





डॉ. एमपी शर्मा.
इस समय उत्तर भारत समेत देश के अधिकांश हिस्सों में गर्मी अपने विकराल रूप में है। ऐसे में एयर कंडीशनर अब केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि शारीरिक और मानसिक राहत का जरूरी साधन बन चुका है। यह न सिर्फ शरीर को शीतलता देता है, बल्कि नींद की गुणवत्ता और कार्यक्षमता भी बढ़ाता है। लेकिन क्या सिर्फ ठंडक ही काफी है? नहीं। एसी का गलत या लापरवाह उपयोग कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। खासकर बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए यह राहत की बजाय परेशानी बन सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम इसका उपयोग विवेक और सावधानी से करें। आइए जानें कैसे मिल सकती है ठंडक भी और सेहत भी बिना किसी समझौते के।
गर्मी अपने चरम पर है। पारा 45 डिग्री तक पहुँच गया है। ऐसे में एयर कंडीशनर आज के समय की आवश्यकता बन गया है। यह गर्मी से राहत देता है, नींद बेहतर करता है और थकावट कम करता है। लेकिन अगर इसका सही उपयोग न हो तो यह शरीर पर विपरीत प्रभाव भी डाल सकता है, खासकर बुजुर्गों, बच्चों और बीमार व्यक्तियों पर।
एसी के लाभ जाहिर हैं। इससे गर्मी में राहत मिलती है। एसी गर्मी में आरामदायक माहौल बनाता है, विशेष रूप से दोपहर और रात में। ठंडे कमरे में नींद अच्छी आती है, शरीर की थकावट उतरती है। पसीने की चिपचिपाहट कम करता है, जिससे त्वचा पर दाने व फोड़े-फुंसियों की संभावना घटती है। यदि फ़िल्टर साफ़ हों तो एसी धूल-पराग से एलर्जी वालों को कुछ हद तक राहत देता है।

सावधान! एसी के संभावित नुकसान
मांसपेशियों में जकड़न और दर्द होने लगता है। एसी के अत्यधिक प्रयोग या सीधे ठंडी हवा लगने से सुबह उठते समय हाथ, पीठ और पैरों में जकड़न या दर्द हो सकता है। एसी वातावरण को शुष्क बना देता है जिससे गले में खराश, नाक की खुश्की और यहां तक कि खर्राटे भी हो सकते हैं। एसी की ठंडी और शुष्क हवा त्वचा की नमी छीन लेती है, जिससे खुजली, पपड़ी और जलन हो सकती है। बहुत ठंडे कमरे से बाहर निकलते ही शरीर को तापमान का झटका लगता है, जिससे सर्दी-जुकाम या सिरदर्द हो सकता है।
कितनी देर और कितना तापमान उचित?
तापमान 24 से 26 डिग्री सेल्सियर सबसे उपयुक्त माना जाता है। यह तापमान शरीर के लिए संतुलित रहता है, जिससे न तो अधिक ठंड लगती है, न ही ऊर्जा की अत्यधिक खपत होती है। आवश्यकता अनुसार, परंतु बीच-बीच में ।ब् बंद करके प्राकृतिक हवा लेना चाहिए। रात भर एसी चलाने से बचें या फिर स्लीप मोड या टाइमर का उपयोग करें।

विशेष सावधानियाँ
बुजुर्गों का शरीर तापमान में परिवर्तन को जल्दी नहीं झेल पाता। जोड़ों का दर्द, हड्डियों की जकड़न, बलगम जमना, सांस की दिक्कत हो सकती है। उन्हें सीधे ठंडी हवा न लगने दें, हल्के गर्म कपड़े पहनाएं। बहुत कम तापमान बच्चों में गले की खराश, जुकाम, बुखार और त्वचा संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है। बच्चे अक्सर पसीने में खेलते हैं, तुरंत एसी वाले कमरे में आने से बीमार पड़ सकते हैं।
एसी इस्तेमाल के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
एसी की सर्विसिंग नियमित रूप से कराएँ। गंदे फिल्टर फेफड़ों की बीमारियों का कारण बनते हैं। कमरा पूरी तरह बंद हो, लेकिन कभी-कभी खिड़की खोलकर हवा का आदान-प्रदान करें। सोते समय एसी की सीधी हवा शरीर पर न पड़े। एसी रूम में एक कटोरी पानी रखें, जिससे नमी बनी रहे। त्वचा पर मॉइस्चराइज़र का प्रयोग करें।
सार, गर्मी में राहत का एक अच्छा उपाय है, बशर्ते इसका संतुलित और समझदारी से उपयोग किया जाए। अत्यधिक ठंडक भी शरीर को उतना ही नुकसान पहुँचा सकती है जितना गर्मी। सही तापमान रखें, समय सीमित करें, नियमित सफाई करें, बुजुर्गों और बच्चों पर विशेष ध्यान दें। इस भीषण गर्मी में ठंडक भी मिले और स्वास्थ्य भी बना रहे कृ यही हमारी समझदारी है।
-लेखक सीनियर सर्जन और आईएमए राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हैं


