सूर्यास्त समय से तय होगा होलिकादहन का मुहूर्त

भटनेर पोस्ट न्यूज. हनुमानगढ़.
होली कब है, इसको लेकर असमंजस की स्थिति है। ऐसे में पंडितों ने अपनी राय दी है। पंडित रतनलाल शास्त्री के मुताबिक, भद्रारहित प्रदोषकाल व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा में होलिका दहन किया जाता है। यदि दो दिन पूर्णिमा प्रदोष व्यापिनी हो अथवा दूसरे दिन प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा एक देश हो (राजा के राज्य में पूर्ण हो ) तो पहले दिन भद्रा के कारण होलिका दहन न करें, दूसरे दिन करना चाहिए। अगर दूसरे दिन पूर्णिमा प्रदोष व्यापिनी नहीं हो अथवा प्रदोषकाल को स्पर्श नहीं करती हो तो ऐसी स्थिति में पहले दिन भद्रा रहित प्रदोष काल में होलिका दहन करें। भद्रामुख (काल  को) छोड़ कर भद्रापुच्छ (काल में ) होलिका दहन किया जाना चाहिए। अगर प्रतिपदा तिथि का मान पूर्णिमा तिथि के मान अधिक हो तो पूर्णिमा ह््रासगामिनी हों गई इस लिए दूसरे दिन प्रदोष काल में होलिका दहन किया जाना चाहिए। लेकिन पूर्णिमा का मान अधिक और प्रतिपदा का मान कम हो तो तब पहले दिन भद्रा पुच्छ में भद्रा मुख को छोड़कर भद्रा में ही होलिका दहन किया जाता है। अगर भद्रानिशीथ के बाद समाप्त हो रही हो तो भद्रा मुख को छोड़कर भद्रा में ही होलिका दीपन होना चाहिए अगर दोनों दिन ही फाल्गुन पूर्णिमा प्रदोषकाल व्यापिनी नहीं हो पहले दिन भद्रा पुच्छ में होलिका दहन किया जाना चाहिए।
इस वर्ष पूर्णिमा सोमवार यानी 6 मार्च को 4.21 बजे से प्रारंभ होकर मंगलवार यानी 7 मार्च 2023 को शात 6.13 बजे तक रहेगी। स्पष्ट होता है कि 6 मार्च को पूर्णिमा पूर्ण प्रदोष व्यापिनी है। हालांकि 7 मार्च को भी देश के पूर्वी राज्यों में प्रदोष व्यापिनी रहेगी।
6 मार्च को भद्रा 4.21 बजे से प्रारंभ होकर  7 मार्च  को सूर्योदय से  पूर्व 5.15 बजे पर्यन्त रहेगी। अतः 6 मार्च का प्रदोषकाल भद्रा से दूषित है। 7 मार्च को पूर्णिमा साढ़े तीन प्रहर से भी अधिक (चौथे प्रहर के काफी भाग तक ) है और प्रतिपदा यहां पूर्णिमा के मान से कम होने पर ह््रासगामिनी हो गई है। पहले दिन 6 मार्च को भद्रा निशीथ काल के काफी बाद तक है ऐसी स्थिति में पहले दिन ही भद्रा मुख को छोड़कर कर भद्रापुच्छ काल में अथवा भद्रा पुच्छ समय नहीं मिले तो भद्रा में ही होलिका दहन किया जायेगा। इस दिन भद्रा पुच्छ काफी देरी से अर्द्धरात्रि  के बाद ही रात्रि 12.40 बजे से  रात्रि 1.56 बजे प्राप्त रहेगा। 6 मार्च को होलिका दहन समय रात्रि 12.40 बजे से  रात्रि 1.56 बजे तक  का समय शास्त्रानुसार भी है और राजस्थान प्रदेश का प्राचीन  पंचांग पं. श्रीवल्लभ मनीराम एवं पंजाब प्रदेश का श्री मार्त्तण्डपंचांग और पंचांग दिवाकर भी छह मार्च होलिका दहन के मुहूर्त को प्रतिपादित करते हैं
पं. रतन लाल शास्त्री सोमवार को होली पर्व मनाया जाना शास्त्रसंमत मानते हैं। उनका कहना है कि 7 मार्च को होलिका दहन अपने क्षेत्र में और देश के पश्चिमी प्रदेशों में किसी स्थिति नहीं बनता है। अगर इसको ऐसे समझे कि जिन प्रदेशों में सूर्यास्त 6.10 बजे तक होगा वहां होलिका दहन 7 मार्च को होगा और जहां सूर्यास्त  6.10 बजे के होगा उन क्षेत्रों होलिका दहन 6 मार्च को ही बनता है।

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