मायड़ भासा’ का मतवाला है यह ‘जन कवि’

भटनेर पोस्ट न्यूज. हनुमानगढ़.
अगर आपके पास प्रतिभा है तो फिर उसे इस्तेमाल करना सीखिए। इस बात को प्रैक्टिकल तरीके से समझना हो तो हनुमानगढ़ जिले के गांव परलीका निवासी और राजस्थानी भाषा के जन कवि के तौर पर विख्यात विनोद स्वामी से आप मिल सकते हैं। नोहर और गोगामेड़ी के बीच स्थित है गांव परलीका। इस गांव पर सरस्वती की विशेष कृपा है। यह अलग बात है कि प्रगतिशील विचारों से प्रेरित अधिकांश साहित्यकार देवी-देवताओं पर भरोसा नहीं करते। अलबत्ता, पत्रकारिता की लंबी पारी खेल चुके कवि विनोद स्वामी अपने मस्त अंदाज के लिए जाने जाते हैं। उनकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं और वे राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए बरसों तक गांवों में घूमकर अलख जगाने का अभियान चला चुके हैं।

अब आते हैं मूल मुद्दे पर। दरअसल, कवि के तौर पर विनोद स्वामी परिचय के मोहताज नहीं हैं। आलम यह है कि फेसबुक पर उनके दो पेज पर क्रमशः करीब 23 हजार व 18.5 हजार फॉलोवर्स हैं। इस तरह दोनों पेज से करीब 41 हजार से अधिक फॉलोवर्स को अपनी कला से बांधने की क्षमता रखते हैं विनोद स्वामी। जब भी कोई ‘खास’ व्यक्ति परलीका जाता है तो विनोद स्वामी उस शख्सियत के साथ पेज पर लाइव होते हैं। देसी और ठेठ अंदाज में बात करते हैं। ग्रामीण परिवेश से जुड़ी उनकी चुटीली बातें लोगों को बरबस आकर्षित करती हैं। जब मातृभाषा और संस्कृति पर संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हों तो विनोद स्वामी जैसे लोग एक उम्मीद हैं जो सोशल मीडिया के माध्यम से युवा पीढ़ी को अपनी माटी से बांधने की कोशिश में जुटे हैं। विनोद स्वामी इन दिनों फेसबुक पेज पर उनकी रिल्स धूम मचा रही हैं। 

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