ये हैं बीजेपी के सबसे कंजूस उम्मीदवार, जानिए…कौन ?

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम. 

हनुमानगढ़ जिले की पांच सीटों पर प्रत्याशियों के खर्चे का हिसाब देखें तो महज पांच ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्होंने चुनाव आयोग को दिए हिसाब में 10 लाख का आंकड़ा पार किया है। सबसे पहले कांग्रेस प्रत्याशियों का हिसाब जान लीजिए। नोहर से कांग्रेस प्रत्याशी अमित चाचाण अब तक सर्वाधिक 11,08,572 रुपए खर्च कर चुके हैं। इस तरह वे कांग्रेस के सबसे दिलेर प्रत्याशी बन गए हैं। वहीं दूसरे नंबर पर हैं पीलीबंगा के विनोद गोठवाल। उन्होंने अब तक 11 लाख 298 रुपए खर्च किए हैं। तीसरे नंबर पर हैं हनुमानगढ़ के चौधरी विनोद कुमार। उन्होंने अब तक 7 लाख 20 हजार 597 रुपए खर्च किए हैं। संगरिया से अभिमन्यु पूनिया ने 6 लाख 21 हजार 545 रुपए जबकि भादरा के अजीत बेनीवाल ने 1 लाख 36 हजार रुपए भोजन पर खर्च होना बताया है।

 मोदी ने बढ़ाया मोची का आर्थिक भार
 पांचों विधानसभा क्षेेत्र में पीलीबंगा के भाजपा प्रत्याशी धर्मेंद्र मोची सबसे खर्चीले उम्मीदवार साबित हुए हैं। उन्होंने अब तक 13 लाख 47 हजार 398 रुपए खर्च किए हैं। खर्चीले प्रत्याशी के तौर पर वे नंबर वन हैं। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पीलीबंगा में हुई सभा की वजह से उन पर सर्वाधिक आर्थिक भार पड़ा है। बीजेपी में मोची के बाद सर्वाधिक खर्च करने वालों में हनुमानगढ़ से अमित सहू का नाम शुमार है। अमित सहू ने अब तक 9 लाख 54 हजार 865 रुपए खर्च होना बताया है। चौथे नंबर पर हैं नोहर के अभिषेक मटोरिया। उन्होंने अब तक 8 लाख 6 हजार 452 रुपए खर्च किए जबकि भादरा के संजीव बेनीवाल ने 8 लाख 996 रुपए खर्च किए हैं। बीजेपी में सबसे कंजूस उम्मीदवार साबित हुए हैं संगरिया के गुरदीप शाहपीनी। उन्होंने महज 6 लाख 7 हजार 768 रुपए खर्च किए हैं।

 निर्दलीय में गणेशराज बंसल सबसे खर्चीले
 जिले की पांचों सीटों पर बतौर निर्दलीय गणेशराज बंसल सबसे ज्यादा खर्चीले उम्मीदवार साबित हुए हैं। उन्होंने अब तक 10 लाख 69 हजार 752 रुपए खर्च किए हैं। वहीं हनुमानगढ़ के निरंजन सिंह ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्होंने महज 10 हजार 310 रुपए खर्च कर सबसे कर्म खर्चीला प्रत्याशी होने का रिकार्ड बनाया है। आपको बता दें, निर्वाचन आयोग ने मतदान से पहले हर उम्मीदवार को कम से कम तीन बार चुनाव खर्च का हिसाब देने के लिए कहा है। मतदान के बाद 30 दिन के भीतर सभी प्रत्याशियों को पाई-पाई का हिसाब देना होगा। खास बात है कि खर्चे पर नजर रखने के लिए विधानसभा वाइज ऑब्जर्वर लगाए गए हैं। वे प्रत्याशियों द्वारा दिए गए हिसाब पर नजर रख रहे हैं।

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