दादा। किले के बाहर वाली इनकी गली को बोदिया बाजार भी कहा जाता था। बीकानेर के रामपुरिया कालेज से 1956 में एफएससी की डिग्री हासिल करने वाले बीसी जैन राजनीति से प्रभावित रहे। यही वजह है कि 1964 में पहली बार पार्षद बने। उस वक्त हनुमानगढ़ में महज 17 वार्ड हुआ करते थे। टाउन में 9 वार्ड थे और जंक्शन में 8 वार्ड।
1982 में बने चेयरमैन
वर्ष 1982 का निकाय चुनाव बहादुरचंद जैन के नाम रहा। वे चेयरमैन बने। उस वक्त शहर में वार्डों की संख्या बढ़कर 24 हो गई थी। टाउन में 15 वार्ड थे और जंक्शन में 9 वार्ड। जैन बताते हैं कि उस दौर में नगरपरिषद में दो महिलाएं मनोनीत होती थीं। तीन साल का कार्यकाल होता था। उनके समय ही कार्यकाल एक साल बढ़ाया गया था जो तीन से चार साल का हो गया था। कच्ची बस्तियां अधिक होने के कारण जैन ने विकास पर अधिक फोकस किया। खासकर सड़कों की व्यवस्था करवाई। बहादुरचंद जैन बताते हैं ‘मेरे कार्यकाल में ही नगरपरिषद का दर्जा मिला था लेकिन बाद में फिर नगरपालिका में तब्दील कर दिया गया। उस वक्त आबादी कम थी और नगरपालिका के पास काम भी ज्यादा थे। यहां तक चुंगी वसूली से लेकर वाटरवर्क्स का संचालन भी निकाय के पास था। इसके लिए आठ लाख रुपए का खर्च होता था। इस खर्च में सुधार व संशोधन करवाने का श्रेय भी जैन को जाता है।
विकास के प्रति गोयल थे गंभीर
हनुमानगढ़ में रामचंद्र चौधरी से लेकर डॉ. रामप्रताप और चौधरी विनोद कुमार के विधायकी को निकट से देखने वाले बहादुरचंद जैन कहते हैं कि विकास की जो सोच बृजप्रकाश गोयल की थी, वह अपने आपमें अलग थी। उनके कार्यकाल में हनुमानगढ़ में बहुत परिवर्तन हुए। नेहरू स्मृति स्कूल, एनएमपीजी कालेज व टाउन में अनाज मंडी की स्थापना आदि उसी दौर में हुई। 1972 के समय ही मंडी में कुछ दुकानें बनीं और फिर धीरे-धीरे मंडी का विकास होता रहा।
कुशल संगठक की निभा रहे भूमिका
स्वायत शासन विभाग में बहादुरचंद जैन का नाम राज्य स्तर पर रहा। राजस्थान स्वायत शासन संस्था के दस साल तक प्रदेश उपाध्यक्ष और फिर अध्यक्ष रहे जैन अब संरक्षक की भूमिका में हैं। इस संस्था में प्रदेश की सभी 200 नगरपालिका व नगरपरिषद बतौर सदस्य हैं। जैन जैसे कुछ अन्य नेताओं की पहल का परिणाम है कि कांग्रेस में स्वायत शासन प्रकोष्ठ का गठन हुआ। बीसी जैन कांग्रेस में शहर अध्यक्ष से लेकर जिला उपाध्यक्ष और उद्योग-व्यापार प्रकोष्ठ के भी जिलाध्यक्ष रहे हैं। व्यापारिक संस्था राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के बीकानेर जोन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे जैन अब संरक्षक का जिम्मा संभाल रहे हैं।
जैन समाज में दबदबा
बहादुरचंद जैन कुशल संगठक माने जाते हैं। यही वजह है कि राजनीति के साथ ही उनके पास सामाजिक जिम्मेदारियां भी रहीं। कुल 55 संगठनों को मिलकर जैन समाज के विशाल संगठन महासंघ मंगल देश के छह साल तक अध्यक्ष रहे बहादुरचंद जैन अब संरक्षक हैं। इस संस्था का कार्यक्षेत्र पंजाब के सात जिले, राजस्थान और हरियाणा के दो-दो जिले हैं।

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