दिल्ली के मुख्यमंत्री बनकर भारतीय राजनीति में वजूद स्थापित करने वाले अरविंद केजरीवाल और रामलीला मैदान का रिश्ता बेहद खास रहा है। हां, वह रामलीला मैदान दिल्ली का था जहां से लोकपाल बिल की मांग को लेकर केजरीवाल ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के साथ आंदोलन किया था। इसे ‘अन्ना आंदोलन’ के रूप में याद किया जाएगा। यह दीगर बात है कि 2014 के बाद अन्ना हजारे परिदृश्य से ‘गायब’ कर दिए गए। अन्ना के अधिकांश समर्थकों को मलाल है कि अन्ना के बहाने सत्ता संघर्ष का नया फार्मूला तय किया गया था जो सफल रहा। खैर, फिलहाल बात कर रहे हैं रामलीला मैदान का केजरीवाल कनेक्शन को लेकर। केजरीवाल 18 जून को राजस्थान के पाकिस्तान सीमा पर स्थित श्रीगंगानगर आ रहे हैं और यहां पर वे ‘रामलीला मैदान’ में सभा को संबोधित करेंगे।
दरअसल, राजस्थान की सियासत में आम आदमी पार्टी अपना भविष्य तलाश रही है। दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने के बाद पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के हौसले बुलंद हैं। गुजरात में भी पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। जाहिर है, इन परिणामों की वजह से केजरीवाल पंजाब सीमा पर स्थित राजस्थान के दो जिलों को उम्मीद भरी नजर से देख रहे हैं। जी हां, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर ये दो जिले ऐसे हैं जहां पर पंजाबियत नजर आती है। दोनों जिले में विधानसभा की 11 सीटें आती हैं। श्रीगंगानगर की बात करें तो जिले में श्रीगंगानगर, अनूपगढ़, सूरतगढ़, सादुलशहर, करणपुर व रायसिंहनगर यानी छह सीटें हैं जबकि हनुमानगढ़ जिले में हनुमानगढ़, संगरिया, पीलीबंगा, नोहर और भादरा यानी पांच सीटें आती हैं।
आम आदमी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव के मैदान में उम्मीदवार उतारे थे लेकिन पार्टी को गिनती भर वोट मिले। लेकिन इस चुनाव को पार्टी खास मान रही है। इसकी वजह है कि पार्टी के प्रति लोगों का रुझान बदला है। सिर्फ रुझान ही नहीं, दूसरी पार्टियों में भविष्य नहीं देख पाने वाले सियासतदानों का ‘दिल’ भी बदला और उन्होंने ‘दल’ बदलने में देरी नहीं की। जाहिर है वे केजरीवाल की टीम में शामिल हो गए। फिर राजनीति से दूर रहने वाला वर्ग भी इस पार्टी में संभावनाएं देखने लगा है।
पूर्व आईपीएस दिलीप जाखड़, पूर्व सांसद कॉमरेड शोपत सिंह के पुत्र सुभाष मक्कासर और पूर्व विधायक गुरजंट सिंह के पौत्र अनुराग सिंह बराड़ जैसे लोगों के अलावा कोई और चेहरा नहीं जो बड़ा नाम वाला हो और जिसकी राजनीतिक पृष्ठभूमि रही हो। केजरीवाल ऐसे ही लोगों को आकर्षित करने के लिए 18 जून को श्रीगंगानगर के रामलीला मैदान में रैली कर रहे हैं। पार्टी को उम्मीद है, इससे पार्टी के पक्ष में माहौल बनेगा। आपको बता दें, तिरंगा यात्रा के तहत होने वाली इस रैली को केजरीवाल के अलावा पंजाब के सीएम भगवंत मान भी संबोधित करेंगे।
दिलचस्प बात है कि हर पार्टी की तरह आम आदमी पार्टी भी खुद को राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी का विकल्प बताने से नहीं चूकती। राजस्थान की राजनीति में यह डायलॉग बेहद पुराना है जिसका उपयोग जनता दल, बसपा, आरएलपी जैसी पार्टियां करती रही हैं। लेकिन अब तक राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा ही एक-दूसरे का विकल्प साबित होती रही है। ऐसे में केजरीवाल अपनी पार्टी को राज्य में किस तरह स्थापित कर पाएंगे, भविष्य के गर्त में है। देखा जाए तो केजरीवाल की नजर कांग्रेस और भाजपा के उन असंतुष्टों पर है जो टिकट के लिए कतार में हैं। चूंकि हर सीट पर टिकट एक है और चाहने वाले अनेक। ऐसे में आम आदमी पार्टी उन असंतुष्टों में ही अपना भविष्य तलाश रही है। ऐसे में अभी इंतजार करना होगा। आम आदमी पार्टी इस तरह की रैलियों के माध्यम से ‘चर्चा’ में बने रहना चाहती है ताकि आने वाले समय में जनता के मिजाज को अपने पक्ष में करना उसके लिए आसान हो जाए। हां, एक सवाल जरूर सबके मन में कौंध रहा है कि रामलीला मैदान से केजरीवाल का मजबूत कनेक्शन रहा है। तो क्या, श्रीगंगानगर का रामलीला मैदान अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम को ‘पॉलिटिकल पॉवर’ देने में सक्षम होगा ?