मिलकर तैयार करेंगे विकास का खाका, आप तैयार हैं ?

गोपाल झा.
वक्त ठहरता नहीं। गतिमान रहता है। इस लिहाज से हम वक्त को परिवर्तन का सूत्रधार भी कह सकते हैं। पहले नदियों के किनारे आबादी बसती थी। जहां पर सभ्यताएं पनपती थीं। इस तरह जगह व सभ्यता साथ-साथ पलती थीं, समृद्ध होती थीं। अब स्थिति अलग है। हम शहरों में अपना ठौर ढूंढ़ते हैं, ठिकाना खोजते हैं। मकसद यह कि रोजगार मिले। जीवन खुशहाल हो। शहर कोई भी हो, उसका अपना मिजाज होता है। वह सदैव देने की कुव्वत रखता है। हमारे पास भले कुछ खास न हों लेकिन शहर हमें उम्मीदों से लबरेज कर देता है।

हनुमानगढ़ भी राजस्थान का ऐसा ही शहर है। जिसके पास हजारों साल पुरानी सभ्यता है। पौराणिक तथ्य है। इतिहास से जुड़ी खट्टी-मीठी कहानियां हैं। समृद्ध संस्कृति है। मजबूत विरासत है। बस, सहेजने की जरूरत है। उसे महसूस करने की आवश्यकता है। यकीनन, हम अपने इस खूबसूरत शहर पर गर्व करने लग जाते हैं। हनुमानगढ़ का जिक्र आता है तो इसमें समूचा जिला समाहित होता है। भादरा, नोहर, संगरिया, टिब्बी, पल्लू, रावतसर, पीलीबंगा और गोलूवाला भी। भले तहसीलें हों, उपखंड मुख्यालय हों या फिर गांव। सबकी अपनी कहानी है। बस, कहने और सुनने वालों की कमी है। क्योंकि तथ्य के साथ कहने वाले और गौर से सुनने वालों की संख्या निरंतर कम होती जा रही है।

शहर कोई व्यक्ति नहीं है। उसके पास कोई अपना सोच नहीं है। सोच और विचार व्यक्तियों से उभर कर आते हैं। हनुमानगढ़ भी जिला है, जगह है, शहर है। जनप्रतिनिधियों, ब्यूरोक्रेट्स और आम जन का स्वभाव इस जिले के विकास को तय करते हैं। इसलिए कि करीब 20 लाख की आबादी ने दो सांसद, पांच विधायक, एक जिला प्रमुख, सात पंचायत समितियों के प्रधान और अब आठ पालिकाध्यक्ष चुनकर विकास की कमान सौंप रखी है। अब जिला बनने के 29 साल में हुए विकास क्रम का आकलन आप खुद कर लीजिए। पता चल जाएगा, हम किस पायदान पर हैं ?
किसी भी जिले की तस्वीर बदलने के लिए हमें पांच मुद्दों पर प्रयास करने की जरूरत पड़ती है। बेहतर स्वास्थ्य, उत्तम शिक्षा, सुरक्षा यानी कानून व्यवस्था, अर्थव्यवस्था और इंफ्रास्टक्चर। विकास को परखने का यही पैमाना है। इस लिहाज से अपने जिले का आकलन कीजिए। पता चल जाएगा, हम कहां खड़े हैं ?
अकसर कहता हूं, सत्तापक्ष तब मनमानी करता है जब विपक्ष कमजोर हो। जनप्रतिनिधि तभी उदासीन होते हैं जब आम जन निष्क्रिय हों। जाहिर है, विपक्ष की कमजोरी दूर करने की जिम्मेदारी भी आम जन की है। मीडिया की है। समाज की है। प्रत्येक नागरिक की है। जब हम नागरिक धर्म का ईमानदारी से पालन नहीं करते तो शहर हर तरह से पिछड़ने लगता है। हम सबने कई देशों और शहरों के उत्थान और पतन की कहानियां सुनी हैं। अब तो सिर्फ सकारात्मक संदेश लेने की जरूरत है।
हम विचारशील लोग हैं। हमारे पास सुझाव हैं। सोशल मीडिया पर सिर्फ नकारात्मक संदेश फैलाने से बेहतर हैै, हम अपने शहर, गांव व जिले के चहुंमुखी विकास पर ध्यान दें। अपने जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को जिले से संबंधित अच्छा सुझाव दें। ‘भटनेर पोस्ट मीडिया ग्रुप’ आपके और संबंधित जिम्मेदार पक्ष के बीच सेतु का काम करता रहा है, करता रहेगा। इसके लिए हम जल्दी ही एक अभियान का आगाज कर रहे हैं, ताकि शहर से तहसील, वार्ड से लेकर गांव तक हम आपके साथ बैठकर समस्याओं पर चर्चा करें, समाधान का खाका तैयार कर संबंधित सक्षम लोगों तक पहुंचाएं ताकि हमारा जिला विकास के पथ पर सफलताओं का सोपान तय करे। हमारी तैयारी चल रही है, अब आप तैयार हैं न ?
(लेखक भटनेर पोस्ट मीडिया ग्रुप के एडिटर हैं)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *