भटनेर पोस्ट न्यूज. हनुमानगढ़.
क्षेत्रीय राजनीति में भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. रामप्रताप महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। डॉ. रामप्रताप की बात इसलिए कि आज उनका जन्मदिन है यानी वे अब 80 बरस के हो रहे हैं। पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं ने जंक्शन स्थित आवास पर जाकर उन्हें शुभकामनाएं दीं। चार बार विधायक व पराजित होने के बावजूद मंत्री का दर्जा हासिल करने वाले डॉ. रामप्रताप हनुमानगढ़ विधानसभा क्षेत्र के विरले नेता हैं। पांच मार्च 1943 को जोड़कियां गांव में जन्मे डॉ. रामप्रताप सामाजिक कार्यों से रुझान के चलते चिकित्सा सेवा छोड़ राजनीति की ओर रुख करते गए।
वर्ष 1972 में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अजमेर से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। राजनीति में कदम रखने हुए बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे लेकिन सफलता नहीं मिली। वर्ष 1993 उनके पॉलिटिकल कॅरिअर के लिए स्वर्णिम साबित हुआ। उस वक्त भाजपा के पास कोई मजबूत लीडर नहीं था और डॉ. रामप्रताप को भी नेशनल पार्टी की जरूरत थी। दोनों एक-दूसरे के पूरक बने। बीजेपी की टिकट पर पहला चुनाव जीतने पर उन्हें राज्यमंत्री का दायित्व मिला। हनुमानगढ़ को जिला बनाने में उनका अहम योगदान माना जाता है।
बताया जाता है कि तत्कालीन सीएम भैरोसिंह शेखावत के वे चहेते रहे। लगातार दो चुनाव जीतने के बाद उन्हें वर्ष 2003 के चुनाव में कांग्रेस के चौधरी विनोद कुमार के सामने हार का सामना करना पड़ा। लेकिन सरकार बनी बीजेपी की। उन्हें इंदिरा गांधी नहर बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया। फिर जब वसुंधराराजे की सरकार बनी तो उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। नहरी तंत्र को मजबूत करने में डॉ. रामप्रताप ने महत्ती भूमिका निभाई। वे भाजपा संगठन में भी प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके हैं। वर्ष 2018 में चुनाव हारने के बाद वे लगातार सक्रिय हैं और पार्टी गतिविधियों में जोश ओ खरोश के साथ भाग ले रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि वे इस साल आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयार हैं लेकिन पार्टी में 70 साल से अधिक उम्र वाले नेताओं को टिकट नहीं देने की चर्चाओं के बीच क्षेत्र में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।