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हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय स्थित हनुमानगढ़ इंटरनेशनल स्कूल में बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम होते रहते हैं। जन्माष्टमी के मौके पर स्पिक मैके के तत्वावधान में स्कूल में खूबसूरत कार्यक्रम हुआ जिसमें दुनिया के बेहतरीन कत्थक नर्तक राजेंद्र गंगानी ने अपनी टीम के साथ शानदार प्रस्तुतियां दीं जिससे न सिर्फ बच्चे बल्कि कार्यक्रम में मौजूद अभिभावक भी अचंभित रह गए। कत्थक नृत्य में परंपरा से परे आधुनिक शैली अपनाने का हुनर रखने वाले राजेंद्र गंगानी ने तकनीकी जादूगरी की वजह से सबको बेहद प्रभावित किया।
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कत्थक नर्तक पं. राजेन्द्र गंगानी व उनकी शिष्या अंजना सिंह ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं। उन्होंने कार्यक्रम का आगाज सूरदास के लोकप्रिय भजन ‘नाचत सुगंध….’ से किया। गंगानी बोले-‘नृत्य कला में पारंगत होने के कारण योगेश्वर श्रीकृष्ण को नटवर कहा गया और देवाधिदेव महादेव को नटराज।’ इसके बाद गंगानी की शिष्या अंजना सिंह ने रुद्राष्टकम ‘नमामि शमीशान निर्वाण रूपं…’ पर भावपूर्ण प्रस्तुति दीं। उन्होंने इसमें शिव आराधना को भाव भंगिमाओं के साथ खूबसूरत तरीके से परिलक्षित किया। गंगानी ने बच्चों को कत्थक नृत्य के बारे में भी बताया और शास्त्रीय नृत्य और संगीत की बारीकियां भी समझाईं। उन्होंने कहाकि हमारे देश में ताल और शब्द आधारित नृत्य हैं। उन्होंने दोनों तरह की प्रस्तुतियां देकर समझाने का प्र्रयास किया। इसके बाद ‘गणेश वंदना’ और फिर आखिर में ‘बंशी चोरी प्रसंग’ को शाश्वत तरीके से दर्शाया गया। तबले पर किशोर गंगानी, सितार पर पंडित रविशंकर शर्मा थे। आवाज दी नवीन प्रसाद ने।
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कत्थक नर्तक पं. राजेन्द्र गंगानी व उनकी शिष्या अंजना सिंह ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं। उन्होंने कार्यक्रम का आगाज सूरदास के लोकप्रिय भजन ‘नाचत सुगंध….’ से किया। गंगानी बोले-‘नृत्य कला में पारंगत होने के कारण योगेश्वर श्रीकृष्ण को नटवर कहा गया और देवाधिदेव महादेव को नटराज।’ इसके बाद गंगानी की शिष्या अंजना सिंह ने रुद्राष्टकम ‘नमामि शमीशान निर्वाण रूपं…’ पर भावपूर्ण प्रस्तुति दीं। उन्होंने इसमें शिव आराधना को भाव भंगिमाओं के साथ खूबसूरत तरीके से परिलक्षित किया। गंगानी ने बच्चों को कत्थक नृत्य के बारे में भी बताया और शास्त्रीय नृत्य और संगीत की बारीकियां भी समझाईं। उन्होंने कहाकि हमारे देश में ताल और शब्द आधारित नृत्य हैं। उन्होंने दोनों तरह की प्रस्तुतियां देकर समझाने का प्र्रयास किया। इसके बाद ‘गणेश वंदना’ और फिर आखिर में ‘बंशी चोरी प्रसंग’ को शाश्वत तरीके से दर्शाया गया। तबले पर किशोर गंगानी, सितार पर पंडित रविशंकर शर्मा थे। आवाज दी नवीन प्रसाद ने।
मुख्य अतिथि जेल अधीक्षक नरेन्द्र स्वामी, सामाजिक कार्यकर्ता मोहित बलाडिया, सुरेश महिपाल, कमलजीत सैनी, अशोक सुथार, गोपाल झा, स्पिक मैके कॉडिनेटर मनीष जांगिड़, भारतेन्दू सैनी, रामनिवास मांडण, ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। आयोजन समिति सदस्य प्रिंसीपल रेखा तनेजा, नवज्योति विशेष शिक्षा महाविद्यालय प्रिंसीपल पायल गुम्बर, सैन फोर्ट स्कूल प्रिंसीपल ईना वर्मा ने कलाकारों और अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। स्पिक मैके के मनीष जांगिड़ ने बच्चों को भारतीय संस्कृति से जुड़ने का आग्रह किया और अभिभावकों से अपील करते हुए कहाकि वे बच्चों पर अपनी सोच न थोपें बल्कि उन्हें अपनी पसंद के मुताबिक काम करने दें।
राजेंद्र गंगानी मूल रूप से चूरू के सुजानगढ़ से ताल्लुक रखते हैं लेकिन उनका पूरा परिवार दिल्ली के करोलबाग में रहता है और वहीं पर वे कत्थक की शिक्षा देते हैं। कत्थक में नवीन शैली अपनाने और तकनीकी जादूगरी को लेकर गंगानी बेहद लोकप्रिय हैं। गंगानी कथक की जयपुर घराना शैली के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक हैं। कथक के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए, गंगानी को 2003 में भारत के राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम से संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला। राजेंद्र ने चार साल की उम्र में ही कथक का प्रशिक्षण शुरू कर दिया था। राजेंद्र गंगानी ने वर्ष 1983-84 में कथक केंद्र, दिल्ली से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने कई समूह रचनाओं और नृत्य नाटकों की कोरियोग्राफी की है, जिन्हें स्टैंडिंग ओवेशन और प्रशंसात्मक समीक्षा मिली है।